चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हिजाब मामले पर फौरन सुनवाई से किया इनकार, बोले- "कोर्ट इसे होली की छुट्टियों के बाद सुनेगा"
By आशीष कुमार पाण्डेय | Published: March 3, 2023 01:27 PM2023-03-03T13:27:56+5:302023-03-03T13:33:02+5:30
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने हिजाब संबंधित याचिका को यह कहते हुए तत्काल सुनने से इनकार कर दिया कि यह विवाद एक साल से ज्यादा वक्त से चल रहा है। ज्यादा अधीर होने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट इस मामले को होली की छुट्टियों के बाद सुनेगा।
दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने हिजाब याचिका पर फौरन सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। इस संबंध में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि यह विवाद एक साल से ज्यादा वक्त से चल रहा है। बहुत ज्यादा अधीर होने की आवश्यकता नहीं है। कोर्ट इस मामले को होली की छुट्टियों के बाद सुनेगा।
दरअसल याचिका से संबंधित वकील ने सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को कर्नाटक के प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेजों में अगले सप्ताह से शुरू होने वाली परीक्षाओं का हवाला देते हुए अंतरिम आवेदन देते हुए विषय को तत्काल सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किये जाने की मांग की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आवेदन को फौरन खारिज कर दिया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच से याचिकाकर्ता वकील ने कहा, "छात्राएं इस विवाद के कारण पहले ही अपनी पढ़ाई का एक साल खो चुके हैं। इगर कोर्ट मामले में जल्द सुनवाई कर ले तो छात्राओं का एक और साल खोने से बच जाएगा। यह विषय छात्राओं की भविष्य और शिक्षा से संबंधित है।"
इसके जवाब में चीफ जस्टिस की बेंच ने याचिकाकर्ता वकील से कहा, "आप कोर्ट की आखिरी तारीख पर हमारे सामने आए हैं। अब हम इसे विषय को होली की छुट्टियों के बाद ही सुनेंगे।"
बेंच के ऐसा कहने पर वकील ने अपनी दलील में कहा कि इस विषय को जनवरी और फरवरी में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किये जाने की मांग की गई थी लेकिन दोनों ही महीनों में इस विषय को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं किया गया।
याचिकाकर्ता वकील ने कहा, "हिजाब प्रतिबंध के कारण छात्राओं के शैक्षिक जीवन का एक महत्वपूर्ण साल पहले ही खत्म हो चुका है। आने वाले शैक्षणिक वर्ष का उनका क्या होगा? क्या उन्हें वह भी गंवाना पड़ेगा।"
चीफ जस्टिस की कोर्ट ने कहा कि हम मामले की सुनवाई करना चाहते हैं, हम भी बच्चों के भवष्य के लिए चिंतित हैं लेकिन अन्य महत्वपूर्ण मामले भी सुनवाई के लिए पहले से सूचीबद्ध हैं। इसलिए इस विषय को कोर्ट होली की छुट्टियों के बाद ही सुनेगी।