हो सकता है, कुछ समय बाद कोरोना वायरस पूरी तरह से नियंत्रण में आ जाए, लेकिन इसने जिन कामधंधों को चोट पहुंचाई है, वे लंबे समय तक इससे उबर नहीं पाएंगे.
सबसे बड़ा खतरा चाय की थड़ी जैसे धंधों को है. इतना भयानक मंजर देखने के बाद कितने लोग पहले की तरह चाट, गोलगप्पे, इडली-डोसा, पान, वड़ापाव आदि खा पाएंगे? और, ग्राहक नहीं आए तो ये लाखों छोटे व्यवसायी क्या तो कमाएंगे और क्या परिवार को खिलाएंगे.
खतरा तो छोटे-बड़े होटलों को भी है. जब लाॅकडाउन हटेगा तो कितने लोग सपरिवार बाहर खाना खाने की रिस्क उठाएंगे. इतना ही नहीं, ऐसी दुकानों, होटलों आदि पर काम करने वाले श्रमिक कहां से मिलेंगे. ऐसी दुकानों, होटलों पर काम करने वाले अधिकतर श्रमिक तो अपने-अपने गांवों में पहुंच गए हैं और वापस कब लौटेंगे, लौटेंगे या नहीं लौटेंगे, यह भी पता नहीं है.
कोरोना ने डर के मामले में एचआईवी को भी मात दे दी है, क्योंकि एचआईवी संक्रमण के लिए तो संपर्क में आना जरूरी है, लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के लिए तो हाथ मिलाना ही काफी है.
उम्मीद की जानी चाहिए कि मोदी सरकार चाय की दुकान जैसे छोटे व्यवसायियों के लिए कोई पैकेज अवश्य देगी.