छत्तीसगढ़ चुनावः 90 सीटों पर कांग्रेस-BJP के बीच सीधा संघर्ष, कहीं-कहीं त्रिकोणीय मुकाबला
By गोपाल वोरा | Published: November 6, 2018 07:19 AM2018-11-06T07:19:16+5:302018-11-06T07:19:16+5:30
2003 में पहले चुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला देखने को मिला, जिसमें भाजपा ने बाजी मारी। तब से लेकर अब तक तीनों चुनावों में 2003, 2008 और 2013 में लगातार भाजपा का परचम लहराते आया है।
छत्तीसगढ़ की सियासत का मिजाज हमेशा से दो दलीय प्रणाली की ओर आकर्षित रहा है। अब तक कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधा संघर्ष हुआ है। पृथक छत्तीसगढ़ निर्माण वर्ष 2000 में हुआ और प्रथम मुख्यमंत्री कांग्रेस के अजीत जोगी बने।
2003 में पहले चुनाव के दौरान कांग्रेस और भाजपा में सीधा मुकाबला देखने को मिला, जिसमें भाजपा ने बाजी मारी। तब से लेकर अब तक तीनों चुनावों में 2003, 2008 और 2013 में लगातार भाजपा का परचम लहराते आया है। कांग्रेस उसे हर बार सीधी टक्कर देने की तैयारी करती है, लेकिन ऐन वक्त पर उसकी गुटबाजी और अंतर्कलह उसे ले डूबती है।
यह पहला ऐसा चुनाव 2018 में होने जा रहा है, जिसमें त्रिकोणीय संघर्ष की स्थिति बनी है, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ ने यह माहौल बनाया है कि अगली सरकार जोगी सरकार। आम आदमी पार्टी के प्रत्याशियों की उपस्थिति ने कुछ स्थानों पर चतुष्कोणीय संघर्ष की स्थिति पैदा कर दी है। दिल्ली से आम आदमी पार्टी के नेता आकर छत्तीसगढ़ में डेरा डाल चुके हैं। दंतेवाड़ा जैसे सुदूर क्षेत्रों में आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता दिल्ली से आकर मोर्चा संभाले हुए हैं।
इन सबके बावजूद भाजपा और कांग्रेस का सीधा संघर्ष अमूमन हर जगह दिखता है। सभी 90 विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने अपने मजबूत प्रत्याशी खड़े किए हैं, वहीं कांग्रेस ने भी कोई कोरकसर बाकी नहीं रखी है, लेकिन प्रत्याशियों के चयन में कुछ असंतोष जरूर उभरा।
अजीत जोगी की पार्टी के मैदान में आने के कारण और बसपा तथा सीपीआई से उसका गठबंधन नि:संदेह कांग्रेस को अधिकतम क्षति पहुंचाएगा, लेकिन इससे भाजपा भी अछूती नहीं रहेगी। इसे स्वयं मुख्यमंत्री डॉ। रमन सिंह ने स्वीकार किया है कि इस बार प्रदेश में जोगी की पार्टी के कारण त्रिकोणीय संघर्ष दिखाई देता है। उनकी उपस्थिति को अनदेखा नहीं किया जा सकता। पार्टी ने इसी हिसाब से अपनी चुनावी रणनीति भी मुकम्मल की है।