पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबर ने बुधवार को दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी जमानत के लिए अर्जी दी है। फिलहाल वो आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग केस में 24 अक्टूबर तक प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं। अपनी याचिका में उन्होंने कहा है कि प्रवर्तन निदेशालय की गिरफ्तारी छवि खराब करने के लिए की गई है।
पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम को आईएनएक्स मीडिया भ्रष्टाचार मामले में दो महीने हिरासत में बिताने के बाद उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था लेकिन वह अभी रिहा नहीं हो सके क्योंकि इससे संबंधित धन शोधन के मामले में वह प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में हैं।
न्यायमूर्ति आर भानुमति, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय की तीन सदस्यीय खंडपीठ ने मंगलवार को पूर्व मंत्री पी चिदंबरम की याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय के 30 सितंबर का फैसला निरस्त करते हुये उन्हें जमानत देने का निर्णय सुनाया। पीठ ने कहा कि वह न तो ‘भागने के जोखिम’ वाले हैं और न ही मुकदमे की सुनवाई से उनके भागने की आशंका है। बहरहाल, शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि उसके आदेश का किसी भी अन्य कार्यवाही पर कोई असर नहीं होगा।
क्या है पूरा मामला
केन्द्रीय जांच ब्यूरो ने भ्रष्टाचार के मामले में चिदंबरम को 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था। जांच ब्यूरो ने यह मामला 15 मई, 2017 को दर्ज किया था। यह मामला 2007 मे वित्त मंत्री के रूप में पी चिदंबरम के कार्यकाल में विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड द्वारा आईएनएक्स मीडिया को 305 का विदेशी निवेश प्राप्त करने की मंजूरी में हुयी कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
इस बीच, सोमवार को विशेष अदालत ने इस मामले में सीबीआई द्वारा दाखिल आरोप पत्र का संज्ञान लिया है। इस आरोप पत्र में चिदंबरम, उनके पुत्र कार्ति और 12 अन्य आरोपी है। इन सभी पर आरोप है कि इन्होंने भ्रष्टाचार निवारण कानून और भारतीय दंड संहिता के तहत अपराध मानी गई गतिविधियों को अंजाम दे कर सरकारी कोष को नुकसान पहुंचाया।