चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, 'संविधान सभी के लिए समान है, प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए'

By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: August 1, 2022 02:31 PM2022-08-01T14:31:58+5:302022-08-01T14:36:34+5:30

देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पांचवें दीक्षांत समारोह में कहा कि देश का संविधान सभी नागरिकों से लिए समान दृष्टि रखता है और देश के नागरिकों को अपने अधिकार और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए।

Chief Justice NV Ramana said, 'Constitution is equal for all, every person should be aware of his rights and duties' | चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा, 'संविधान सभी के लिए समान है, प्रत्येक व्यक्ति को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक रहना चाहिए'

फाइल फोटो

Highlightsदेश में संवैधानिक गणतंत्र तभी पनपेगा, जब हम उसके बनने की परिकल्पना को समझेंगे देश का प्रत्येक व्यक्ति अपने अधिकारों और कर्तव्य के प्रति जागरूक होकानून के जानकारों का प्रयास होना चाहिए कि वो संवैधानिक प्रावधानों को सरल शब्दों में समझाएं

रायपुर: देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने रविवार को रायपुर के हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी में कहा कि  किसी भी देश में संवैधानिक गणतंत्र तभी पनपेगा, जब उसके नागरिक इस बात को अच्छे से समझेंगे कि उनके संविधान को बनाने से पहले संविधान विशेषज्ञों ने उसकी परिकल्पना किस तरह से की थी।

इसके साथ ही प्रधान न्यायाधीश रमना ने इस बात पर विशेष जोर देते हुए कहा कि देश के प्रत्येक व्यक्ति को यह जनना चाहिए कि उनके क्या-क्या अधिकार हैं और देश के प्रति उनका क्या कर्तव्य है और इसके बारे में देशवासियों को जागरूक किये जाने की आवश्यकता है।

हिदायतुल्ला नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पांचवें दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए चीफ जस्टिस ने संवैधानिक कानूनों को सामाजिक परिवर्तन का एक प्रमुख साधन बताते हुए कहा कि कानूनी स्कूलों से पास होने वाले स्नातकों का दायित्व है कि वो सामाजिक इंजीनियरिंग में बदलने में आगे आये।

उन्होंने कानून के विद्यार्थियों के कानूनी शिक्षा में पास होने के बाद उनके दायित्वों की ओर इशारा करते हुए कहा, “युवाओं की यह पीढ़ी दुनिया को क्रांति की ओर ले जा रही है। चाहे जलवायु संकट हो या मानवाधिकारों का उल्लंघन, वे दुनिया भर में पूरी ताकत के साथ एकजुट हुए हैं। वास्तव में तकनीकी क्रांति के कारण हम किसी देश के नागरिक होते हुए भी वैश्विक नागरिक बन चुके हैं।”

मुख्य न्यायाधीश रमना ने कानून के शासन और संविधान के जरिये सामाजिक परिवर्तन प्राप्त करने में युवाओं की भूमिका को रेखांकित करते हुए कहा, "यह बेहद दुखद वास्तविकता है कि आधुनिक स्वतंत्र भारत की आकांक्षाओं को परिभाषित करने वाला संविधान के सर्वोच्च दस्तावेज (कानून) के छात्रों, कानूनी विशेषज्ञों का ज्ञान भारतीय आबादी का एक बहुत छोटे से वर्ग तक सीमित है।"

अपने व्याख्यान के अंत में सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "संविधान हर नागरिक के लिए है। प्रत्येक व्यक्ति को उसके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक किया जाना चाहिए। संवैधानिक संस्कृति को बढ़ावा देना और उसे प्रति जागरूकता को बढ़ाना हमारा सामूहिक कर्तव्य है। आपका प्रयास होना चाहिए कि संवैधानिक प्रावधानों को सरल शब्दों में समझाया जाए और लोगों की भावनाओं के साथ इसके लोकाचार को आत्मसाथ किया जाए।" (समाचार एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)

Web Title: Chief Justice NV Ramana said, 'Constitution is equal for all, every person should be aware of his rights and duties'

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