स्वास्थ्य मंत्रालयः उत्पादन सरप्लस फिर भी ऑक्सीजन की कमी से फूल रही सांसे

By एसके गुप्ता | Published: September 25, 2020 07:41 PM2020-09-25T19:41:58+5:302020-09-25T19:41:58+5:30

ऑक्सीजन सरप्लस है तो अस्पतालों तक आपूर्ति क्यों नहीं हो रही। जवाब में केंद्रीय स्वासथ्य मंत्रालय सचिव राजेश भूषण कहते हैं कि राज्यों से कहा गया है कि वह बेहतर प्रबंधन अपनाकर इस समस्या को दूर करें।

Coronavirus Delhi Ministry of Health production surplus still blooms due lack of oxygen | स्वास्थ्य मंत्रालयः उत्पादन सरप्लस फिर भी ऑक्सीजन की कमी से फूल रही सांसे

पता चलता है कि देश में 1,900 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का सरप्लस उत्पादन हो रहा है। 

Highlightsरोगियों की सांसे फूल रही हैं वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ऑक्सीजन का सरप्लस उत्पादन हो रहा है।पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) ने 17 अगस्त को लिक्विड नाइट्रोजन ढोने वाले टैंकरों को ऑक्सीजन ढोने की अनुमति दी। ऑक्सीजन की कमी को राजनीतिक मुद्दा बनता देख महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों ने इसके दूसरे राज्यों में भेजने पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है।

नई दिल्लीः कोरोना की जंग में स्वदेशी पीपीई किट और कोरोना टेस्टिंग किट निर्माण ने बेशक स्वास्थ्य मंत्रालय की मुश्किलों को कम किया है। अब समस्या ऑक्सीन की कमी को लेकर आ रही है।

छोटे अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी से जहां रोगियों की सांसे फूल रही हैं वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय का कहना है कि ऑक्सीजन का सरप्लस उत्पादन हो रहा है। ऑक्सीजन सरप्लस है तो अस्पतालों तक आपूर्ति क्यों नहीं हो रही। जवाब में केंद्रीय स्वासथ्य मंत्रालय सचिव राजेश भूषण कहते हैं कि राज्यों से कहा गया है कि वह बेहतर प्रबंधन अपनाकर इस समस्या को दूर करें।

पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पेसो) ने 17 अगस्त को लिक्विड नाइट्रोजन ढोने वाले टैंकरों को ऑक्सीजन ढोने की अनुमति दी। इससे भी अस्पतालों तक ऑक्सीजन की कमी दूर नहीं हो सकी है। ऑक्सीजन की कमी को राजनीतिक मुद्दा बनता देख महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों ने इसके दूसरे राज्यों में भेजने पर प्रतिबंध लगाना शुरू कर दिया है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने ऑक्सीजन की कमी पर हाल ही में कहा है कि देश में ऑक्सीजन का उत्पादन 6,900 मीट्रिक टन हो रहा है, जरुरत मात्र 2,800 मीट्रिक टन की है। उद्योगों में भी 2,200 मीट्रिक टन का ही इस्तेमाल किया जाता है। इससे पता चलता है कि देश में 1,900 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का सरप्लस उत्पादन हो रहा है। 

ऑक्सीजन की कमी को दूर करने के लिए स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक कंट्रोल रूम भी बना रखा है। यह रूम ऑक्सीजन आपूर्ति करने वाली एजेंसी और अस्पतालों के बीच कम्युनिकेशन बनाए रखता है। जहां कमी होती है वहां ऑक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। सचिव राजेश भूषण कहते हैं कि राज्यों को भी इसी तरह का कंट्रोल रूम बनाकर बेहतर प्रबंधन करना चाहिए।

स्वास्थ्य मंत्रालय के सूत्र बताते हैं कि लिक्विड मेडिकल आक्सीजन के उत्पादन की कोई समस्या नहीं है। समस्या लिक्विड ऑक्सीजन को फिलिंग स्टेशन तक ले जाने और उसे सिलेंडर में भरकर कोरोना के अस्पतालों तक पहुंचाने की है। जुलाई के बाद कोरोना का संक्रमण ग्रामीण इलाकों में तेजी से फैला है।

 मरीजों के लिए ऑक्सीजन की मांग उसी अनुपात में बढ़ गई है। लेकिन लिक्विड आक्सीजन पहुंचाने के लिए न तो पर्याप्त संख्या में टैंकर है और न ही उसे सिलेंडर में भरने का सिस्टम मौजूद है। ऐसे में अतिरिक्त उत्पादन क्षमता के बावजूद ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति करना संभव नहीं हो पा रहा है।

Web Title: Coronavirus Delhi Ministry of Health production surplus still blooms due lack of oxygen

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे