जानिए लद्दाख में कोविड-19 के मामले कम क्यों, विशेषज्ञों ने अध्ययन में किया खुलासा

By भाषा | Published: July 28, 2020 08:55 PM2020-07-28T20:55:31+5:302020-07-28T20:55:31+5:30

प्रबंध निदेशक सेरिंग नोरबू ने कहा, ''अच्छी खबर और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि अधिकतर रोगी ऐसे इलाकों से संबंध रखते हैं जहां ऐसी पर्यवारण संबंधी दिक्कतें व्याप्त हैं, जिनसे फेफड़े की रक्षा करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। इसके बावजूद सभी संक्रमित रोगी समय पर ठीक हो रहे हैं।''

Coronavirus lockdown Know why covid-19 cases less Ladakh experts reveal study | जानिए लद्दाख में कोविड-19 के मामले कम क्यों, विशेषज्ञों ने अध्ययन में किया खुलासा

3,000 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई पर रहने वाली आबादी पर सार्स-कोव-2 संक्रमण का प्रभाव पड़ने की संभावना कम है। (file photo)

Highlightsलद्दाख में कोविड-19 रोगियों के ठीक होने की दर 82 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 64.24 फीसदी के मुकाबले कहीं अधिक है।सभी रोगी अस्पतालों, कोरोना देखभाल केंद्रों और घरों में पृथक वास में चिकित्सा निगरानी में हैं। कोई भी वेंटिलेटर पर नहीं है।तिब्बत के ल्हासा और चीन के वुहान शहर जैसे अन्य अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर कोविड-19 के प्रभाव को समझने का प्रयास किया।

लेहः केन्द्र शासित प्रदेश लद्दाख में बीते चार महीने में कोरोना वायरस संक्रमण के 1,327 मामले सामने आए हैं और छह रोगियों की मौत हुई है। इससे इस नजरिये को मान्यता मिलती है कि 3,000 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई पर रहने वाले लोगों के निचले इलाकों में रह रहे लोगों के मुकाबले संक्रमित होने की संभावना कम है।

विशेषज्ञों ने यहां यह बात कही। स्वास्थ्य सेवा निदेशालय ने मंगलवार बताया कि लद्दाख में कोविड-19 रोगियों के ठीक होने की दर 82 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत 64.24 फीसदी के मुकाबले कहीं अधिक है। यहां कुल 1,067 लोग संक्रमण से मुक्त हो गए हैं। फिलहाल 254 रोगियों का इलाज चल रहा है।

सभी रोगी अस्पतालों, कोरोना देखभाल केंद्रों और घरों में पृथक वास में चिकित्सा निगरानी में हैं। कोई भी वेंटिलेटर पर नहीं है। सेवानिवृत्त डॉक्टर तथा लद्दाख बचाव संस्थान के प्रबंध निदेशक सेरिंग नोरबू ने कहा, ''अच्छी खबर और सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि अधिकतर रोगी ऐसे इलाकों से संबंध रखते हैं जहां ऐसी पर्यवारण संबंधी दिक्कतें व्याप्त हैं, जिनसे फेफड़े की रक्षा करने की क्षमता पर प्रभाव पड़ता है। इसके बावजूद सभी संक्रमित रोगी समय पर ठीक हो रहे हैं।''

उन्होंने कहा कि इसी के चलते अनुसंधानकर्ताओं ने तिब्बत के ल्हासा और चीन के वुहान शहर जैसे अन्य अत्यधिक ऊंचाई वाले स्थानों पर कोविड-19 के प्रभाव को समझने का प्रयास किया। कनाडा के क्वेबेक कार्डियोलॉजी एंड रेस्पिरोलॉजील संस्थान विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं द्वारा किये गए हालिया अध्ययन में इन तथ्यों का समर्थन किया गया है।

अध्ययन में कहा गया है, ''कोविड-19 को लेकर किया गया शोध इस बात का संकेत देता है कि 3,000 मीटर या इससे अधिक ऊंचाई पर रहने वाली आबादी पर सार्स-कोव-2 संक्रमण का प्रभाव पड़ने की संभावना कम है। हो सकता है कि इसका संबंध शारीरिक और पर्यावरणीय दोनों कारकों से हो।''

अध्ययन के अनुसार अत्यधिक ऊंचाई का वातावरण, शुष्क जलवायु, दिन और रात के तापमान में बड़ा फर्क और उच्च पराबैंगनी विकिरण सैनिटाइटर के रूप में कार्य करते हों। लेह के एसएनएम अस्पताल में सलाहकार चिकित्सक ताशि थिनलास ने कहा, ''लद्दाख में रोगियों के ठीक होने की दर काफी अच्छी है। हमारे पास जो रोगी आ रहे हैं, ‍उनमें हल्के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। इसके अलावा यहां कोई भी रोगी वेंटिलेटर पर नहीं है।'' 

Web Title: Coronavirus lockdown Know why covid-19 cases less Ladakh experts reveal study

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