CJI दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग मसले पर सुप्रीम कोर्ट पहुँचे कांग्रेस सांसदों ने वापस ली याचिका
By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: May 8, 2018 11:44 IST2018-05-08T11:31:42+5:302018-05-08T11:44:56+5:30
कांग्रेस के दो सांसदों ने राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू द्वारा सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा के खिलाफ उच्च सदन में दी गयी महाभियोग नोटिस खारिज किए जाने के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर आज पांच जजों की बेंच सुनवाई करने वाली थी।

cji dipak misra impeachement
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) दीपक मिश्रा के महाभियोग की नोटिस खारिज होने के फैसले के खिलाफ सर्वोच्च अदालत पहुंचे दो कांग्रेसी सांसदों ने मंगलवार (आठ मई) को अपनी याचिका वापस ले ली है। राज्य सभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने कांग्रेस समेत सात दलों के सीजेआई दीपक मिश्रा के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने की नोटिस को खारिज कर दिया था। वेंकैया नायडू के इस फैसले के खिलाफ कांग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा और अमी याग्निक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। सुप्रीम कोर्ट की पाँच जजों की बेंच आज इस याचिका पर सुनवाई करने वाली थी।
कांग्रेस नेताओं की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति ए के सिकरी, न्यायमूर्ति एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति एन वी रमण, न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की पांच सदस्यीय संविधान पीठ याचिका पर सुनवाई करने वाले थे। इस याचिका पर सुनवाई करने वाले पीठ में सुप्रीम कोर्ट के जजों के वरिष्ठता के क्रम में दूसरे से पांचवें स्थान तक के न्यायधीशों को नहीं शामिल किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के जजों में पांच से चार सबसे वरिष्ठ जजों ने सीजेआई दीपक मिश्रा के कामकाज और सुप्रीम कोर्ट में मुकदमों के आवंटन के खिलाप पत्रकार वार्ता करके अपनी असहमति जाहिर की थी।
महाभियोग प्रस्ताव: भारत के मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा पर कांग्रेस ने लगाए हैं ये पाँच आरोप
कांग्रेस सांसदों ने अपनी याचिका में कहा था कि उपराष्ट्रपति को महाभियोग प्रस्ताव लाने का नोटिस खारिज करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। कांग्रेस सांसदों का दावा था कि महाभियोग लाने के लिए जरूरी न्यूनतम सांसदों के दस्तखत होने पर उपराष्ट्रपति को कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी एक्ट के तहत सीजेआई के खिलाफ लगे आरोपों की जाँच करानी चाहिए थी।
राज्य सभा में सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के कार्यरत न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए उच्च सदन के 50 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। लोक सभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के हस्ताक्षर की जरूरत होती है। कांग्रेस ने राज्य सभा सभापति वेंकैया नायूड को जो नोटिस दिया था उसमें 64 राज्य सभा सांसदों का हस्ताक्षर था। नोटिस पर सात ऐसे सांसदों का भी दस्तखत था जो रिटायर हो चुके हैं।
सात मई को इस मामले को कोर्ट नंबर 2 में जस्टिस जे चेलमेश्वर की अदालत में कपिल सिब्बल ने उठाया था। जहां जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा था कि वह मंगलवार( 8 मई) को देखेंगे, लेकिन शाम को सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुकदमों के आवंटन की सूची में ये मामला जस्टिस ए के सिकरी, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमण, जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस आदर्श कुमार गोयल की पांच सदस्यीय संविधान पीठ को आवंटित कर दिया गया।
यह भी पढ़ें- एचडी देवगौड़ाः ज्यादा होशियारी ने औंधे मुंह गिराया, इसबार बन सकते हैं किंगमेकर
राज्यसभा के सभापति और उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने 23 अप्रैल को उन्होंने महाभियोग प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा था कि चीफ जस्टिस के खिलाफ लगाए गए आरोप अस्पष्ट और संदेह है।
लोकमत न्यूज के लेटेस्ट यूट्यूब वीडियो और स्पेशल पैकेज के लिए यहाँ क्लिक कर के सब्सक्राइब करें