सामुदायिक रसोईः सुप्रीम कोर्ट ने कसा नकेल, केंद्र, राज्यों पर लगा पांच लाख रु का जुर्माना, जानिए क्या है मामला
By भाषा | Published: February 10, 2020 06:47 PM2020-02-10T18:47:20+5:302020-02-10T18:47:20+5:30
शीर्ष अदालत ने कहा कि पांच राज्य-पंजाब, नगालैंड, कर्नाटक, उत्तराखंड व झारखंड और केंद्रशासित प्रदेश - अंडमान निकोबार, जिन्होंने जनहित याचिका पर अपना जवाब दायर किया है, वे जुर्माना नहीं देंगे। याचिकाकर्ता अरुण धवन की वकील असीमा मंडला ने कहा कि शीर्ष अदालत के नोटिस के पांच महीने गुजर गये लेकिन पांच राज्यों एवं एक केंद्रशासित प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने जवाब नहीं दाखिल किया।
उच्चतम न्यायालय ने देशभर में सामुदायिक रसोई बनाने का अनुरोध करने वाली जनहित याचिका पर हलफनामा दायर करने के अपने निर्देश का पालन नहीं होने पर केंद्र और राज्यों को फटकार लगाते हुए उन पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
न्यायमूर्ति एन वी रमन, न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रण्यम की पीठ ने सुबह सुनवाई के दौरान कहा कि यदि केंद्र और राज्य अगले 24 घंटे में हलफनामा दायर करते हैं तो उन्हें बस एक लाख रुपये जमा करने होंगे जबकि इतने समय में भी ऐसा नहीं कर पाते हैं उन्हें पांच लाख रुपये देने होंगे।
शीर्ष अदालत ने कहा कि पांच राज्य-पंजाब, नगालैंड, कर्नाटक, उत्तराखंड व झारखंड और केंद्रशासित प्रदेश - अंडमान निकोबार, जिन्होंने जनहित याचिका पर अपना जवाब दायर किया है, वे जुर्माना नहीं देंगे। याचिकाकर्ता अरुण धवन की वकील असीमा मंडला ने कहा कि शीर्ष अदालत के नोटिस के पांच महीने गुजर गये लेकिन पांच राज्यों एवं एक केंद्रशासित प्रदेश को छोड़कर अन्य राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों ने जवाब नहीं दाखिल किया।
उन्होंने कहा कि पांच साल तक के जिन बच्चों की मौत हो गयी है, उनमें से 69 फीसद की मौत कुपोषण की वजह से हुई और यही सही समय है कि राज्य सामुदायिक रसोई स्थापित करने के लिए कदम उठाएं। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसीटर जनल माधवी दिवान ने जनहित याचिका पर जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त मांगा।
उच्चतम न्यायालय ने 18 अक्टूबर को सामुदायिक रसोई बनाने का समर्थन किया था और कहा था कि भुखमरी की समस्या से निपटने के लिए देश को इस प्रकार की प्रणाली की आवश्यकता है। इसने जनहित याचिका पर जवाब मांगते हुए केंद्र और सभी राज्यों को नोटिस जारी किया था।
याचिका में न्यायालय से सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को भुखमरी और कुपोषण का मुकाबला करने के लिए सामुदायिक रसोई की योजना तैयार करने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है। इसमें दावा किया गया है कि हर रोज भुखमरी और कुपोषण के चलते पांच साल तक के कई बच्चों की जान चली जाती है तथा यह दशा नागरिकों के भोजन एवं जीवन के अधिकार समेत कई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
अरुण धवन, इशान धवन और कुंजना सिंह ने यह जनहित याचिका दायर कर न्यायालय से सार्वजनिक वितरण योजना के बाहर रह गए लोगों के लिए केंद्र को राष्ट्रीय फूड ग्रिड तैयार करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया है।