बस्तर में चुनावी घमासान: BJP-कांग्रेस दोनों कमर कसकर मैदान में, क्या अपनी 8 सीटें बचा पाएगी कांग्रेस 

By सुधीर जैन | Published: November 9, 2018 07:45 AM2018-11-09T07:45:43+5:302018-11-09T07:45:43+5:30

इस चुनाव में हालांकि विकास को छोड़कर कोई विशेष चुनावी मुद्दा नहीं है, किंतु बस्तर में छिपी हुई परिवर्तन लहर अवश्य दिखाई पड़ रही है। जीएसटी एवं नोटबंदी से उकताया व्यापारी वर्ग भी भाजपा से कन्नी काटने के मूड में है।

chhattisgarh assembly election will congress win bastar district 8 seats | बस्तर में चुनावी घमासान: BJP-कांग्रेस दोनों कमर कसकर मैदान में, क्या अपनी 8 सीटें बचा पाएगी कांग्रेस 

सांकेतिक तस्वीर

बस्तर में चुनावी प्रचार शबाब पर है। विभिन्न दलों के कार्यकर्ता चुनावी किला फतह करने आखिरी खंदक की लड़ाई लड़ रहे हैं। समूचे छत्तीसगढ़ के समान बस्तर में भी मुख्य टक्कर कांग्रेस व भाजपा के मध्य ही है। कुछेक क्षेत्नों में जोगी कांग्रेस व भाकपा के उम्मीदवारों के कारण त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी है। गत चुनाव में भाजपा बस्तर की 12 में से सिर्फ 4 सीटों पर विजयी हुई थी, इस बार जहां भाजपा अपनी खोई हुई सीटों पर पुन: कब्जा करने, करो या मरो की तर्ज पर प्रयत्नशील है, वहीं कांग्रेसी भाजपा से अधिक सीटें झटकने, आक्रामक तेवरों के साथ लड़ाई लड़ रहे हैं। 

तहलका न मचा दे छिपी लहर 

इस चुनाव में हालांकि विकास को छोड़कर कोई विशेष चुनावी मुद्दा नहीं है, किंतु बस्तर में छिपी हुई परिवर्तन लहर अवश्य दिखाई पड़ रही है। जीएसटी एवं नोटबंदी से उकताया व्यापारी वर्ग भी भाजपा से कन्नी काटने के मूड में है। खर्चीले एवं हाईटेक प्रचार माध्यमों से धुंआधार प्रचार के बावजूद मतदाताओं में इस बार कोई खास उत्साह नहीं है। गत पराजय से सबक लेकर इस बार कांग्रेसी गुटीय खींचतान और अंतर्कलह से बचते एक झंडे तले नजर आ रहे हैं, जबकि भाजपा की गुटबाजी उभरकर सामने आई है? बस्तर में इस बार भाजपा को छह सीटें मिलने के आसार हैं। 

चुनाव प्रचार में भाजपा सबसे आगे 

गत चुनाव में कांग्रेस ने भाजपा के 8 गढ़ में एक-एक कर 8 कीलें ठोंकी थी। इस चुनाव में उन कीलों को उखाड़ फेंकने भाजपा पूरी तरह संकल्पित जान पड़ रही है। अपने-अपने इरादों को सरअंजाम देने दोनों दलों ने पूरी शक्ति के साथ बस्तर की घेरेबंदी शुरू कर दी है। जहां तक प्रचार-प्रसार की बात है भाजपा ने सबको पीछे छोड़ दिया है। पिछले चुनाव में भाजपा-कांग्रेस के अलावा किसी अन्य दल का खाता नहीं खुल पाया था और वर्तमान में भी तीसरे किसी दल के जीतने की कोई संभावना दृष्टिगोचर नहीं हो रही है। 

जगदलपुर सीट में कांटे की टक्कर 

बस्तर की एकलौती सामान्य जगदलपुर विधानसभा सीट में मुकाबला मुख्य रूप से भाजपा-कांग्रेस के मध्य ही है। यहां पिछले दो चुनाव में लगातार भाजपा का कब्जा रहा है, जिसमें संतोष बाफना जीतते आए हैं। इस चुनाव में यहां संतोष बाफना और कांग्रेस प्रत्याशी रेखचंद जैन के मध्य कांटे की टक्कर है। दोनों ही एड़ी-चोटी की जोर आजमाइश कर पसीना बहा रहे हैं। कांग्रेस ने अपने समस्त असंतुष्टों को मना लिया है, किंतु भाजपा में भितरघात स्पष्ट परिलक्षित हो रहा है। दोनों प्रत्याशियों की लोकप्रियता एवं समान मेहनत से ऊंट किस करवट बैठेगा अनुमान लगा पाना मुश्किल लग रहा है। इस सीट से जोगी कांग्रेस, आप, भाकपा समेत 19 निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में हैं, जिनकी भाजपा व कांग्रेस की विजय में निर्णायक भूमिका रहेगी। 

बस्तर विधानसभा में कड़ा मुकाबला 

गत विधानसभा चुनाव में बस्तर विधानसभा सीट पर कांग्रेस के लखेश्वर बघेल ने अपना वर्चस्व कायम किया था। इस बार भी अपनी सीट बरकरार रखने वे अथक परिश्रम कर रहे हैं। यहां भाजपा ने सहज-सरल व्यक्तित्त्वधारी सुभाऊराम कश्यप पर दांव लगाया है। भाजपा व कांग्रेस के दोनों ही प्रत्याशी अनेक खूबियों से परिपूर्ण हैं। सुभाऊराम कश्यप 2008 में इस क्षेत्न से विधायक चुने जा चुके हैं। इस सीट पर कड़ा संघर्ष है। 

चित्रकोट में परिणाम होंगे चौंकाने वाले 

चित्रकोट विधानसभा सीट में भी भाजपा के लच्छूराम कश्यप एवं कांग्रेस के वर्तमान विधायक दीपक बैज आमने-सामने हैं। दीपक बैज का विधायकी कार्यकाल बेहद सफल और सक्रि य रहा है। निरंतर जनसंपर्क एवं गांवों के दौरों से वे अपनी मजबूत पकड़ बनाए हुए हैं। इन्हें पटखनी देने भाजपा ने लच्छूराम कश्यप को मैदान में उतारा है। लच्छू कश्यप साल 2008 में इस सीट से विधायक रह चुके हैं। यहां मुकाबला बराबरी का है। परिणाम चौंकाने वाले होंगे। 

कोंटा में लहरा सकता है कांग्रेस का परचम
 
कोंटा विधानसभा सीट में भाजपा की स्थिति असंतोषजनक रही है। यहां पिछले लगातार तीन चुनावों में कांग्रेस के लोकप्रिय, सरल-सहज शख्सियत के धनी लखमाराम कवासी अपना डंका फहराते आए हैं। इस बार भाजपा ने पूर्व में चुनाव हारे प्रत्याशी धनीराम बारसे पर फिर से भरोसा जताते हुए उम्मीदवार घोषित किया है। यहां भाकपा के तेजतर्रार नेता मनीष कुंजाम की मौजूदगी से मुकाबला त्रिकोणीय होगा। इस इलाके में लखमाराम कवासी का आज भी दबदबा कायम है, इसीलिए पुन: विजय की वरमाला उनके गले पड़ सकती है। 

बीजापुर में गागरा को मिल सकती सफलता 

बीजापुर विधानसभा सीट पर वर्तमान वनमंत्नी महेश गागरा अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखने प्राणपण से जुटे हुए हैं। यहां कांग्रेस ने जिला अध्यक्ष विक्र म शाह मंडावी को रणभूमि में उतारा है। इस सीट पर जोगी कांग्रेस के संकनी चंद्रैया भी जोर आजमाइश कर रहे हैं। नक्सली बहिष्कार के चलते इस क्षेत्न में भाजपा कार्यकर्ता सिर्फ कस्बाई इलाकों में प्रचार-प्रसार कर पा रहे हैं। अंदरूनी इलाकों में जाकर कोई भी जान जोखिम में डालने तैयार नहीं है। मैनेजमेंट, चुनाव लड़ने में माहिर एवं सिद्धहस्त महेश गागरा फिर से काबिज हो जाएं तो कोई आश्चर्य नहीं होगा। 

दंतेवाड़ा में कांग्रेस सफलता की ओर 

दंतेवाड़ा विधानसभा सीट पर पिछली मर्तबा दबंग कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा की नक्सली हत्या के कारण, सहानुभूति वोटों के चलते, उनकी धर्मपत्नी देवती कर्मा ने अपना परचम लहराया था। हालांकि इन पांच सालों में उन्होंने सक्रि यता एवं ताबड़तोड़ जनसंपर्क से अपनी अमिट छाप बना ली है। यहां भाजपा के पूर्व विधायक भीमाराम मंडावी पुन: दो-दो हाथ करने दंगल में कूद पड़े हैं। यद्यपि यहां भाकपा के उम्मीदवार नंदाराम सोरी भी अपनी दखल बनाए हुए हैं। त्रिकोणीय मुकाबले में देवती कर्मा पुन: सत्तासीन हो सकती हैं। 

कोंडागांव में हालात अस्पष्ट 

कोंडागांव विधानसभा सीट से पिछली दफा कांग्रेस के मोहन मरकाम ने भाजपा की लोकप्रिय मंत्नी लता उसेंडी को परास्त कर फतह हासिल की थी। इस बार पुन: पार्टी ने इन्हीं दोनों को टकराने के लिए खड़ा कर दिया है। विधायक मोहन मरकाम ने अपने सदव्यवहार एवं कार्यों से विधायक कार्यकाल में अपनी विशिष्ट एवं जनप्रिय पहचान बना ली है। लता उसेंडी भी लोकप्रियता एवं प्रतिभा में कम नहीं हैं, वे पूर्व में बाल विकास मंत्नी का पद सुशोभित कर चुकी हैं। इसीलिए कौन बाजी मार ले जाएगा, फिलहाल कहा नहीं जा सकता। 

नारायणपुर में अपना मजबूत किला बचा लेंगे केदार 

नारायणपुर विधानसभा सीट से बेहद लोकिप्रय 3 बार लगातार चुनाव जीतते आए भाजपा के वर्तमान स्कूली शिक्षा मंत्नी केदार कश्यप पुन: युद्धभूमि में अपने लाव लश्कर एवं संसाधनों के साथ डटे हुए हैं। सर्वगुण संपन्न केदार कश्यप को चुनाव लड़ने का अच्छा खासा तजुर्बा तो है ही, साथ ही वे साधन संपन्न भी हैं। राजनीतिक गुण उन्हें, उनके पिता राजनीति के भीष्म पितामह स्वर्गीय बलिराम कश्यप से विरासत में मिले हैं। कांग्रेस ने यहां दुबारा चंदन कश्यप को केदार कश्यप से भिड़ने उतारा है। केदार कश्यप अपनी प्रतिष्ठा बरकरार रखने कोई भी कसर बाकी नहीं रखेंगे। इसीलिए अनुमान लगाया जा सकता है, चाहे जो भी करना पड़े वे अपना सुरक्षित किला किसी भी सूरत में ढहने नहीं देंगे। 

केशकाल सीट पर कांग्रेस की राह हुई आसान 

केशकाल विधानसभा क्षेत्र में गत चुनाव में कांग्रेस का कब्जा रहा है। अपने कार्यकाल में विधायक संतराम नेताम ने अपनी रात-दिन की मेहनत से जनसामान्य में गहरी पैठ बना ली है। इधर, भाजपा प्रत्याशी हरिशंकर नेताम को लेकर पार्टी कार्यकर्ता शुरू से ही विरोध के स्वर मुखर करते रहे हैं और अब तो उन्होंने चुनावी क्रि याकलापों से स्वयं को अलग-थलग कर लिया है। समूचा भाजपा संगठन प्रत्याशी के विरोध में उठ खड़ा हुआ है। यहां भितरघात नहीं बल्कि खुलाघात दृष्टिगोचर हो रहा है। इस नजरिये से कांग्रेस की जीत की तस्वीर साफ नजर आ रही है। 

कांकेर में मुकाबला बराबरी का 

कांकेर विधानसभा में भाजपा ने युवा तेज-तर्रार जनपद पंचायत सदस्य हीरा मरकाम पर विश्वास जताया है। मरकाम कार्यकर्ताओं को संगठित कर जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं। उनके मुकाबले कांग्रेस ने रिटायर्ड आईएएस शिशुपाल शोरी को चुनाव जीतने का उत्तरदायित्व सौंपा है। शिशुपाल के समर्थन में अनेक रिटायर्ड आईपीएस अधिकारियों ने कांकेर में डेरा डालकर मोर्चा संभाल लिया है। इधर, कांग्रेस के कार्यकर्ता भी आपसी मतभेद भुलाकर एक झंडे तले एकत्न होकर मैदान मारने में जुट गए हैं। कुल मिलाकर इस सीट के परिणाम के बारे में स्पष्ट रूप से राय कायम करना शायद जल्दबाजी होगी। 

अंतागढ़ जा सकती है भाजपा की झोली में 

अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्न से वर्तमान सांसद एवं पूर्व राज्यमंत्नी विक्र म उसेंडी महासमर में कूद पड़े हैं। विक्र म उसेंडी जहां राजनीति के मंजे हुए खिलाड़ी हैं, वहीं उनमें चुनाव लड़ने का खासा तजुर्बा भी कूट-कूटकर भरा हुआ है। इलाके में उनकी प्रभावकारी पकड़ है। इधर कांग्रेस ने यहां रिटायर्ड पुलिस अधिकारी अनूप नाग को प्रत्याशी बनाया है। अनूप नाग राजनीति में एकदम नए हैं साथ ही चुनावी रणनीतियों से भी नितांत अनिभज्ञ हैं। इस सीट से भाजपा विजय के करीब मानी जा रही है। 

भानुप्रतापपुर में लहरा सकता है कांग्रेस का झंडा 

भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्न से कांग्रेस के वर्तमान विधायक मनोज मंडावी पुन: किस्मत आजमा रहे हैं। मनोज मंडावी जनप्रिय, सरल-सहज मिलनसार हैं, इसीलिए वे ग्रामीण से लेकर शहरी इलाकों तक अपनी अमिट छवि बनाए हुए हैं। इधर, भाजपा ने यहां कार्यकर्ताओं के प्रबल विरोध की अनदेखी करते हुए देवलाल दुग्गा को उम्मीदवार घोषित किया है, जिससे स्थानीय कार्यकर्ता भरे बैठे हैं। लिहाजा उन्होंने पार्टी का काम करने से किनारा कर लिया है। परिणाम यह हुआ है कि कांग्रेस के लिए राह आसान हो गई है। 

English summary :
Chhattisgarh Vidhan Sabha Chunav 2018: BJP Congress prepared for face to face in Chhattisgarh's Bastar district assembly seats for the upcoming assembly elections 2018.


Web Title: chhattisgarh assembly election will congress win bastar district 8 seats

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