कोरोना वायरस प्रभावः ‘गगनयान’ के पहले मानव रहित मिशन में हो सकती है देरी, पहली उड़ान में मानव आकृति वाले ‘व्योमित्र’ को भेजना

By भाषा | Published: June 11, 2020 03:04 PM2020-06-11T15:04:53+5:302020-06-11T15:04:53+5:30

कोरोना वायरस के कारण हर काम में देरी हो रही है। इस बीच इसरो का कहना है कि कोविड-19 के कारण गगनयान के साथ-साथ पहले मानव रहित मिशन में देरी हो सकती है। दिसंबर 2020 में उड़ान भरने वाला था। दूसरा 2021 में।

CoronaVirus Effect isro First mission 'Gaganyaan' delayed sending human-shaped 'Vyomitra' first flight | कोरोना वायरस प्रभावः ‘गगनयान’ के पहले मानव रहित मिशन में हो सकती है देरी, पहली उड़ान में मानव आकृति वाले ‘व्योमित्र’ को भेजना

भारतीय वायु सेना के चार पायलट (गगनयान परियोजना के संभावित उम्मीदवार) मॉस्को में अभी प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं। (file photo)

Highlightsगगनयान से पहले आजमाइश के तौर पर दो मानवरहित विमान भेजेंगे, जिसमें से एक दिसंबर 2020 में उड़ान भरने वाला है और दूसरा जुलाई 2021 में रवाना होगा। अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ कोविड की वजह से कुछ बाधाएं आई हैं लेकिन अब भी पुष्टि (विलंब) नहीं की जा सकती है।अंतरिक्ष एजेंसी की योजना 2022 में 10,000 करोड़ रुपये की लागत वाले ‘गगनयान’ को अंतरिक्ष में भेजने की है।

बेंगलुरुः अंतरिक्ष में भारत की महत्वकांक्षी यात्रा ‘गगनयान’ से पहले इस साल अंतरिक्ष में जांच के तौर पर मानवरहित मिशन की तैयारी थी लेकिन कोविड-19 को रोकने के लिए लागू बंद की वजह से इसकी तैयारियों पर असर पड़ा है और अब इस उड़ान में कुछ विलंब हो सकता है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने पहले बताया था कि वह गगनयान से पहले आजमाइश के तौर पर दो मानवरहित विमान भेजेंगे, जिसमें से एक दिसंबर 2020 में उड़ान भरने वाला है और दूसरा जुलाई 2021 में रवाना होगा। अब इसरो के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘ कोविड की वजह से कुछ बाधाएं आई हैं लेकिन अब भी पुष्टि (विलंब) नहीं की जा सकती है।

हमारे पास अब भी छह महीने का समय है। हम यह देखने की कोशिश कर रहे हैं कि क्या हम वहां पहुंच सकते हैं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ थोड़ा इधर-उधर (समय सारिणी में) हो सकता है लेकिन इसका भी पता तभी चलेगा जब हम पूरा मूल्यांकन करेंगे…अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी क्योंकि जो टीम अभी इस परियोजना पर काम कर रही है उसने कुछ ऐसा (विलंब को लेकर) संकेत नहीं दिया है।’’

इसरो की योजना पहली उड़ान में मानव आकृति वाले ‘व्योमित्र’ को भेजना है। अंतरिक्ष एजेंसी की योजना 2022 में 10,000 करोड़ रुपये की लागत वाले ‘गगनयान’ को अंतरिक्ष में भेजने की है। देश 2022 में स्वतंत्रता की 75 वीं वर्षगांठ मनाएगा। भारतीय वायु सेना के चार पायलट (गगनयान परियोजना के संभावित उम्मीदवार) मॉस्को में अभी प्रशिक्षण हासिल कर रहे हैं।

मिशन गगनयान के लिए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का रूस में प्रशिक्षण 

भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष अभियान गगनयान के लिए चुने गए चार भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों ने रूस में फिर से प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया है। कोविड-19 महामारी के कारण उनका प्रशिक्षण रोक दिया गया था। रूसी अंतरिक्ष निगम, रॉस्कॉस्मोस ने एक बयान में कहा, ‘‘गागरिन रिसर्च एंड टेस्ट कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर (जीसीटीसी) ने 12 मई को ग्लाव्कॉस्मोस, जेएससी (सरकारी अंतरिम निगम रॉस्कॉस्मोस का हिस्सा) और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मानव अंतरिक्ष यान केंद्र के बीच हुए अनुबंध के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण फिर से शुरू किया है।’’

सभी चारों भारतीय अंतरिक्ष यात्री स्वस्थ हैं। बयान में आगे कहा गया, ‘‘जीसीटीसी में महामारी से बचाव के लिए सभी नियमों का पालन किया जा रहा है। सभी जीसीटीसी सुविधाओं पर स्वच्छता के सभी प्रबंध किए गए हैं। सामाजिक दूरी के दिशानिर्देशो को लागू किया गया है और अनधिकृत व्यक्तियों का आना-जाना प्रतिबंधित है। साथ ही सभी कर्मचारियों और अंतरिक्ष यात्रियों को मास्क और दस्ताने पहनना अनिवार्य किया गया है।” रॉस्कोसमोस ने ट्विटर पर भारतीय ध्वज लेकर स्पेससूट पहने हुए भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की एक तस्वीर भी साझा की।

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