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आईसीएमआर 15 अगस्त तक कोरोना की वैक्सीन लॉन्च की तैयारी में, कई सवाल खड़े, दुविधा में सरकार !

By एसके गुप्ता | Updated: July 3, 2020 21:39 IST

आईसीएमआर ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी, पुणे और भारत बायोटेक के सहयोग से विकसित होने वाली वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ के ट्रायल में तेजी लाने के लिए दर्जन भर से ज्यादा संस्थानों को पत्र लिखकर 7 जुलाई तक वैक्सीन के मानव परीक्षण के लिए निर्देश जारी किए हैं। 

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ठळक मुद्देआईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने भारत बायोटेक को पत्र लिखकर कोरोना की दवा के मानवीय ट्रायल पर तेज गति से काम करने को कहा है।सवा महीने के ट्रायल पर क्या कोई वैक्सीन लॉन्च हो सकती है? इस सवाल का जवाब भारत सरकार के पास नहीं है और आईसीएमआर ने सवाल पर चुप्पी लगा रखी है।वैक्सीन को आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने सार्स कोव-2 के स्ट्रेन से अलग करके तैयार किया है।

नई दिल्लीः भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने देश की पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन 15 अगस्त तक लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है।

आईसीएमआर ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी, पुणे और भारत बायोटेक के सहयोग से विकसित होने वाली वैक्सीन ‘कोवाक्सिन’ के ट्रायल में तेजी लाने के लिए दर्जन भर से ज्यादा संस्थानों को पत्र लिखकर 7 जुलाई तक वैक्सीन के मानव परीक्षण के लिए निर्देश जारी किए हैं। 

आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने भारत बायोटेक को पत्र लिखकर कोरोना की दवा के मानवीय ट्रायल पर तेज गति से काम करने को कहा है। जिससे ट्रायल नतीजे 15 अगस्त तक आ जाएं। हालांकि सवा महीने के ट्रायल पर क्या कोई वैक्सीन लॉन्च हो सकती है? इस सवाल का जवाब भारत सरकार के पास नहीं है और आईसीएमआर ने सवाल पर चुप्पी लगा रखी है।

भारत बायोटेक को हाल ही में कोरोना वैक्सीन कोवाक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल का जिम्मा मिला था। आईसीएमआर डीजी डा. भार्गव के इस पत्र में लिखा है कि भारत द्वारा कोरोना की दवा के विकास का ये पहला बड़ा प्रयास और बड़ा प्रोजेक्ट है।

सरकार की भी इस पर नजर है और इसे प्राथमिकता के आधार पर आगे बढ़ाना होगा। वैक्सीन को आईसीएमआर-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने सार्स कोव-2 के स्ट्रेन से अलग करके तैयार किया है। पुणे आईसीएमआर और बीबीआईएल ने संयुक्त रूप से मिलकर इसे क्लीनिकल ट्रायल के लिए तैयार किया है।

सभी 12 संस्थानों के डीन और चिकित्सकीय सलाहकारों को लिखे पत्र में आईसीएमआर ने कहा है कि सभी क्लिनिकल ट्रायलों (नैदानिक परीक्षणों) के पूरा होने के बाद 15 अगस्त तक सार्वजनिक स्वास्थ्य उपयोग के लिए वैक्सीन लॉन्च करने की योजना बनाई गई है। भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) लक्ष्य को पूरा करने के लिए तेजी से काम कर रहा है। हालांकि अंतिम परिणाम इस परियोजना में शामिल सभी परीक्षण संस्थानों के सहयोग पर निर्भर करेगा।

क्लीनिकल ट्रायल के लिए 12 संस्थानों का चयन

आईसीएमआर ने देश के पहले स्वदेशी कोविड-19 टीके के क्लीनिकल ट्रायल के लिए 10 संस्थानो और दो चिकित्सक सलाहकारों का चयन किया है, जिनमें दिल्ली का एम्स अस्पताल भी शामिल है। एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया को आईसीएमआर की ओर से लिखा पत्र मिल चुका है। कोरोना वायरस टीके के मानव क्लीनिकल ट्रायल शुरू करने के लिए विभाग में चर्चा के बाद ही फैसला लिया जाएगा।

इन इंस्टीट्यूट को ट्रायल के लिए किया गया है शामिल

नागपुर स्थित गिल्लुरकर मल्टीस्पेशलिस्ट हॉस्पिटल, दिल्ली एम्स, आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम स्थित किंग जॉर्ज हॉस्पिटल, रोहतक स्थित पंडित बीडी शर्मा पीजीआईएमएस यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस, पटना एम्स, कर्नाटक स्थित जीवन रेखा हॉस्पिटल, गोरखपुर स्थित राणा हास्पिटल प्राइवेट लिमिटेड, तमिलनाडु स्थित एसआरएम मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर, तेलंगाना स्थित निजाम इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज पुंजगुट्‌टा, उत्तर प्रदेश स्थित प्रखर हॉस्पिटल प्राइवेट लिमिटेड कानपुर, शामिल हैं। इनके अलावा गोवा से डा. सागर विवेक रेडकर और ओडिशास  डा. गंगाधर साहू को बतौर कंसल्टेंट शामिल किया गया है।

क्या सवा महीने के मानवीय परीक्षण के आधार पर किसी वैक्सीन को लॉन्च किया जा सकता है

क्या सवा महीने के मानवीय परीक्षण के आधार पर किसी वैक्सीन को लॉन्च किया जा सकता है। आईसीएमआर के डीजी की ओर से लिखे गए पत्र पर आप क्या कहेंगी। जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय सचिव डा. प्रीति सुदान ने कहा कि यह पत्र डीजी आईसीएमआर ने लिखा है इसलिए वही ज्यादा बेहतर बता सकते हैं। मैं इस बारे में कुछ नहीं कहूंगी। आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव से कई बार संपर्क किया गया और संदेश भी छोड़ा गया। लेकिन उन्होंने इस संबंध में पलटकर कोई जवाब नहीं दिया। 

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