कोटा अस्पताल में बच्चों के मरने का सिलसिला जारी, अब तक 100 की मौत, जांच दल ने कहा- उपचार में कोई कोताही नहीं बरती गई

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: January 1, 2020 07:19 PM2020-01-01T19:19:58+5:302020-01-01T20:00:26+5:30

राजस्थान में कोटा के एक अस्पताल में मासूमों की मौत की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मासूमों के उपचार में कोई कोताही नहीं बरती गई।

Continuation of death of children continues in Kota Hospital, 100 deaths so far, investigation team said - no treatment was taken | कोटा अस्पताल में बच्चों के मरने का सिलसिला जारी, अब तक 100 की मौत, जांच दल ने कहा- उपचार में कोई कोताही नहीं बरती गई

गालरिया ने कहा, “समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अस्पताल अपनी क्षमता से 150 प्रतिशत अधिक काम कर रहा है।

Highlightsतीन सदस्यीय जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अस्पताल अपनी क्षमता से 150 प्रतिशत अधिक पर काम कर रहा है।सचिव वैभव गालरिया ने बताया कि जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार 10 में से आठ बच्चों को गंभीर हालत में अन्य अस्पतालों से यहां भेजा गया था।

राजस्थान में कोटा के एक अस्पताल में मासूमों की मौत का सिलसिला जारी है। आज फिर से 9 बच्चों की मौत हो गई। अभी तक 100 की मौत हो चुकी है। उल्लेखनीय है कि कोटा के जे के लोन अस्पताल में 23—24 दिसम्बर को दस मासूमों की मौत हो गई थी।

राजस्थान के कोटा जिले के जेके लोन अस्पताल में दिसंबर के अंतिम दो दिन में कम से कम नौ और शिशुओं की मौत हो गई। इसके साथ ही इस महीने अस्पताल में मरने वाले शिशुओं की संख्या 100 हो गई है। अधिकारियों ने बुधवार को यह जानकारी दी।

गत 23-24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर अस्पताल में 10 शिशुओं की मौत को लेकर काफी हंगामा हुआ था। हालांकि, अस्पताल के अधिकारियों ने कहा था कि यहां 2018 में 1,005 शिशुओं की मौत हुई थी और 2019 में उससे कम मौतें हुई हैं।

अस्पताल के अधीक्षक के अनुसार अधिकतर शिशुओं की मौत मुख्यत: जन्म के समय कम वजन के कारण हुई। मंगलवार को लॉकेट चटर्जी, कांता कर्दम और जसकौर मीणा समेत भाजपा सांसदों के एक संसदीय दल ने अस्पताल का दौरा कर उसकी हालत पर चिंता जतायी थी।

दल ने कहा कि एक ही बेड पर दो-तीन बच्चे थे और अस्पताल में पर्याप्त नर्सें भी नहीं हैं। इससे पहले राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने राज्य की कांग्रेस सरकार को नोटिस जारी किया था। आयोग के अध्यक्ष प्रियांक कानूनगो ने कहा था, "अस्पताल परिसर के भीतर सुअर घूमते पाए गए।" राजस्थान सरकार की एक समिति ने कहा कि शिशुओं का सही इलाज किया जा रहा है।

राजस्थान में कोटा के एक अस्पताल में मासूमों की मौत की जांच के लिए राज्य सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि मासूमों के उपचार में कोई कोताही नहीं बरती गई।

तीन सदस्यीय जांच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि अस्पताल अपनी क्षमता से 150 प्रतिशत अधिक पर काम कर रहा है और अस्पताल में बेहतर चिकित्सा देखभाल के लिए और सुधार की आवश्यकता है। राजस्थान में चिकित्सा शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया ने बताया कि जांच समिति की रिपोर्ट के अनुसार 10 में से आठ बच्चों को गंभीर हालत में अन्य अस्पतालों से यहां भेजा गया था, जबकि दो बच्चों का जन्म अस्पताल में ही हुआ था।

उन्होंने बताया कि सभी को उचित उपचार दिया गया था। कमेटी ने मेडिकल रिकार्ड की जांच की और पाया कि जिनको वेंटीलेटर पर रखने की जरूरत थी, उन्हें उचित उपचार दिया गया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा जिन 10 मासूमों की मौत हुई है, वे समय से पहले जन्म के कारण अधिक जोखिम में थे।

गालरिया ने कहा, “समिति ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि अस्पताल अपनी क्षमता से 150 प्रतिशत अधिक काम कर रहा है। अस्पताल में आने वाले मरीजों की संख्या की तुलना में बिस्तर कम हैं। इसी तरह की स्थिति आईसीयू में भी है। बिस्तर की संख्या बढ़ाने की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा कि मासिक आधार पर अस्पताल में फैले संक्रमण के नमूने लेने के निर्देश दिए गए हैं। इससे पहले ये नमूने तीन माह में एक बार लिये जा रहे थे। वहीं आईसीयू और एनआईसीयू में आक्सीजन की आपूर्ति सिलेंडर के बजाय पाइपलाइन के जरिये करने के निर्देश भी दिये गये है। सचिव ने कहा कि अस्पताल अधीक्षक को उनके पद से हटा दिया गया है क्योंकि अस्पताल में बहुत से यंत्र वार्षिक सुधार प्रक्रिया नहीं होने के कारण बेकार पड़े हुए थे।

राज्य सरकार द्वारा गठित तीन सदस्यीय जांच दल में डॉक्टर अमरजीत मेहता, डॉक्टर रामबाबू शर्मा और डॉक्टर सुनील भटनागर शामिल थे। उल्लेखनीय है अस्पताल में इस महीने 30 दिसम्बर तक 91 नवजातों की मौत हो चुकी है। कल राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के एक दल ने अस्पताल का निरीक्षण किया और कहा कि वहां की स्थिति बहुत खराब है, दरवाजे खिड़कियां टूटे हुए हैं, कर्मचारियों की कमी है और अस्पताल परिसर में सूअर घूमते नजर आते है।

इस मुद्दे पर भाजपा ने राज्य की कांग्रेस सरकार को घेरते हुए चार सांसदों के दल का गठन किया है, जिसमें जसकौर मीणा, लोकेट चटर्जी, भारती पंवार और कांता करदम शामिल हैं। ये दल तीन दिन में अपनी रिपोर्ट पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जे पी नड्डा को देगा। सांसदों की जांच कमेटी ने आज अस्पताल का दौरा किया।

पश्चिमी बंगाल की महिला मोर्चे की प्रदेश अध्यक्ष और हूगली से सांसद लोकेट चटर्जी ने आरोप लगाया कि गहलोत झारखंड में जाकर जश्न मना रहे है, जबकि उनके पास मासूमों की मां के आसूं पोछने का समय नहीं है। चटर्जी ने मंगलवार को अस्पताल में मासूमों की मौत के बारे में जानकारी लेने के बाद संवाददाताओं से कहा, “मासूम बच्चों की मौत लेकर यहां गंभीर परेशानी चल रही है, लेकिन राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत झारखंड जाकर सरकार का जश्न मना रहे हैं।” उन्होंने मांग की कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को यहां आना होगा।

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