Covid-19: राष्ट्रपति कोविंद ने कहा- कोरोना के खिलाफ लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई, टीका, मास्क, सामजिक दूरी को बताया मजबूत उपाय
By उस्मान | Published: August 28, 2021 08:07 AM2021-08-28T08:07:42+5:302021-08-28T08:09:23+5:30
राष्ट्रपति ने कहा कि मास्क, सामाजिक दूरी सहित सतर्कता व सावधानी ही कोरोना वायरस से बचाव के उपाय
लखनऊ: राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि कोरोना वायरस जैसी महामारी ने स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि दूरदराज के क्षेत्रों तथा कम सुविधा सम्पन्न लोगों तक चिकित्सा व स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाना होगा।
कोरोना काल के दौरान चिकित्सकों, नर्सों, स्वास्थ्यकर्मियों के कार्यों की सराहना करते हुये कोविंद ने कहा कि कोरोना के विरुद्ध लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। मास्क, सामाजिक दूरी सहित सतर्कता व सावधानी ही कोरोना वायरस से बचाव के उपाय हैं।
उन्होंने राज्य सरकार के सहयोग से नमूनों के परीक्षण तथा 20 लाख आरटीपीसीआर जांच के लिए संस्थान की सराहना करते हुये कहा कि संस्थान से जुड़े चिकित्सकों व पैरामेडिकल स्टाफ आदि ने कोरोना की चुनौतियों का सामना किया। इन सभी ने अपने जीवन को खतरे में डालते हुए कोरोना पीड़ितों का उपचार किया। इसके लिए समाज व राष्ट्र कृतज्ञ हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार ने कोरोना वायरस के विरुद्ध लड़ाई में उत्कृष्ट व सराहनीय स्वास्थ्य व चिकित्सा सेवाएं प्रदान कीं।
कोविंद ने कहा कि कोरोना वायरस के विरुद्ध लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। मास्क, सामाजिक दूरी सहित सतर्कता व सावधानी ही कोरोना वायरस से बचाव है। टीका भी कोरोना वायरस से बचाव में सहायक है। आत्मनिर्भर भारत की संकल्पना के तहत भारत ने ‘मेड इन इण्डिया’ टीका विकसित किया।
उन्होंने कहा कि आज भारत में व्यापक पैमाने पर टीकाकरण अभियान संचालित है। इसके लिए उन्होंने इस कार्य से जुड़े सभी कर्मियों की सराहना की। राष्ट्रपति ने कहा कि उपाधि प्राप्त नवचिकित्सक पूरी संवेदनशीलता के साथ मानवता की सेवा में ज्ञान और कौशल का उपयोग करें। चिकित्सा महान और पवित्र सेवा का क्षेत्र है।
उन्होंने चिकित्सकों से बिना किसी भेदभाव के सेवा कार्य के लिए अपना बहुमूल्य योगदान देने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद और पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से जीवनशैली से संबंधित रोगों को नियंत्रित किया जा सकता है। रोगों के उपचार और निदान में आयुर्वेद और योग सहायक हैं। इन्हें जीवन पद्धति के रूप में अपनाकर आरोग्यता पायी जा सकती है। इनके माध्यम से प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती है, जिसका उदाहरण हमें कोरोना कालखण्ड में दिखायी दिया।