दिल्ली: एमसीडी सदन में स्थायी समिति के चुनाव पर रात भर आप-भाजपा का जबर्दस्त हंगामा, एक-दूसरे पर फेंके कागज, धक्का-मुक्की और मारपीट हुई
By विनीत कुमार | Published: February 23, 2023 07:32 AM2023-02-23T07:32:13+5:302023-02-23T09:48:01+5:30
दिल्ली में मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के बाद स्थायी समिति के सदस्यों को लेकर चुनाव की कवायद अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। रातभर चुनाव के दौरान सदन में जबर्दस्त हंगामा देखने को मिला। आप और भाजपा पार्षदों में मारपीट भी हुई।
नई दिल्ली: दिल्ली नगर निगम में मेयर और डिप्टी मेयर के बुधवार को हुए चुनाव के बाद स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव को लेकर जबर्दस्त हंगामा देखने को मिला। यह बुधवार देर रात तक और गुरुवार तड़के भी जारी रहा। आम आदमी पार्टी और भाजपा के पार्षदों ने न केवल एक दूसरे पर कागज और बैलेट बक्से आदि फेंके बल्कि मारपीट तक हुई। सुबह करीब 6 बजे भी जब सदन की कार्यवाही एक बार फिर शुरू हुई तो बीजेपी और आप के पार्षद आपस में भिड़ गए।
आखिरकार गुरुवार सुबह कार्यवाही को फिर स्थगित करना पड़ा। इस तरह बुधवार से गुरुवार तड़के तक कई बार कार्यवाही को स्थगित किया जा चुका है। वहीं, दिल्ली की नई मेयर चुनी गईं शैली ओबेरॉय ने कल रात ट्वीट कर आरोप लगाया कि बीजेपी के पार्षदों ने उनपर हमला करने की कोशिश की।
मेयर और डिप्टी मेयर के चुनाव के बाद एमसीडी सदन में लगातार हंगामा
इससे पहले कल शैली ओबरॉय के महापौर और आप के ही आले मोहम्मद इकबाल के उपमहापौर निर्वाचित होने के बाद सदन की कार्यवाही एक घंटे के लिए स्थगित कर दी गई थी। जब एक घंटे बाद कार्यवाही शुरु नहीं हुई तब भाजपा पार्षद शिखा राय ने निगम सचिव से देरी की शिकायत की। बैठक शाम करीब सवा छह बजे फिर शुरू हुई और स्थायी समिति के छह सदस्यों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हुई।
#WATCH | Delhi: Ruckus between BJP & AAP members inside the MCD house over the election of members of the standing committee. pic.twitter.com/alIZFIFFnr
— ANI (@ANI) February 22, 2023
जब महापौर ने मतदान क्षेत्र में मोबाइल फोन ले जाने की अनुमति दी जब भाजपा सदस्यों ने विरोध किया। उनमें कई आसन के समीप आ गए और मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ नारे लगाने लगे। नवनिर्वाचित महापौर ने कहा, 'जो सदन में व्यवस्था नहीं बनाये रखेंगे, उन्हें सदन से बाहर कर दिया जाएगा।' महापौर ने करीब छह बजकर 35 मिनट पर सदन स्थगित कर दिया लेकिन तबतक कई सदस्य मतदान कर चुके थे।
इसके बाद सात बजकर 40 मिनट पर महापौर ने सदस्यों से कहा कि जिनके पास मतपत्र हैं वे लौट आयें और तभी वह निर्णय लेंगी। तब भाजपा सदस्य ‘तानाशाही नहीं चलेगी ’ नारा लगाने लगे। भाजपा सदस्यों का एक समूह आसन के पास चला गया और ‘एक सदन में दो कानून, नहीं चलेंगे’ नारा लगाने लगे। इसी तरह बीच-बीच में देर रात तक कार्यवाही को चलाने की कोशिश हुई लेकिन दोनों पार्टियों से जुड़े पार्षद के हंगामे की वजह से आखिरकार स्थायी समिति का चुनाव नहीं हो सका।
आप ने जीता मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव
इससे पहले ओबेरॉय ने महापौर चुनाव में भाजपा की रेखा गुप्ता को 34 मतों के अंतर से हरा दिया। एमसीडी चुनाव होने के बाद तीन बार महापौर चुनाव कराने के प्रयास हुए थे, लेकिन सफलता नहीं मिली। छह और 24 जनवरी तथा छह फरवरी को हुई पिछली बैठकों को हंगामे की वजह से महापौर और उप महापौर का चुनाव कराए बिना स्थगित कर दिया गया था। उप महापौर चुनाव में आम आदमी पार्टी के आले मोहम्मद इकबाल ने भाजपा के कमल बागड़ी को 31 मतों के अंतर से हराया।
सुप्रीम कोर्ट ने दिए थे चुनाव की तारीख तय करने के निर्देश
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली के उपराज्यपाल वी के सक्सेना ने पिछले सप्ताह महापौर पद का चुनाव कराने के लिए निगम के सदन की बैठक बुलाने की मंजूरी दे दी थी। शीर्ष अदालत ने 17 फरवरी को महापौर, उप महापौर और नगर निकाय की स्थायी समिति के सदस्यों के चुनाव की तारीख तय करने के लिए एमसीडी की पहली बैठक बुलाने के लिए 24 घंटे के भीतर नोटिस जारी करने का आदेश दिया था।
कोर्ट ने शैली ओबेरॉय की याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश जारी किया था। शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि उपराज्यपाल द्वारा एमसीडी में नामित सदस्य महापौर चुनने के लिए मतदान नहीं कर सकते। आप ने चार दिसंबर को हुए एमसीडी चुनाव में 134 वार्डों में जीत हासिल की थी और नगर निकाय पर भाजपा के 15 साल पुराने शासन को समाप्त कर दिया था। भाजपा 104 वार्ड में जीत के साथ दूसरे स्थान पर रही थी। कांग्रेस ने 250 सदस्यीय निगम सदन में नौ सीट जीती थीं।
दिल्ली नगर निगम (डीएमसी) अधिनियम, 1957 के अनुसार, नगर निगम चुनावों के बाद सदन के पहले सत्र में महापौर और उप महापौर का चुनाव किया जाता है। नगर निगम चुनाव हुए हालांकि दो महीने से अधिक समय हो गया है जो पिछले साल चार दिसंबर को हुए थे। नगर निगम चुनाव के एक महीने बाद छह जनवरी को पहली बार सदन की बैठक बुलाई गई थी।
भाजपा और आप के सदस्यों के बीच तीखी बहस के बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई थी। इसके बाद 24 जनवरी और फिर छह फरवरी को बुलाई गई दूसरी और तीसरी बैठक भी इस कवायद को पूरा करने में विफल रही और दोनों बैठकों को महापौर का चुनाव किए बिना स्थगित कर दिया गया था।
(भाषा इनपुट)