'लव जिहाद' शब्द से धर्म के बाहर शादी करने वाले जोड़े असहज

By भाषा | Published: November 24, 2020 04:32 PM2020-11-24T16:32:34+5:302020-11-24T16:32:34+5:30

Couple uncomfortable marrying outside religion with the word 'love jihad' | 'लव जिहाद' शब्द से धर्म के बाहर शादी करने वाले जोड़े असहज

'लव जिहाद' शब्द से धर्म के बाहर शादी करने वाले जोड़े असहज

(त्रिशा मुखर्जी और माणिक गुप्ता)

नयी दिल्ली, 24 नवंबर अपने धर्म से बाहर शादी करने वाले जोड़ों के लिए स्थितियां खासी मुश्किल भरी रहती हैं। उन्हें अपने विवाह को सामाजिक तौर पर स्वीकृत कराने और खुश रहने के लिए काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, लेकिन ऐसे जोड़ों को 'लव जिहाद' शब्द के बढ़ते चलन से अब बेचैनी हो रही है।

कई जोड़ों ने कहा कि कई राज्य सरकारों ने 'लव जिहाद' के खिलाफ कानून बनाने की मंशा जाहिर की है, जिससे अलग-अलग धर्म मानने वाले (इंटरफेथ) जोड़ों के लिए चुनौतियां बढ़ रही हैं।

'लव जिहाद' शब्द का इस्तेमाल हिंदू समूहों का एक वर्ग उन मुस्लिम पुरुषों के लिए करता है जो प्यार औऱ शादी की आड़ में महिलाओं को कथित रूप से धर्मांतरण के लिए मजबूर करते हैं।

साल 2009 में केरल और कर्नाटक के क्रमशः कैथोलिक और हिंदू समूहों ने आरोप लगाया था कि उनके समुदाय की महिलाओं का जबरन इस्लाम में धर्मांतरण किया जा रहा है। इसके बाद 'लव जिहाद' शब्द का पहली बार इस्तेमाल किया गया। लेकिन यह 2014 में उत्तर प्रदेश में उपचुनाव के दौरान पहली बार प्रचलित हुआ जब भाजपा ने इसे व्यापक तौर पर उठाया।

दिल्ली में रहने वाली और हिंदू व्यक्ति से शादी करने वाली शीना शाह उल हमीद ने कहा, '' 'लव जिहाद' अपने आप में मजाक है। कोई कैसे किसी रिश्ते में जिहाद ला सकता है? वैवाहिक चीजों में धर्म के आधार पर किसी को कैसे प्रतिबंधित किया जा सकता है? अगर कानून बनाया जाता है तो हमें उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय इसे देखेगा और रद्द करेगा। ''

भाजपा ने रविवार को 'लव जिहाद' को एक गंभीर समस्या बताया और इसके खिलाफ कानून लाने के फैसले का उत्तर प्रदेश, हरियाणा और मध्य प्रदेश की सरकारों का समर्थन किया।

इसी दिन मीरा नायर की “ए सूटेबल बॉय’’ को लेकर बहस तेज हो गई और मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि वह मंदिर की पृष्ठभूमि में एक हिंदू लड़की एवं मुस्लिम लड़के के बीच चुंबन के दृश्य की जांच करें। इससे भी 'लव जिहाद' पर बहस तेज हुई और ट्विटर पर नेटफ्लिक्स का बहिष्कार करने का आह्वान ट्रेंड करने लगा।

इसके बाद सोमवार को मध्य प्रदेश पुलिस ने नेटफ्लिक्स के दो अधिकारियों पर धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया।

पिछले महीने आभूषण कंपनी तनिष्क को अपना एक विज्ञापन वापस लेना पड़ा था जिसमें एक मुस्लिम सास अपनी हिंदू बहू के लिए 'गोद भराई की रस्म' आयोजित करते दिखाई गई थी। इसके कुछ दिन बाद, हरियाणा के फरीदाबाद में एक मुस्लिम लड़के ने एक हिंदू लड़की की गोली मारकर हत्या कर दी और लड़की के परिवार ने दावा किया कि यह 'लव जिहाद' है।

शाह उल हमीद ने कहा, ''तनिष्क का मामला बड़ा नहीं थी। यह समाज में डर पैदा करने के लिए किया गया था। 'लव जिहाद' से संबंधित कोई भी कानून हमारे संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ होगा।''

मुस्लिम व्यक्ति से शादी करने वाली लेखिका और स्तंभकार नताशा बधवार ने कहा कि 'लव जिहाद' शब्द को तेजी से खतरनाक परिणामों के साथ जोड़ा जा रहा है।

उन्होंने कहा, ''पहली बार जब मैंने 'लव जिहाद' शब्द सुना तो साजिश के विचार पर बेहद हंसी आई। जब (योगी) आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो हमें सत्ता में बैठे लोगों से इस बारे में अधिक सुनने को मिला और एहसास हुआ कि इसे हंसी का मामला बता कर अब खारिज नहीं कर सकते हैं।''

उन्होंने कहा, ''लोग खतरे में जीते हैं और यह जरूरी हो गया है कि नफरत के इस सांप्रदायिक विमर्श का प्रतिकार किया जाए। मैं इस डर और नियंत्रण के आगे घुटने टेकने से इनकार करती हूं जिसमें दक्षिणपंथी, समुदायों के बीच एवं जाति के बंधनों को तोड़कर जोड़े गए रिश्तों को कलंकित और अपराधीकरण करके अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर अधिकार जमाना चाहते हैं।’’

हिंदू लड़के से प्रेम करने वाले वलीद अदनान ने कहा कि हर कोई एक ही उपनाम वाले या वाली के साथ प्रेम में नहीं पड़ सकता है।

उन्होंने कहा अलग-अलग धर्मों वाले जोड़ों के लिए भारत के विवाह कानून वैसे भी प्रतिबंधात्मक रहे हैं। विशेष विवाह अधिनियम में अंतरजातीय और अलग-अलग धर्मों को मानने वालों के बीच शादियों को कठिन बनाने के लिए पित्तृसत्ता की बंदिशें समाहित है।

साल 1954 में बनाया गया विशेष विवाह अधिनियम धार्मिक मानकों के अनुसार नहीं की गई शादियों से संबंधित है।

पत्रकार प्रिया रमानी, समर हलर्नकर और निलोफर वेंकटरमण ने ऑनलाइन मंच “ द इंडिया लव प्रोजेक्ट’’ की स्थापना की है। यह धर्म, जाति, नस्ल और लिंग से बाहर के प्रेम और विवाह की कहानियों को बताता है।

सोमवार को हलर्नकर ने ट्विटर पर कहा कि “ द इंडिया लव प्रोजेक्ट“ को परामर्शदाताओं और वकीलों की जरूरत है ताकि वे जोड़ों को सलाह दे सकें, क्योंकि उनके पास मदद की काफी अपीलें मिल रही हैं।

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