जब कांग्रेस ने राम मंदिर निर्माण के लिए लाया था अध्यादेश, बीजेपी ने किया था जबरदस्त विरोध

By विकास कुमार | Published: January 5, 2019 03:30 PM2019-01-05T15:30:49+5:302019-01-05T16:55:04+5:30

कांग्रेस के तत्कालीन गृहमंत्री एसबी चव्हाण ने कहा था, "देश के लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की भावना बनाए रखना जरूरी है।" देश के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने अध्यादेश को 7 जनवरी 1993 को मंजूरी दिया था।

Congress PM Narsimha Rao proposed a ordinance in 1993, BJP opposed in parliament | जब कांग्रेस ने राम मंदिर निर्माण के लिए लाया था अध्यादेश, बीजेपी ने किया था जबरदस्त विरोध

जब कांग्रेस ने राम मंदिर निर्माण के लिए लाया था अध्यादेश, बीजेपी ने किया था जबरदस्त विरोध

हाल ही में पीएम मोदी ने एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में कहा था कि राम मंदिर पर तब तक अध्यादेश नहीं लाया जा सकता जब तक यह मामला अदालत के समक्ष विचारनीय है। उनके इस बयान का विश्व हिन्दू परिषद ने जबरदस्त विरोध किया था। क्योंकि इसके पहले कई मौकों पर बीजेपी के कई नेता राम मंदिर के निर्माण के लिए अध्यादेश लाने की बात कह चुका है। 

आज बीजेपी के कई नेता भले ही अध्यादेश का विकल्प गिना रहे हैं, लेकिन एक सच्चाई ये भी है कि बीजेपी राम मंदिर को लेकर संसद में आये अध्यादेश का 25 साल पहले ही जबरदस्त विरोध कर चुकी है। 1993 में नरसिम्हा राव देश के प्रधानमंत्री थे। उनके कार्यकाल के दौरान तत्कालीन गृह मंत्री एस।बी।चौहान ने यह बिल संसद में पेश किया था, लेकिन पेश करते ही भाजपा ने इसका जबरदस्त विरोध किया था। बीजेपी ने इसे हिन्दुओं के साथ भेदभाव बताया था। 

इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक बिल को पेश करते हुए तत्कालीन गृहमंत्री एसबी चव्हाण ने कहा था, "देश के लोगों में सांप्रदायिक सौहार्द और भाईचारे की भावना बनाए रखना जरूरी है।" देश के तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा ने अध्यादेश को 7 जनवरी 1993 को मंजूरी दिया था। ये अध्यादेश बाबरी मस्जिद गिराए जाने के एक महीने बाद ही संसद में पेश किया था। 

कांग्रेस निकालना चाहती थी हल 

नरसिम्हा राव की सरकार 2.77 एकड़ की विवादित भूमि ही नहीं बल्कि इसके आसपास के 60 एकड़ जमीन का अधिग्रहण भी करने जा रही थी। कांग्रेस की सरकार उस पर राम मंदिर, एक मस्जिद और म्यूजियम बनाना चाहती थी। बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष एस।एस भंडारी ने इसे पक्षतापूर्ण, तुच्छ और प्रतिकूल बताते हुए विरोध किया था। 

नरसिम्हा राव सरकार ने अनुच्छेद 143 के तहत सुप्रीम कोर्ट से भी इस मसले पर सलाह मांगी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राय देने से मना कर दिया था। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से पूछा था कि क्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद की विवादित जमीन पर पहले कोई हिंदू मंदिर या हिंदू ढांचा था? 

हाल के दिनों में राम मंदिर को लेकर संघ ने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बढ़ाया है।  लेकिन नरेन्द्र मोदी और अमित शाह बार-बार कोर्ट के फैसले का इंतजार करने की दलील दे रहे हैं।  वहीं बीजेपी के कई नेता राम मंदिर के निर्माण को लेकर तत्परता दिखा रहे हैं।  संत समाज, विहिप और संघ के दबाव के बाद मोदी सरकार के लिए राम मंदिर के मुद्दे को ज्यादा समय तक टालना मुश्किल होगा। 
 

Web Title: Congress PM Narsimha Rao proposed a ordinance in 1993, BJP opposed in parliament

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे