कोल इंडिया हड़ताल: कॉमर्शियल माइनिंग के विरोध में, 319 करोड़ का नुकसान, 40 लाख टन कोयला उत्पादन प्रभावित, जानिए क्या है मांग
By भाषा | Published: July 2, 2020 06:48 PM2020-07-02T18:48:13+5:302020-07-02T18:48:13+5:30
वाणिज्यिक कोयला खनन को लेकर कोल इंडिया में मजदूर हड़ताल पर चले गए हैं। 40 लाख टन कोयला प्रभावित हो सकता है। इसके कारण 319 करोड़ का नुकसान होने की संभावना है।
नई दिल्लीः सरकार के वाणिज्यिक कोयला खनन की इजाजत देने के विरोध में कोल इंडिया के मजदूर संगठनों की तीन दिवसीय हड़ताल बृहस्पतिवार से शुरू हुई। इससे करीब 40 लाख टन कोयला उत्पादन प्रभावित हो सकता है।
कोल इंडिया के कर्मचारी संगठनों की बृहस्पतिवार से शुरू हुई तीन दिन की हड़ताल से झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और ओडिशा जैसे कोयला उत्पादक राज्यों को कुल 319 करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान होने का अनुमान है।
सरकार के कोयला के वाणिज्यिक खनन को अनुमति देने के फैसले के विरोध में यह हड़ताल बुलायी गयी है। श्रमिक संगठनों की इस हड़ताल से लगभग 40 लाख टन कोयला उत्पादन के नुकसान की आशंका है। कोयला मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार, इस हड़ताल के कारण राज्यों को राजस्व में 319 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है।
इसमें ओडिशा को सर्वाधिक लगभग 70 करोड़ रुपये की हानि होने का अनुमान है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ को 66 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश और झारखंड को 61-61 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 27 करोड़ रुपये, पश्चिम बंगाल को 23 करोड़ रुपये और उत्तर प्रदेश को 11 करोड़ रुपये का नुकसान होने का अनुमान है।
कोल इंडिया प्रति दिन औसतन 15 लाख टन कोयले का उत्पादन करती है
अधिकारी ने कहा कि कोल इंडिया प्रति दिन औसतन 15 लाख टन कोयले का उत्पादन करती है। इससे लगभग 106 करोड़ रुपये का राजस्व राज्यों के खजाने में जाता है। कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी ने दिसंबर में संसद को सूचित किया था कि सरकार ने 2013-14 से 2018-19 तक कोल इंडिया से राजस्व में 2.03 लाख करोड़ रुपये का संग्रह किया है।
प्राप्त कुल राजस्व में से, 2018-19 में अधिकतम 44,826.43 करोड़ रुपये मिले थे। इससे पहले 2017-18 में 44,046.57 करोड़ रुपये जबकि 2019-20 में 44,068.28 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ। इसी तरह 2015-16 में सरकार को कोल इंडिया से 29,084.11 करोड़ रुपये, 2014-15 में 21,482.21 करोड़ रुपये और 2013-14 में 19,713.52 करोड़ रुपये का राजस्व मिला।
असम, छत्तीसगढ़, जम्मू और कश्मीर, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मेघालय, ओडिशा, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल प्रमुख कोयला उत्पादक राज्य हैं। कोल इंडिया की ट्रेड यूनियनें अन्य मुद्दों के साथ वाणिज्यिक कोयला खनन की अनुमति देने के सरकार के फैसले का विरोध कर रही हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने वाणिज्यिक खनन के लिए 41 कोयला ब्लॉकों की नीलामी प्रक्रिया शुरू की थी। कोयला मंत्री जोशी ने कहा था कि पश्चिम बंगाल को छोड़कर किसी भी राज्य सरकार ने निजी कंपनियों के लिये कोयला क्षेत्र को खोलने के सरकार के कदम का विरोध नहीं किया।
कोल इंडिया के मजदूर संगठनों की तीन दिवसीय हड़ताल शुरू
एचएमएस से संबद्ध हिंद खदान मजदूर संघ के अध्यक्ष नाथूलाल पाण्डेय ने कहा कि मजदूर संगठन बृहस्पतिवार को सुबह छह बजे शुरू होने वाली पहली पाली से हड़ताल पर चले गए। उन्होंने बताया कि कोल इंडिया हर दिन औसतन 13 लाख टन कोयला उत्पादन करता है, इस तरह तीन दिनों तक चलने वाली हड़ताल से उत्पादन में 40 लाख टन का नुकसान होने का अनुमान है।
यह हड़ताल ऐसे समय में हो रही है, जब सरकार ने कोल इंडिया (सीआईएल) के लिए एक अरब टन कोयला उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य तय किया है, जो घरेलू कोयला उत्पादन का 80 प्रतिशत से अधिक है। पाण्डेय ने बताया कि पूर्वी कोलफील्ड्स के झांझरा इलाके में पांच व्यक्तियों - एक सीटू सदस्य, एक इंटक और तीन एचएमएस के - जो हड़ताल पर थे, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है। इसके अलावा कोल इंडिया शाखा बीसीसीएल में कार्यरत कर्मचारी काम पर नहीं गए हैं, जिसके चलते खदानों में अस्पताल जैसी आपातकालीन सेवाएं ठप पड़ गई हैं।
इसके अलावा कोल इंडिया की शाखा एसईसीएल के सोहागपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक ने बाहरी लोगों को खदान में काम करने के लिए बुलाया है, जो एक ‘‘असाधारण स्थिति’’ है और ऐसा कोल इंडिया में कभी नहीं हुआ है। कोल इंडिया के मजदूर संगठनों और सरकार के बीच बुधवार को वाणिज्यिक कोयला खनन के मुद्दे पर वार्ता विफल रही।
कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी और ट्रेड यूनियनों के प्रतिनिधियों के बीच बुधवार को एक वर्चुअल बैठक हुई थी। उन्होंने कहा कि बैठक के दौरान मंत्री ने यूनियनों को बताया कि वाणिज्यिक खनन केंद्र सरकार का नीतिगत निर्णय है और कोयला उत्पादन बढ़ाने का एकमात्र तरीका है।
दूसरी ओर मजदूर संगठनों के प्रतिनिधियों ने वाणिज्यिक खनन का विरोध करते हुए अपना रुख दोहराया। उन्होंने बताया कि अंत में मंत्री ने वाणिज्यिक खनन के निर्णय को वापस लेने की मांग को स्वीकार नहीं किया, जिसके बाद मजदूर संगठनों के पास दो से चार जुलाई तक तीन दिनों की हड़ताल पर जाने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा।
मजदूर संगठन की प्रमुख मांगें
कोयले की कॉमर्शियल माइनिंग का निर्णय वापस लिया जाए।
कोयला उद्योग के निजीकरण पर रोक लगाई जाए।
सीएमपीडीआइएल को कोल इंडिया से अलग न किया जाए।
ठेका मजदूरों को हाई पावर कमेटी के समझौता को पूरी तरह से लागू करते हुए वेतन भुगतान किया जाए।
पांचवें वेतन समझौता के अनुसार 9.3.0 क्लोज के तहत मेडिकल अनफिट कामगारों के आश्रित को नौकरी।