चीन वैश्विक सहमति पर विचार करे, यूएनएससी में कश्मीर का मुद्दा उठाने से बचे: भारत
By भाषा | Published: January 17, 2020 05:49 AM2020-01-17T05:49:44+5:302020-01-17T05:49:44+5:30
भारत ने चीन की मदद से कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश के लिए पाकिस्तान पर भी निशाना साधा और कहा कि हताश इस्लामाबाद घाटी के बारे में चिंताजनक परिदृश्य प्रस्तुत करते हुए आधारहीन आरोप लगा रहा है और उसमें विश्वसनीयता का अभाव है।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में कश्मीर का विषय उठाने की कोशिश में पाकिस्तान की मदद करने पर गुरुवार को चीन को आड़े हाथ लिया और कहा कि चीन को वैश्विक आम-सहमति पर गंभीरता से सोचना चाहिए और भविष्य में इस तरह के कृत्य से बचना चाहिए।
भारत ने चीन की मदद से कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने की कोशिश के लिए पाकिस्तान पर भी निशाना साधा और कहा कि हताश इस्लामाबाद घाटी के बारे में चिंताजनक परिदृश्य प्रस्तुत करते हुए आधारहीन आरोप लगा रहा है और उसमें विश्वसनीयता का अभाव है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने मीडिया से कहा कि पाकिस्तान अपनी ऊर्जा का रचनात्मक उपयोग कर बार-बार होने वाली इस वैश्विक शर्मिंदगी से बच सकता है। पाकिस्तान के घनिष्ठ सहयोगी चीन ने बुधवार को न्यूयॉर्क में सुरक्षा परिषद की एक बैठक में कश्मीर मुद्दे को उठाने का फिर प्रयास किया। कुमार ने कहा कि सुरक्षा परिषद का बहुमत के साथ विचार है कि इस तरह के मुद्दों के लिए यह सही मंच नहीं है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने यूएनएससी का दुरुपयोग करने की कोशिश की।
इस्लामाबाद के पास भविष्य में इस तरह की वैश्विक शर्मिंदगी से बचने का विकल्प है। कुमार ने कहा कि चीन को इस वैश्विक सहमति पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और उचित सबक सीखना चाहिए और भविष्य में ऐसे कदम से बचना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘मेरा सुझाव है कि यह प्रश्न चीनी पक्ष के सामने भी प्रस्तुत किया जाना चाहिए।’’
कुमार ने कहा कि सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में भारी बहुमत से वैश्विक सहमति को रेखांकित किया गया कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच कोई मुद्दा है तो उस पर द्विपक्षीय रूप से चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा सुरक्षा परिषद के एक सदस्य के जरिए फिर से द्विपक्षीय मामले पर चर्चा के लिए उस मंच का दुरुपयोग करने का प्रयास किया गया। कुमार ने कहा कि यूएनएससी के अधिकतर सदस्यों का मानना था कि वह ऐसे मुद्दों के लिए सही मंच नहीं है और इस पर भारत तथा पाकिस्तान के बीच द्विपक्षीय रूप से चर्चा होनी चाहिए। इसलिए अनौपचारिक बैठक बिना किसी नतीजे के संपन्न हुई।