संचार क्रांति, घोटाले और फिर जेल, 5 बार विधायक तो 3 बार सांसद रहे सुखराम का ऐसा रहा राजनीतिक सफर
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: May 11, 2022 05:21 PM2022-05-11T17:21:35+5:302022-05-11T17:57:33+5:30
साल 20111 में सुखराम को अपने कार्यकाल के दौरान निजी फर्म हरियाणा टेलीकॉम लिमिटेड (HTL) को 3.5 लाख कंडक्टर किलोमीटर (LCKM) पॉलीथिन इंसुलेटेड जेली फिल्ड (PIJF) केबल की आपूर्ति के लिए 30 करोड़ रुपये का ठेका देने में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने का दोषी ठहराया गया था।
नई दिल्लीः कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम नहीं रहे। 95 साल की उम्र में बुधवार उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। वे 60 के दशक से राजनीति में सक्रिय थे। लेकिन उनका राजनीतिक जीवन काफी विवादों भरा रहा। एक तरफ जहां देश में उन्हें संचार क्रांति लानेवाला मसीहा के तौर पर याद किया गया तो वहीं दूसरी तरफ दूरसंचार मंत्री रहते उनपर भ्रष्टाचार के दाग भी लगे। साल 1996 में पीवी नरसिम्हा राव की सरकार में दिग्गज चेहरा रहे सुखराम के दिल्ली समेत मंडी के घरों पर सीबीआई के छापे पड़े, जहां से 4 करोड़ से अधिक रुपयों से भरे सूटकेस और बैग बरामद हुए। सुखराम पर आरोप था कि उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए कई निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाया।
सुखराम के खिलाफ सीबीआई ने आरोप पत्र दाखिल किए। साल 20111 में उन्हें अपने कार्यकाल के दौरान निजी फर्म हरियाणा टेलीकॉम लिमिटेड (HTL) को 3.5 लाख कंडक्टर किलोमीटर (LCKM) पॉलीथिन इंसुलेटेड जेली फिल्ड (PIJF) केबल की आपूर्ति के लिए 30 करोड़ रुपये का ठेका देने में अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग करने का दोषी ठहराया गया। सीबीआई ने 1998 में दायर अपने आरोप पत्र में सुखराम पर एचटीएल को केबल आपूर्ति अनुबंध देने में अनुचित पक्ष दिखाने का आरोप लगाया था। सुखराम पर एचटीएल के चेयरमैन देविंदर सिंह चौधरी के साथ मुकदमा चलाया गया था, जिनकी सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। कोर्ट ने सुखराम को 19 नवंबर 2011 को पांच साल कैद की सजा सुनाई।
2009 में 4.25 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने के पाए गए दोषी
सुखराम पर तो यह भ्रष्टाचार का एक मामला था लेकिन 2009 में उनको 4.25 करोड़ रुपये की आय से अधिक संपत्ति रखने का भी दोषी ठहराया गया था। वहीं 2002 में, सुखराम को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत उपकरण आपूर्ति से संबंधित एक अलग मामले में तीन साल की जेल की सजा सुनाई गई थी। जिसके परिणामस्वरूप राज्य के खजाने को 1.66 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था। कांग्रेस नेता ने कथित तौर पर हैदराबाद स्थित एडवांस रेडियो मास्ट के प्रबंध निदेशक रामा राव को अनुचित लाभ प्रदान किया था।
1997 में 'हिमाचल विकास कांग्रेस' का गठन किया
सात बार के विधायक और तीन बार के सांसद सुखराम को उस समय कांग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था जब उनके बेटे अनिल शर्मा हिमाचल प्रदेश में मंत्री थे। 1997 में उन्होंने हिमाचल विकास कांग्रेस का गठन किया। 24 मार्च, 1998 को उन्हें प्रेम कुमार धूमल के नेतृत्व वाली भाजपा-एचवीसी सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, लेकिन भ्रष्टाचार के मामलों में उनके खिलाफ आरोप तय होने पर उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। इसी दौरान उनके बेटे अनिल शर्मा 1998 में राज्यसभा सदस्य बने।
पांच बार विधायक, तीन बार सांसद चुने गए
सुखराम के राजनीतिक कद का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने पांच बार विधानसभा चुनाव और तीन बार लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की थी। 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने मंडी विधानसभा सीट पर फिर जीत दर्ज की, लेकिन 2004 के लोकसभा चुनाव के लिए एक बार फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। उनके बेटे अनिल शर्मा ने 2007 और 2012 में मंडी विधानसभा से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीता। सुखराम अपने बेटे अनिल शर्मा और पोते आश्रय शर्मा के साथ 2017 विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा में शामिल हो गए थे। हालांकि, 2019 लोकसभा चुनाव से पहले आश्रय शर्मा को टिकट दिलाने के लिए वह और उनके पोते फिर कांग्रेस में शामिल हो गए। चुनाव में आश्रय शर्मा को हार का सामना करना पड़ा था। सुखराम के बेटे अनिल शर्मा मंडी से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक हैं।