Coronavirus: कौन हैं भीलवाड़ा के IAS राजेंद्र भट्ट?, जानें कोरोना से जंग में कैसे उनके जिला को मॉडल के रूप में पेश किया जा रहा है
By अनुराग आनंद | Published: April 10, 2020 02:46 PM2020-04-10T14:46:57+5:302020-04-10T14:46:57+5:30
एक तरफ जहां पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफा हो रहा है। वहीं, राजस्थान का एक जिला भीलवाड़ा कोरोना पर कंट्रोल को लेकर चर्चा में आ गया है।
जयपुर: देश भर में जारी कोरोना महामारी के बीच जब राजस्थान में कुल मामले के 30 प्रतिशत केस भीलवाड़ा जिले में ही मिले, तो यहां के डीएम राजेंद्र भट्ट ने यहां लॉकडाउन का बेहद सख्ती से पालन कराया। इसके साथ ही कोरोना को रोकने के लिए और भी दूसरे जो उपाय करना था, उन सारे उपायों को शुरू किया गया।
एक तरफ जहां पूरे देश में कोरोना संक्रमण के मामलों में इजाफा हो रहा है। वहीं, राजस्थान का एक जिला भीलवाड़ा कोरोना पर कंट्रोल को लेकर चर्चा में आ गया है। यही वजह है कि यहां अपनाया गया मॉडल अब पूरे देश में लागू करने पर विचार हो रहा है। इस मॉडल को लागू कराने को लेकर जिले के डिस्ट्रिक मजिस्ट्रेट (DM) राजेंद्र भट्ट की भी लोग तारीफ कर रहे हैं।
सबसे पहले राजेंद्र भट्ट का शॉर्ट परिचय-
बता दें कि जोधपुर में जन्मे और पले-बढ़े राजेंद्र भट्ट की उम्र 56 साल है। फिलहाल भीलवाड़ा जिले में कोरोना वायरस के प्रकोप को नियंत्रण करने का श्रेय भी उन्हें ही दिया जा रहा है। राजेंद्र भट्ट 2007 बैच के राजस्थान कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वो वर्तमान में भीलवाड़ा जिले के डीएम हैं। बता दें कि राजेंद्र भट्ट एक पीसीएस अधिकारी हैं। उन्हें 2007 में आईएएस में पदोन्नत किया गया था।
कैसे भीलवाड़ा में कोरोना को हराया-
बता दें कि राजेंद्र भट्ट के नेतृत्व में जिला प्रशासन ने भीलवाड़ा में 10 दिन के बंद को पूरी सख्ती से लागू की। इसके लिए एनजीओ व मीडिया को जारी पास भी निरस्त कर दिए गए। यह सख्ती तीन अप्रैल से दस दिन के लिए रही। यहां तीन हजार पुलिस के जवानों के साथ एक दर्ज से अधिकारियों की तैनाती की गई।
उल्लेखनीय है कि भीलवाड़ा राजस्थान में कोरोना वायरस पॉजिटिव मामलों के कारण चर्चा में आया है। राज्य के 30 प्रतिशत से अधिक मामले इसी शहर में आए हैं। शहर के लोगों से इस दौरान पूरी तरह से घरों में रहने को कहा जा रहा है और जिला प्रशासन ने सभी जरूरी सेवाएं घरों पर ही देने की समय सारिणी बनाई है।
भीलवाड़ा के जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने कहा कि तीन अप्रैल से 10 दिन के लिए लोगों को घरों में ही बंद कर दिया गया। हमने मीडिया व गैर सरकारी संगठनों एनजीओ व अन्य लोगों को जारी सभी पास रद्द कर दिए।
इस सख्ती के दौरान लोगों को जरूरी सेवाओं की आपूर्ति एक तय समय सारिणी के अनुसार ही हुई। उन्होंने कहा कि आवश्यक सामान खरीदते समय भी लोगों ने 'सामाजिक दूरी' का कड़ाई से पालन किया अन्यथा सामान आपूर्ति करने वाली वैन को वहां से हटा लिया जाता था। वैन या वाहन पांच दिन बाद ही एक जगह पर आता था। भट्ट ने कहा कि शहर सर्वेक्षण-स्क्रीनिंग का पहला चरण सफल रहा क्योंकि सकारात्मक मामलों की संख्या में कोई महत्वपूर्ण वृद्धि नहीं हुई।
उल्लेखनीय है कि बीते मंगलवार सुबह तक राज्य में कोरोना वायरस के कुल 83 पॉजिटिव मामले आए जिनमें से 26 भीलवाड़ा से था। लेकिन, ताजा खबर यह है कि यहां कोई नया मामला सामने नहीं आया है और सभी मरीज ठिक होकर घर वापस लौट गए हैं।
राज्य की स्वास्थ्य टीमों ने जिले की 26 लाख से अधिक आबादी की जांच की है। अधिकारियों ने कहा कि भीलवाड़ा में दो सर्वेक्षणों में 3.74 लाख लोगों की जांच की गई है, जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 22.22 लाख लोग हैं। यो आंकड़ा तीन दिन पहले का है अब तक 4 लाख से अधिक लोगों की यहां जांच की गई है।
भीलवाड़ा राज्य में कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों के कारण राज्य सरकार के लिए चिंता का कारण बना हुआ था। यहां एक निजी अस्पताल के तीन डॉक्टरों और नौ नर्सिंगकर्मी शुरू में पाजिटिव पाये गए थे। इसके बाद जो भी मामले सामने आये हैं उनमें से ज्यादातर या तो इस अस्पताल के कर्मचारी हैं या यहां इलाज के लिए आए लोग थे।
मामले सामने आने के बाद जिला प्रशासन ने जिले में कर्फ्यू लगा दिया और जिले की सीमाओं को सील करते हुए शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सर्वेक्षण और स्क्रीनिंग की थी।