श्रमिक स्पेशल ट्रेनः औसत किराया 600 रुपये वसूला गया, 60 लाख कामगार घर पहुंचे, रेलवे को 360 करोड़ की कमाई
By भाषा | Published: June 15, 2020 09:32 PM2020-06-15T21:32:05+5:302020-06-15T21:32:05+5:30
भारतीय रेलवे के चेयरमैन ने कहा कि लगभग 60 लाख प्रवासी कामगार रेल से घर लौटे हैं। इस बीच रेलवे को 360 करोड़ की कमाई हुई है। श्रमिक स्पेशल ट्रेन में प्रति व्यक्ति औसत किराया 600 रुपये वसूला गया।
नई दिल्लीः भारतीय रेल ने सोमवार को कहा कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन में प्रति व्यक्ति औसत किराया 600 रुपये वसूला गया। एक मई से चलाई जा रही इन ट्रेन से करीब 60 लाख श्रमिकों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया गया। इससे करीब 360 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन वी. के. यादव ने कहा कि भारतीय रेल ने प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए अब तक 4,450 श्रमिक स्पेशल ट्रेन चलायीं। यादव ने कहा, ‘‘ श्रमिक स्पेशल ट्रेन के लिए औसत किराया 600 रुपये प्रति यात्री रहा। यह मेल, एक्सप्रेस ट्रेन का सामान्य किराया है ना कि स्पेशल ट्रेन के लिए वसूला जाने वाला ऊंचा किराया। इन ट्रेनों के माध्यम से हमने करीब 60 लाख लोगों को उनके गंतव्य तक पहुंचाया। इनके परिचालन पर आयी लागत का करीब 15 प्रतिशत ही वसूल किया गया। जबकि 85 प्रतिशत राशि का वहन केंद्र सरकार द्वारा किया गया।’’
अधिकारी ने कहा कि एक प्रवासी श्रमिक ट्रेन की परिचालन लागत करीब 75 से 80 लाख रुपये है। यादव ने कहा कि अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने गंतव्य तक पहुंच चुके हैं। बहुत कम ऐसे मजदूर बचे हैं जो अब वापस अपने घरों को जाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि बचे हुए प्रवासी मजदूरों के लिए भी हम राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर रहे हैं। हमने उनसे तीन जून तक उनकी जरूरत के हिसाब से ट्रेनों की मांग बताने के लिए कहा था। अब तक हमें 171 श्रमिक स्पेशल ट्रेन उपलब्ध कराने के लिए कहा गया है।
यादव ने कहा, ‘‘14 जून तक हमने 222 श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन किया। उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद हमने राज्य सरकारों से फिर से उनकी अतिरिक्त ट्रेनों की मांग बताने को कहा है। जब तक राज्यों की ओर से मांग की जाती रहेगी हम ट्रेन का संचालन करते रहेंगे।’’ रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने दोहराया कि इन ट्रेनों का संचालन 85-15 प्रतिशत की केंद्र-राज्य भागीदारी पर किया गया।
ज्यादा तापमान वाले इलाके में कोविड-19 के डिब्बों को ठंडा रखने के लिए व्यवस्था की जाएगी : रेलवे
रेलवे ज्यादा तापमान वाले इलाके में कोविड-19 के पृथक-वास डिब्बे के भीतर मरीजों के लिए ज्यादा सुविधाजनक माहौल बनाने के लिए कोच की छत को ठंडा रखने की व्यवस्था करेगा। रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वी के यादव ने सोमवार को इस बारे में बताया। रेलवे ने चार राज्यों में अब तक 204 पृथक-वास डिब्बे भेजे हैं ।
ट्रेनों के ये डिब्बे कोविड-19 के देखभाल केंद्र के तौर पर काम करेंगे । रेलवे के पृथक-वास वार्ड में सभी डिब्बे गैर वातानुकूलित होंगे । यादव ने कहा, ‘‘कोविड-19 पृथक-वास के लिए गैर वातानुकूलित डिब्बे सबसे उपयुक्त हैं। जिन इलाकों में तापमान बहुत ज्यादा है वहां पर डिब्बों के भीतर तापमान कम करने के लिए कोच की छत को ठंडा रखने की व्यवस्था की जाएगी। ’’ रेलवे के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया कि रिसर्च डिजाइन एंड स्टेनडर्ड आर्गेनाइजेशन द्वारा तय मानक के तहत उत्तर और उत्तर मध्य मंडल में पृथक-वास के तौर पर तैयार 100 डिब्बों की छतों को ठंडा बनाने के लिए प्रयोग शुरू किए जा चुके हैं।
अधिकारी ने बताया कि इस महीने तक ये प्रक्रिया पूरी हो जाएगी और एक बार डिब्बे के भीतर पांच-छह डिग्री तक तापमान कम करने में कामयाबी के बाद रेलवे पृथक-वास के लिए सभी 5,000 डिब्बों में यह व्यवस्था करने की योजना बना रहा है । आईआईटी मुंबई द्वारा विकसित एक घोल का उपयोग करते हुए इन डिब्बों पर इसके लेपन की कीमत प्रति डिब्बा एक लाख रुपये खर्च होने की संभावना है और इससे तापमान 45 डिग्री से कम होकर 39 डिग्री के आसपास रहेगा। इससे पहले हमसफर एक्सप्रेस, जनशताब्दी एक्सप्रेस, अंत्योदय एक्सप्रेस के करीब 100 डिब्बों में भारत में निर्मित उत्पाद ‘3एम स्कॉचकोट पॉलीटेक एक्सपप आरजी 700’ का प्रयोग किया गया था। यह उत्पाद सूरज की रोशनी को परावर्तित करता है और धातु तथा गैर धातु सतह पर इसका इस्तेमाल किया जा सकता है ।
उन्होंने कहा कि मौजूदा सारी स्वास्थ्य सुविधाएं इस्तेमाल हो जाने की स्थिति में कोविड-19 डिब्बों को तैनात किया जा रहा है । उन्होंने कहा कि संदिग्ध और पुष्ट मरीजों को अलग-अलग रखा जाएगा । राष्ट्रीय राजधानी के लिए शकूर बस्ती रेलवे स्टेशन पर 50 डिब्बे लगाए गए हैं जिसमें 800 बेड की व्यवस्था है। हालांकि अभी तक इनमें से किसी का भी इस्तेमाल नहीं हो पाया है । यादव ने कहा, ‘‘कोविड-19 के मरीजों के लिए दिल्ली में 500 और पृथक-वास डिब्बे भेजे जाने है और हम उन स्टेशनों पर गौर कर रहे हैं कि कहां पर इन्हें रखा जा सकता है।’’
उन्होंने कहा कि रेलवे ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का परिचालन करते हुए 60 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्य पहुंचाया है । उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार के अनुरोध के बाद मुंबई में सीमित तौर पर उपनगरीय सेवा शुरू की गयी है । इसके तहत मध्य रेलवे में 100 जोड़ी, पश्चिमी रेलवे में 73 जोड़ी ट्रेनों की सेवा शुरू की गयी है । केवल जरूरी सेवा से जुड़े लोग ही इन ट्रेनों में सफर कर पाएंगे ।