महिला संस्था के सर्वेक्षण में दावा- समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलने पर इसका भारतीय समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा

By भाषा | Published: May 12, 2023 09:00 PM2023-05-12T21:00:22+5:302023-05-12T21:07:00+5:30

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा का अनुसरण करने वाले ‘दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि समलैंगिक विवाह मानवता की प्राकृतिक व्यवस्था के खिलाफ है और इसे कानूनी मान्यता मिलने पर इसका भारतीय समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा

Claims in the survey same sex marriage will have an adverse effect on the Indian society | महिला संस्था के सर्वेक्षण में दावा- समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलने पर इसका भारतीय समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा

(प्रतीकात्मक तस्वीर)

Highlightsसमलैंगिक विवह को कानूनी मान्यता देने का मामला उच्चतम न्यायालय में हैमहिला संस्था के सर्वेक्षण में दावा- समलैंगिक विवाह मानवता की प्राकृतिक व्यवस्था के खिलाफ हैमहिला संस्था के सर्वेक्षण में दावा- इसका भारतीय समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा

नई दिल्ली:  पुणे की एक महिला संस्था ने एक सर्वेक्षण रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि समलैंगिक विवाह मानवता की प्राकृतिक व्यवस्था के खिलाफ है और इसे कानूनी मान्यता मिलने पर इसका भारतीय समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की विचारधारा का अनुसरण करने वाले ‘दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र’ ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कुछ लोगों का यह भी मानना है कि इस तरह के विवाहों को वैध बनाने से समाज में अराजकता पैदा होगी। कानूनी मान्यता मिलने पर समलैंगिक विवाह के महिलाओं, बच्चों और समाज पर पड़ने वाले संभावित प्रभावों के बारे में किये गये सर्वेक्षण में देशभर से 13 भाषाओं से 57,614 लोगों की प्रतिक्रियाएं ली गई। 

उत्तरदाताओं में चार अलग-अलग आयु समूहों के लोग शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि एकत्र किए गए आंकड़ों के अनुसार, "यह देखा गया कि प्रतिक्रिया देने वाले ज्यादातर लोगों ने अपने जीवन में ‘समलैंगिक विवाह’ को स्वीकार करने के लिए एक सख्त रवैया अपनाने की बात कही।" महिला अध्ययन केंद्र की सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार, "ज्यादातर व्यक्तियों का मानना है कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाने से भारतीय समाज पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।"

रिपोर्ट के अनुसार, कुछ व्यक्तियों के बीच इस बात को लेकर चिंता भी दिखाई दी कि इस तरह के विवाहों को कानूनी मान्यता मिलने से समाज में अराजकता पैदा होगी। रिपोर्ट में कहा गया है कि जिन लोगों के बीच सर्वेक्षण किया गया, उनमें से सबसे अधिक प्रतिक्रियाएं (26,525) 41-60 वर्ष आयु वर्ग के लोगों से ली गई। इसके बाद 26-40 आयु वर्ग में 16,284 और 18-25 आयु वर्ग में 6,068 लोगों से प्रतिक्रियाएं ली गई।

इसमें कहा गया है कि 83.9 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने समलैंगिक विवाह के मुद्दे को देश में ‘‘गंभीर चिंता’’ का विषय बताया, जबकि 91 प्रतिशत लोगों को लगता है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देना उचित नहीं है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ज्यादातर लोगों का मानना था कि समलैंगिक विवाह वास्तव में मानवता की प्राकृतिक व्यवस्था के खिलाफ हैं। इसमें कहा गया है कि सर्वेक्षण में कई उत्तरदाताओं ने उन देशों का उल्लेख किया जहां इसे कानूनी मान्यता दिये जाने के बाद भी समलैंगिक विवाह करने वाले लोगों को ‘‘कई न्यायिक और सामाजिक समस्याओं का सामना करना पड़ा।’’

सर्वेक्षण में प्राप्त प्रतिक्रियाओं के आधार पर, संगठन ने कहा, "हम इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि समलैंगिक विवाह को (वैध ठहराने की मांग) के खिलाफ स्पष्ट जनादेश है।" ‘दृष्टि स्त्री अध्ययन प्रबोधन केंद्र’ ने अपनी सर्वेक्षण रिपोर्ट सार्वजनिक की है, जिसमें विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों से अपनी व्याख्या और शोध निष्कर्ष साझा करने के लिए कहा गया है।

बता दें कि समलैंगिक विवह को कानूनी मान्यता देने का मामला उच्चतम न्यायालय में है। शीर्ष अदालत ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के अनुरोध संबंधी याचिकाओं पर बृहस्पतिवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

Web Title: Claims in the survey same sex marriage will have an adverse effect on the Indian society

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