Congress Convention: संघ विचारधारा संविधान के खिलाफ?, राहुल गांधी ने कहा- दीवार को गिरा देंगे जो एससी, एसटी, ओबीसी आरक्षण को, देखें वीडियो
By सतीश कुमार सिंह | Updated: April 9, 2025 20:18 IST2025-04-09T20:16:11+5:302025-04-09T20:18:23+5:30
Congress Convention: कांग्रेस ने लोगों के मुद्दों की समानता के आधार पर ‘इंडिया’ गठबंधन की स्थापना की और उसे कायम रखा, इस प्रयास को जारी रखने के लिए प्रतिबद्ध है।

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अहमदाबादः कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने एआईसीसी अधिवेशन में कहा कि नया वक्फ अधिनियम धार्मिक स्वतंत्रता और संविधान पर हमला है। हम 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा को तोड़ देंगे, तेलंगाना ने जो किया, उसे हम पूरे देश में करेंगे। हम उस दीवार को गिरा देंगे जो एससी, एसटी, ओबीसी के लिए आरक्षण को 50 प्रतिशत तक सीमित कर रही है। देश में जाति जनगणना कराना जरूरी, तेलंगाना में हमारी पार्टी ने इसका रास्ता दिखाया है। आरएसएस की विचारधारा संविधान के खिलाफ है, वे देश की सभी संस्थाओं को नियंत्रित करना चाहते हैं।
Brothers and sisters, the fight is about the Constitution. This Constitution was crafted by the Congress party, the people of India, Mahatma Gandhi ji, Ambedkar ji, Nehru ji and Sardar Patel ji. It's an ideological document reflecting the Congress party's values, not those of the… pic.twitter.com/nOfPiqhTGL
— Congress (@INCIndia) April 9, 2025
LIVE: Nyaypath | AICC Session | Ahmedabad, Gujarat. https://t.co/aPbFvWh8Fa— Congress (@INCIndia) April 9, 2025
Warm wishes to all members of the NSUI family on the occasion of its 55th Foundation Day!
For over five decades, NSUI has stood as an unwavering voice for students - championing their rights, empowering youth, and driving positive change across campuses and communities.
As we… pic.twitter.com/NZ0L4VsYqS— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 9, 2025
बीजेपी दलितों को मंदिर में नहीं जाने देती है, और अगर कोई चला जाए तो वे मंदिर को धुलवाते हैं – ये हमारा धर्म नहीं है।
हमारा धर्म वो है जो सबको इज़्ज़त देता है, हर व्यक्ति का आदर करता है।
कांग्रेस और बीजेपी में यही फर्क है – हमारे दिलों में सबके लिए मोहब्बत और इज़्ज़त है, जबकि… pic.twitter.com/jEYbdj80lD— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) April 9, 2025
कांग्रेस ने राष्ट्रवाद के मुद्दे को लेकर बुधवार को भारतीय जनता पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर निशाना साधा और आरोप लगाया कि ये “छद्म राष्ट्रवाद” वाले हैं जो पूर्वाग्रह से ग्रस्त हैं। पार्टी ने यहां साबरमती नदी के तट पर आयोजित अधिवेशन में पारित प्रस्ताव में राष्ट्रवाद और कई अन्य बिंदुओं को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और आरएसएस को घेरा है।
प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘राष्ट्रवाद के मायने देश की भू-भागीय अखंडता तो है ही, पर इस महान भूभाग में रहने वाले लोगों का सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक सशक्तीकरण भी है।’’ कांग्रेस ने इस बात पर जोर दिया कि राष्ट्रवाद का अर्थ सभी देशवासियों के लिए समान न्याय की अवधारणा है, वंचितों-पीड़ितों-शोषितों के अधिकारों की रक्षा एवं उत्थान है, सद्भावना और भाईचारे की डोर में देश को बांधना है तथा भारत के बहुलतावादी और उदारवादी आचार, विचार और व्यवहार से है। उसने दावा किया, ‘‘कांग्रेस का राष्ट्रवाद समाज को जोड़ने का है।
भाजपा-आरएसएस का राष्ट्रवाद समाज को तोड़ने का है। कांग्रेस का राष्ट्रवाद भारत की अनेकता को एकता में पिरोने का है। भाजपा-आरएसएस का राष्ट्रवाद भारत की अनेकता को खत्म करने का है।’’ कांग्रेस ने यह भी कहा कि कांग्रेस का राष्ट्रवाद देश की साझी विरासत में निहित है और भाजपा-आरएसएस का राष्ट्रवाद पूर्वाग्रह से ग्रस्त है।
उसने आरएसएस पर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘जिन संगठनों ने ‘‘स्वतंत्रता संग्राम’’, विशेषतः ‘‘भारत छोड़ो आंदोलन’’ का विरोध किया, वही आज राष्ट्रवाद के प्रमाण पत्र बांटने का ठेका लिए हुए हैं।’’ प्रस्ताव में आरोप लगाया गया है कि भाजपा-आरएसएस का छद्म राष्ट्रवाद सिर्फ सत्ता का अवसरवाद है। इसमें कहा गया है, ‘‘उनकी (भाजपा- आरएसएस) प्राथमिकता राष्ट्रीयता नहीं, सिर्फ सत्ताप्रियता है।
वे सत्ता को हथियाने और उसे बरकरार रखने के लिए देश को धर्म, जाति, क्षेत्रवाद, भाषा, पहनावा तथा खान-पान में बांट रहे हैं।’’ मुख्य विपक्षी दल ने कहा, ‘‘त्याग, बलिदान, बहुलतावाद और उदारवाद का कांग्रेस का रास्ता ही भारतीय राष्ट्रवाद है।’’ कांग्रेस ने प्रस्ताव में आरोप लगाया कि भाजपा पहली बार केंद्र सरकार में सत्ता में आई, तो उसने फरवरी 2000 में ‘संविधान की समीक्षा’ के लिए आयोग बनाकर संविधान पर आक्रमण की साजिश की, लेकिन उसके (कांग्रेस) राष्ट्रव्यापी विरोध के कारण भाजपा के मंसूबे कामयाब नहीं हो सके।
प्रस्ताव में कहा गया है कि वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में एक बार फिर भाजपा के नेताओं ने ‘400 पार’ का नारा देकर संविधान को बदलने की अपनी दुर्भावना का खुलकर इजहार किया, लेकिन देशवासियों ने एक बार फिर भाजपा की सत्ता को बैसाखियों पर लाकर उनकी बदनीयती पर पानी फेर दिया।
कांग्रेस ने आरोप लगाया कि इसके बावजूद 17 दिसंबर, 2024 को देश के गृह मंत्री ने राज्यसभा में बाबा साहेब आंबेडकर का अपमान किया। उसने आरोप लगाया कि सत्ताधारी सरकार का संवैधानिक संस्थाओं पर हमला बदस्तूर जारी है और संविधान पर हो रहे हमले की इस कड़ी में अब संघीय ढांचे पर सीधा प्रहार किया जा रहा है।
कांग्रेस ने दावा किया कि देश की शिक्षा प्रणाली पर, ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ के माध्यम से आक्रमण हो रहा है, जो ‘शैक्षणिक गुलामी’ तथा ‘शिक्षा के व्यवसायीकरण’ का नया औजार बन गई है। प्रस्ताव में कहा गया, ‘‘मणिपुर में भाजपाई सत्ता ने प्रायोजित हिंसा कराई, कानून-व्यवस्था तहस-नहस हो गई, गृहयुद्ध जैसे हालात बने रहे लेकिन संविधान की धज्जियां उड़ाकर भाजपाई सत्ता को लंबे समय तक बनाए रखा गया।
प्रधानमंत्री के पास मणिपुर के लोगों का दुख-दर्द जानने के लिए न समय है, न इच्छा।’’ कांग्रेस ने प्रस्ताव में दावा किया कि सत्ताधारी ताकतों द्वारा सत्ता के दुरुपयोग अथवा अनुचित दबाव द्वारा प्रत्येक संस्था पर किए जा रहे हमले से अब न्यायपालिका भी अछूती नहीं रही है। उसने कहा, ‘‘हाल में ही एक न्यायाधीश के घर से नकदी की बरामदगी यकीनन चिंताजनक है।
कांग्रेस पार्टी का स्पष्ट मत है कि निष्पक्ष एवं निर्भीक न्यायपालिका ही संवैधानिक मूल्यों तथा प्रजातंत्र की रक्षा की गारंटी है, पर यह भी सच है कि न्यायपालिका को स्वयं की जवाबदेही के मानक तथा मापदंड निर्धारित करने होंगे।’’ मुख्य विपक्षी दल ने कहा कि वह संघीय ढांचे पर हो रहे हर हमले से लोहा लेने की उसकी प्रतिबद्धता अटूट है, चाहे वह ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का पुरजोर विरोध हो, जम्मू-कश्मीर को संपूर्ण राज्य का दर्जा दिलाना हो, हमारी शिक्षा प्रणाली की स्वायत्ता एवं निष्पक्षता की बहाली हो या फिर समानतापूर्ण तथा न्यायसंगत परिसीमन सुनिश्चित करना हो।
पार्टी ने विपक्षी एकजुटता को जारी रखने पर भी जोर दिया। प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘कांग्रेस ने इसी रचनात्मक सहयोग तथा सामूहिक प्रयासों से न केवल कालांतर से समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों, परंतु जनता से जुड़े मुद्दों के आधार पर समान विचारधारा वाले अन्य मित्र दलों के साथ मिलकर ‘इंडिया’ गठबंधन का गठन किया।’’ उसने कहा, ‘‘समय-समय पर देश के समक्ष उठ रहे जनता के मुद्दों और समस्याओं को लेकर सत्ताधारी सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित करने के वास्ते भविष्य में भी हम मित्र दलों से सहयोग बनाए रखेंगे।’’