कोयला घोटाला मामलाः हरीश चंद्र गुप्ता को तीन साल की जेल, लेकिन इसलिए रहेंगे बाहर
By रामदीप मिश्रा | Published: December 5, 2018 03:10 PM2018-12-05T15:10:59+5:302018-12-05T17:28:44+5:30
मंगलवार को स्पेशल जज भारत पराशर ने मामले में सुनवाई करते हुए इन लोगों को दोषी ठहराया था। सीबीआई ने अदालत से इन दोषियों को अधिकतम 7 साल की सजा सुनाने और प्राइवेट फर्म के ऊपर भारी जुर्माना लगाने की मांग की है थी।
चर्चित कोयला घोटाला मामले में दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बुधवार (पांच दिसंबर) को पूर्व कोयला सचिव हरीश चंद्र गुप्ता सहित दो अन्य लोगों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है, जबकि दो अन्य व्यक्तियों को चार-चार साल की सजा सुनाई गई है।
सजा के ऐलान के बाद पटियाला हाउस कोर्ट ने हरीश चंद्र गुप्ता और दो अन्य सरकारी कर्मचारियों को जमानत दी है। हालांकि कोर्ट ने तीनों को एक लाख रुपये के बॉन्ड भरने और एक निश्चित राशि का भुगतान करने के लिए कहा है। बता दें, दोषियों ने पश्चिम बंगाल में नियमों को ताक पर रख कर एक प्राइवेट फर्म को अवैध तरीके से कोल ब्लाक आवंटित किए थे।
Delhi's Patiala House Court grants bail to the HC Gupta (former Coal Secretary) and two other public servants. All have to furnish a personal bond of rupees one lakh and one surety amount. https://t.co/VjtWTNBCSQ
— ANI (@ANI) December 5, 2018
उल्लेखनीय है कि मंगलवार को स्पेशल जज भारत पराशर ने मामले में सुनवाई करते हुए इन लोगों को दोषी ठहराया था। सीबीआई ने अदालत से इन दोषियों को अधिकतम 7 साल की सजा सुनाने और प्राइवेट फर्म के ऊपर भारी जुर्माना लगाने की मांग की है थी।
हरीश चंद्र गुप्ता के वकील ने कोर्ट से सजा में नमी बरतने की अपील की थी। उन्होंने कोर्ट में कहा था कि गुप्ता की उम्र 70 साल से ज्यादा है और कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त है। उनका परिवार उनके पेंशन पर ही पूरी तरह से आश्रित है।
30 नवम्बर को अदालत ने पूर्व सचिव सहित प्राइवेट फर्म विकास मेटल्स एंड पावर लिमिटेड को भी दोषी पाया था। कोर्ट ने प्राइवेट फर्म के मालिक विकास पतनी को भी दोषी ठहराया था। कोर्ट ने पूर्व सचिव को भ्रष्टाचार और आपराधिक साजिश के तहत दोषी पाया था।
हरीश चंद्र गुप्ता 2006-2008 तक कोल ब्लाक आवंटन के स्क्रीनिंग समिति के अध्यक्ष थे। कोयला घोटाला यूपीए सरकार के समय हुआ था। इसे देश के इतिहास में सबसे बड़ा घोटाला बताया गया था। कांग्रेस पार्टी के खिलाफ इस घोटाले ने एक राजनीतिक माहौल बनाया था जिसका खामियाजा कांग्रेस को 2014 लोकसभा चुनाव में उठाना पड़ा था।