भीड़ के नहीं आसार, बाउंसर हो रहे बेरोजगारी के शिकार, सरकार से मदद की गुहार, निराशा में बढ़ रहा पेट

By वसीम क़ुरैशी | Published: June 8, 2020 07:46 PM2020-06-08T19:46:42+5:302020-06-08T19:46:42+5:30

आम दिनों में यदि कोई सेलिब्रिटी न भी आए तो इन जगहों पर बाउंसरों को काम मिल जाता था. बड़े आयोजन भी बंद हैं. इन सबके बीच अधिकांश बाउंसर सुबह के समय अलग-अलग जिम में ट्रेनर के रूप में काम करते हुए कुछ कमाई कर लेते थे.

Coronavirus lockdown Maharashtra nagpur No rush crowd, bouncers are unemployment victims, pleas help government | भीड़ के नहीं आसार, बाउंसर हो रहे बेरोजगारी के शिकार, सरकार से मदद की गुहार, निराशा में बढ़ रहा पेट

अधिकांश बाउंसर सुबह के समय अलग-अलग जिम में ट्रेनर के रूप में काम करते हुए कुछ कमाई कर लेते थे. (file photo)

Highlightsनियमित कामकाज के बंद हो जाने से बाउंसर काफी निराश हैं और कुछ की तो तोंद भी निकलने लगी है. भविष्य में उन सारी गतिविधियों के पुन: शुरू होने के कोई आसार भी नहीं हैं, जिनके बूते बाउंसर अपनी रोजी-रोटी कमाते थे. जावेद ने कहा कि उनकी एजेंसी में करीब 250 बाउंसर हैं. उनका फ्रेंड्स कॉलोनी में कार्यालय हुआ करता था जो किराया अदा न कर पाने की वजह से बंद करना पड़ा.

नागपुरः लॉकडाउन से पहले सीना ताने जगह-जगह सुरक्षा के काम में जुटे रहने वाले बाउंसर्स अब निराशा का शिकार हो रहे हैं. भीड़ रहने और वर्जिश के लिए जिम के खुले रहने पर ही उन्हें रोजगार मिला करता था लेकिन फिलहाल इन दोनों विकल्पों पर विराम लगा हुआ है.

बाउंसर्स को अब अपने शरीर के लिए आवश्यक प्रोटीन वाले भोजन में भी भारी समझौते करने पड़ रहे हैं. वहीं जिम में वर्जिश न कर पाने के चलते कई बाउंसर्स की तोंद निकलने लगी है. शहर के एक बड़ी बाउंसर सिक्योरिटी एजेंसी के टीम लीडर जावेद अली ने बताया कि उनकी टीम के बाउंसर्स ने महानायक अमिताभ बच्चन, सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिंह धोनी, हार्दिक पंड्या और गुरु रंधावा जैसी कई हस्तियों को सिक्योरिटी उपलब्ध कराई है.

लॉकडाउन के चलते बार, क्लब, डिस्को, होटल, रेस्टॉरेंट आदि बंद हैं. आम दिनों में यदि कोई सेलिब्रिटी न भी आए तो इन जगहों पर बाउंसरों को काम मिल जाता था. बड़े आयोजन भी बंद हैं. इन सबके बीच अधिकांश बाउंसर सुबह के समय अलग-अलग जिम में ट्रेनर के रूप में काम करते हुए कुछ कमाई कर लेते थे.

नियमित कामकाज के बंद हो जाने से बाउंसर काफी निराश हैं और कुछ की तो तोंद भी निकलने लगी है. निकट भविष्य में उन सारी गतिविधियों के पुन: शुरू होने के कोई आसार भी नहीं हैं, जिनके बूते बाउंसर अपनी रोजी-रोटी कमाते थे. जावेद ने कहा कि उनकी एजेंसी में करीब 250 बाउंसर हैं. उनका फ्रेंड्स कॉलोनी में कार्यालय हुआ करता था जो किराया अदा न कर पाने की वजह से बंद करना पड़ा.

परिवार का भरण-पोषण करना कठिन हो गया

बाउंसर नितिन गौर ने बताया कि उनकी दो बेटियां हैं. घर का किराया और वाहन की किस्त अदा नहीं कर पाने के अलावा परिवार का भरण-पोषण करना कठिन हो गया है. बॉडी को मैंटेन रखने के लिए रोज अंडे, दूध सहित अन्य प्रोटीन वाले भोजन का सेवन करना होता है. केवल खुद के भोजन पर 6 से 7 हजार रुपए महीने का खर्च है.

लेकिन इन दिनों तो हम सिर्फ ये सोचते हैं कि आज किसी तरह हमारे परिवार का पेट भर जाए. बाउंसरों की दिक्कतों को लेकर जावेद अली ने सरकार से मदद किए जाने की गुहार लगाई है. बॉक्स कम उम्र में बड़ी चिंता शहर में अधिकांश बाउंसरों की उम्र 22 से 35 साल के बीच है.

लॉकडाउन में इन्हें महामारी से ज्यादा खुद का और परिवार का पेट पालने की बड़ी चिंता सता रही है. इनमें से कुछ बाउंसर तो ऐसे हैं जिनकी हाल ही में शादी हुई है वहीं कुछ ऐसे हैं जिनके एक से पांच साल तक के बच्चे हैं. भीड़ में किसी खास के लिए खुली जगह बना पाने की ताकत रखने वाले ये सुडौल शरीर वाले जवान अब मायूस होकर कहीं भी काम की जगह तलाश रहे हैं. इन बाउंसरों में से करीब 25 फीसदी तो बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप में भी हिस्सा लेते थे लेकिन अब खेल स्पर्धाओं पर भी विराम लगा हुआ है.

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