Coronavirus Vaccine Update: भारत में 4 वैक्सीन पर चल रहा है काम, साल के अंत तक मिल जाएगा टीका
By एसके गुप्ता | Published: May 29, 2020 07:29 AM2020-05-29T07:29:24+5:302020-05-29T07:29:43+5:30
कोरोना वायरस से जंग के लिए पूरी दुनिया में वैक्सीन को लेकर काम तेजी से जारी है. भारत में भी इसे लेकर पूरी कोशिश जारी है. माना जा रहा है कि कुछ कंपनियां इस साल के अंत तक और कुछ फरवरी तक वैक्सीन बना सकती हैं.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री के प्रमुख वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन ने कहा है कि कोविड-19 वायरस की प्रकृति को देखते हुए देश में 4 तरह की वैक्सीन पर काम किया जा रहा है.
कोविड-19 वैक्सीन की खोज को लेकर कंपनियां शोध और विकास कार्य में लगी हुई हैं. कुछ कंपनियां इस साल के अंत तक और कुछ फरवरी तक वैक्सीन बना सकती हैं. राघवन ने कहा कि देश में 4 तरह से वैक्सीन तैयार हो रही हैं.
पहले तरीके में एमआरए वैक्सीन बनाई जा रही है. इसमें वायरस का जेनेटिक मेटेरियल लेकर इसे तैयार किया जाता है. दूसरे तरीके में स्टैंडर्ड वैक्सीन बन रही है. इसमें वायरस का एक कमजोर वर्जन लिया जाता है, यह फैलता है, लेकिन इससे बीमारी नहीं होती.
तीसरे तरीके में किसी और वायरस के बैकबोन में संक्रमण फैलाने वाले वायरस के प्रोटीन कोडिंग रीजन को लगाकर वैक्सीन बनाते हैं. चौथे तरीके में वायरस का प्रोटीन लैब में तैयार कर दूसरे स्टिमूलस के साथ लगाते हैं.
चार तरह की वैक्सीन अलग-अलग भूगोलिक परिस्थितयों या वातावरण में वायरस की प्रकृति में बदलाव को ध्यान में रखकर तैयार की जा रही हैं. वैक्सीन शोध को लेकर राघवन ने कहा कि वैक्सीन निर्माण के लिए तीन तरह से काम हो रहा है. पहला हम खुद कोशिश कर रहे हैं. दूसरा बाहर की कंपनियों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं और तीसरा हम लीड कर रहे हैं और बाहर के लोग हमारे साथ काम कर रहे हैं.
बीसीजी का टीका लगाने पर बढ़ जाती है इम्युनिटी: पॉल नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने गुरुवार को कोविड-19 से जंग में सरकार के प्रयासों और वैक्सीन व दवा की खोज की प्रगति की जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय दवा उद्योग को 'वर्ल्ड ऑफ फार्मेसी' कहा जाता है. क्योंकि दुनियाभर में इस्तेमाल की जाने वाली अधिकांश वैक्सीन यहां बनती हैं.
उन्होंने हाइड्रोऑक्सीक्लोरोक्विन (एचसीक्यू) के इस्तेमाल को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रोक पर कहा कि कोविड-19 से संक्रमित और इनकी देखभाल कर रहे स्वास्थ्यकर्मी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं. एचसीक्यू के सेवन से उन्हें लाभ मिला है. देश में अभी भी यह दवा दी जा रही है. क्योंकि हमने जांच में पाया है कि इसका उपयोग सुरक्षित है.
डॉ. पॉल ने कहा कि हमारे देश में बनी दवाएं और वैक्सीन पूरी दुनिया में जाती हैं. पूरी दुनिया यह देख रही है कि किस तरह हम पुरानी दवाओं का इस्तेमाल कर महामारी से बचाव करने की कोशिश कर रहे हैं. इसके साथ ही हम दवाओं के लिए शोध में भी जुटे हैं. बहुत सी दवाएं और टीके हैं, जिन पर दिन-रात काम किया जा रहा है. इनमें फैरी ओरल मेडिसन-फिटो, एसीक्यूएच का ट्रायल चल रहा है. इट्रो सुनायक के अलावा बीसीजी के टीके का भी परीक्षण किया जा रहा है.
डॉ. पॉल ने कहा कि बीसीजी के टीके में यह देखा गया है कि बालावस्था में बच्चों का टीकाकरण होता है तो उन्हें बीसीजी का टीका लगाया जाता है. अब दोबारा से बीसीसी का टीका लगाने पर रोगी की इम्युनिटी (रोग प्रतिरोधक क्षमता) बढ़ जाती है. जिससे कोविड-19 के संक्रमण को रोकने में मदद मिल रही है. इसके अलावा माइक्रोबैक्टीरियल ट्रायल, प्लाज्मा थैरेपी और एचसीक्यू के ट्रायल भी जारी हैं. यह सब ट्रायल अग्रणी श्रेणी में चल रहे हैं.