पुण्यतिथि: देशबंधु चितरंजन दास को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मानते थे अपना गुरु, जानें 11 खास बातें

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: June 16, 2018 07:27 AM2018-06-16T07:27:09+5:302018-06-16T07:27:09+5:30

चितरंजन दास फॉरवर्ड नामक अंग्रेजी दैनिक निकालते थे। बाद में उन्होंने अखबार का नाम लिबर्टी कर दिया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनके अखबार के एडिटर थे।

chittaranjan das death anniversary know 11 facts about subhas chandra bose mentor | पुण्यतिथि: देशबंधु चितरंजन दास को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मानते थे अपना गुरु, जानें 11 खास बातें

पुण्यतिथि: देशबंधु चितरंजन दास को नेताजी सुभाषचंद्र बोस मानते थे अपना गुरु, जानें 11 खास बातें

आज देशबंधु चितरंजन दास की पुण्यतिथि है। भारत की आजादी के नायक चितरंजन दास ने 16 जून 1925 को आखिरी सांसें ली थीं। चितरंजन दास का जन्म आधुनिक बांग्लादेश (तब भारत) के ढाका में पाँच नवंबर 1869 को हुआ था। दास भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेताओं में एक थे। देश के प्रति उनके समर्पण और स्नेह के कारण उन्हें "देशबंधु" कहा जाता था। दास ने आजादी से बंगाल में पहले स्वराज पार्टी की स्थापना की थी। भारत के इस महान सपूत की पुण्यतिथि पर जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी 10 अहम बातें-

1- चितरंजन दास ने इंग्लैंड से बैरिस्टर की पढ़ाई की थी। भारत में वकालत की प्रैक्टिस के दौरान वो स्वतंत्रता सेनानियों के भी मुकदमे लड़ते थे। लंदन में उनकी सोरजनी नायडू, अरबिंद घोष और अतुल प्रसाद सेन के मित्र बन गये थे।

2- चितरंजन दास अनुशीलन समिति के भी सदस्य थे। अनुशीलन समिति सशस्त्र क्रांति के रास्ते देश को आजाद कराने में यकीन रखती थी।

3- अलीपुर बम कांड में अभियुक्त बनाए गए अरबिंद घोष का उन्होंने अदालत में   बचाव किया था।

4- स्वतंत्रता सेनानी बिपिन चंद्र पाल और अरबिंद घोष चितरंजन दास के करीबी मित्रों में थे। अंग्रेजी साप्ताहिक अखबार "बंदे मातरम्" के प्रकाशन में दास ने पाल और घोष की मदद की थी।

5- चितरंजन दास बंगाल की राजनीति में भी सक्रिय थे। उन्होंने सबसे पहले बंगाल प्रांत में स्वराज की स्थापना की वकालत की थी। दास ने सहकारी संस्थाओं की स्थापना और कुटिर उद्योगों की पुनर्स्थापना में अहम भूमिका निभायी।

6- दास ने ब्रिटिश सरकार के मोटेग्यू-चेम्सफोर्ड सुधार का विरोध किया। वो 1920 में महात्मा गांधी के असहयोग आंदोलन में शामिल हो गये।

7- दास ने बंगाल में विदेशी कपड़ों के बहिष्कार आंदोलन का नेतृत्व किया। 1919 से 1922 तक वो असहयोग आंदोलन में सक्रिय रहे।

8- चितरंजन दास को बीवी और बेटे समेत 1921 में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें ब्रिटिश अदालत ने छह महीने जेल की सजा सुनायी। 1921 में ही वो अहमदाबाद कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गये।

9- दास ने फॉरवर्ड नामक अंग्रेजी दैनिक निकालना शुरू किया। बाद में उन्होंने अखबार का नाम लिबर्टी कर दिया। नेताजी सुभाष चंद्र बोस उनके अखबार के एडिटर थे। नेताजी दास को अपना गुरु मानते थे।

10- दास ने मृत्यु से पहले अपना घर और उससे लगी जमीन देश को दान कर दी थी। आज उस घर में महिला अस्पताल संचालित होता है जिसका नाम चितरंजन सेवा सदन है। 

11- दास की शवयात्रा में भारी भीड़ उमड़ी थी। बांग्ला कवि रविंद्र नाथ टैगोर ने उनकी प्रति जनता का प्रेम देखकर अपनी कविता उन्हें समर्पित की थी। दास खुद भी बांग्ला के ख्यात कवि और लेखक थे।

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Web Title: chittaranjan das death anniversary know 11 facts about subhas chandra bose mentor

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