कांग्रेस का आरोप- सरकार राजद्रोह के कानून को खतरनाक बनाने में लगी है, विपक्ष की आवाज दबाने का हथियार बताया

By शिवेन्द्र कुमार राय | Published: June 2, 2023 05:38 PM2023-06-02T17:38:51+5:302023-06-02T17:40:19+5:30

भारत के विधि आयोग ने अपनी 279वीं रिपोर्ट में कहा है कि राजद्रोह कानून (भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए) को पूरी तरह निरस्त किए जाने की जरूरत नहीं है। अब कांग्रेस इस कानून को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर हमलावर है। कांग्रेस ने राजद्रोह कानून को विपक्ष की आवाज दबाने का हथियार बताया है।

Congress alleges that the government is trying to make the law of sedition dangerous | कांग्रेस का आरोप- सरकार राजद्रोह के कानून को खतरनाक बनाने में लगी है, विपक्ष की आवाज दबाने का हथियार बताया

केंद्र पर हमलावर हुई कांग्रेस, राजद्रोह कानून को विपक्ष की आवाज दबाने का हथियार बताया

Highlightsराजद्रोह कानून (भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए) इस समय सुर्खियों मेंविधि आयोग ने राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए जरूरी बतायाकेंद्र पर हमलावर हुई कांग्रेस, राजद्रोह कानून को विपक्ष की आवाज दबाने का हथियार बताया

नई दिल्ली: राजद्रोह कानून (भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए) इस समय सुर्खियों में है। दरअसल भारत के विधि आयोग ने  अपनी 279वीं रिपोर्ट में कहा है कि इसे पूरी तरह निरस्त किए जाने की जरूरत नहीं है। भारत के विधि आयोग ने भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए को पूरी तरह से निरस्त करने के बजाय इसमें कुछ संशोधनों के साथ प्रावधान को बनाए रखने का प्रस्ताव दिया है।

अब कांग्रेस इस कानून को लेकर सत्तारूढ़ भाजपा पर हमलावर है। एक कांफ्रेस में कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने आरोप लगाया कि राजद्रोह के कानून से व‍िपक्ष की आवाज दबाने की तकनीक पर काम हो रहा है।

अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, "सरकार राजद्रोह के कानून को भयानक-खतरनाक बनाने में लगी है। राजद्रोह के कानून से व‍िपक्ष की आवाज दबाने की तकनीक पर काम हो रहा है। मोदी सरकार आने के बाद से 2020 तक राजद्रोह के मामलों में करीब 30% की वृद्धि हुई है। कोरोनाकाल में ऑक्सीजन व अन्य समस्याओं के विरोध के मामले में 12 केस दर्ज हुए। 21 केस पत्रकारों के खिलाफ दर्ज हुए हैं। 27 केस CAA-NRC के मुद्दे से जुड़े हैं। वहीं, UP में इन मामलों की 60% जमानत याचिकाएं निरस्त होती हैं।"

बता दें कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124ए यानी कि राजद्रोह कानून के लेकर  भारत के विधि आयोग ने अपने सुझाव में कहा है कि राजद्रोह को आजीवन कारावास या 7 साल तक की अवधि के लिए जुर्माने के साथ दंडनीय बनाया जाना चाहिए। वर्तमान में अपराध 3 साल तक के कारावास या जुर्माने से दंडनीय है।  विधि आयोग ने राजद्रोह कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए यह सुझाव दिया कि केंद्र सरकार मॉडल दिशानिर्देश लाए।

पिछले साल, सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के खिलाफ असंतोष को दबाने के लिए प्रावधान के दुरुपयोग के संबंध में व्यक्त की गई चिंताओं पर ध्यान देते हुए राजद्रोह कानून को स्थगित रखने का आदेश दिया था। अब विधि आयोग ने सिफारिश की है कि राष्ट्र की एकता और अखंडता की रक्षा के लिए प्रावधान आवश्यक है। माना जा रहा है कि विधि आयोग की सिफारिश के बाद एक बार फिर राजद्रोह कानून का इस्तेमाल शुरू हो जाएगा। कांग्रेस इसी मुद्दे को लेकर सरकार पर हमलावर है।

Web Title: Congress alleges that the government is trying to make the law of sedition dangerous

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