कोरोना वायरस संकट: ऑडिटर कंपनियों की डिफाल्ट आशंका का आकलन करते हुए सावधानी बरतें
By भाषा | Published: March 30, 2020 05:58 AM2020-03-30T05:58:12+5:302020-03-30T05:58:12+5:30
आईसीएआई के सदस्य वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर कंपनियों, बैंक शाखाओं के खातों का आडिट करते हैं। गुपता ने कहा कि बैंक शाखओं के ऑडिट के लिये समयसीमा को बढ़ाकर 30 जून कर दिया गया है जबकि इससे पहले इसे 20 अप्रैल तक बढ़ाया गया था।
नई दिल्लीः चार्टर्ड अकाउटेंट की संस्था आईसीएआई ने लेखाकारों को सतर्क करते हुये कहा है कि तीन महीने बाद कंपनियों के कामकाज की समीक्षा करते हुये उन्हें उनके डिफाल्ट होने की संभावनाओं के आकलन को लेकर अधिक सावधानी बरतनी होगी। इंस्टीट्यूट आफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स आफ इंडिया (आईसीएआई) के अध्यक्ष अतुल कुमार गुप्ता ने इस संबंध में विस्तृत परामर्श भी जारी किया है।
देश दुनिया मे कोरोना वायरस के प्रसार को देखते हुये वित्तीय लेखों की रिपोर्टिंग में सावधानी बरतने की इसमें सलाह दी गई है। ‘वित्तीय सूचना और आडीटर विवेचन पर कोरोना वायरस के प्रभाव’ के बारे में जारी इस पराशर्म में उन विभिन्न क्षेत्रों का उल्लेख किया गया है जिनका वित्त वर्ष 2019- 20 का वित्तीय लेखा जोखा तैयार करते समय ध्यान रखना होगा।
आईसीएआई के सदस्य वित्तीय वर्ष की समाप्ति पर कंपनियों, बैंक शाखाओं के खातों का आडिट करते हैं। गुपता ने कहा कि बैंक शाखओं के ऑडिट के लिये समयसीमा को बढ़ाकर 30 जून कर दिया गया है जबकि इससे पहले इसे 20 अप्रैल तक बढ़ाया गया था।
रिजर्व बेंक ने भी सभी तरह के कंपनियों के कर्ज भुगतान की किस्तों सहित खुदरा और कारर्पोरेट रिणों के भुगतान पर तीन माह के लिये रोक लगा दी है। गुप्ता ने कहा कि इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुये आडिटरों को इस बात पर ज्यादा ध्यान देना होगा कि क्या कोई भी खाता सचमुच में गैर- निष्पादित राशि (एनपीए) हुआ है अथवा नहीं।