Char Dham Yatra 2024: केदारनाथ में 115, बदरीनाथ में 65, यमुनोत्री में 40, गंगोत्री में 16 और हेमकुंड साहिब में 10 तीर्थयात्रियों की मौत

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: November 11, 2024 07:30 PM2024-11-11T19:30:24+5:302024-11-11T19:31:42+5:30

Char Dham Yatra 2024: केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट बंद हो चुके हैं जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट भी 17 नवंबर को बंद हो जाएंगे।

Char Dham 2024 Yatra 246 pilgrims died 115 pilgrims in Kedarnath, 65 in Badrinath, 40 in Yamunotri, 16 in Gangotri and 10 in Hemkund Sahib | Char Dham Yatra 2024: केदारनाथ में 115, बदरीनाथ में 65, यमुनोत्री में 40, गंगोत्री में 16 और हेमकुंड साहिब में 10 तीर्थयात्रियों की मौत

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Highlightsश्रद्धालुओं की संख्या इस बार पिछली बार के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है। पिछले कुछ वर्षों में इस संख्या में बढ़ोतरी हुई है ।प्रतिकूल मौसम को सहन नहीं कर पाए, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई।

Char Dham Yatra 2024: उत्तराखंड में इस साल चारधाम यात्रा के दौरान स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों की वजह से करीब 250 श्रद्धालुओं की मौत हुई, जिनमें से सबसे अधिक संख्या उन श्रद्धालुओं की रही जो हेलीकॉप्टर के जरिए दर्शन करने पहुंचे थे। यहां राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र से मिली जानकारी के अनुसार, इस साल चारधाम यात्रा पर पहुंचने वाले 246 श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों के कारण मौत हुई, जिनमें से केदारनाथ में 115, बदरीनाथ में 65, यमुनोत्री में 40 और गंगोत्री में 16 लोगों की जान गई। इसके अलावा, हेमकुंड साहिब गुरुद्धारे की यात्रा पर गए 10 लोगों की भी मौत हुई। इस साल की चारधाम यात्रा अपने आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुकी है। केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के कपाट बंद हो चुके हैं जबकि बदरीनाथ धाम के कपाट भी 17 नवंबर को बंद हो जाएंगे।

स्वास्थ्य संबंधी कारणों के चलते जान गंवाने वाले चारधाम श्रद्धालुओं की संख्या इस बार पिछली बार के मुकाबले थोड़ी ज्यादा है। पिछले साल यह संख्या 242 थी। हर साल चार धाम यात्रा पर आने वाले कई श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों के कारण मौतें होती हैं, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस संख्या में बढ़ोतरी हुई है ।

केदारनाथ धाम में पिछले नौ वर्षों से स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करा रही ‘सिक्स सिग्मा’ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी डॉ. प्रदीप भारद्वाज ने बताया कि मृतकों में सबसे अधिक संख्या उन श्रद्धालुओं की रही जो हेलीकॉप्टर के जरिए दर्शन करने पहुंचे थे। भारद्वाज ने कहा कि वे प्रतिकूल मौसम को सहन नहीं कर पाए, जिसकी वजह से उनकी मौत हुई।

उन्होंने कहा कि हवाई सेवा के जरिए मिनटों में निचले इलाकों से 3000 मीटर से अधिक उंचाई पर स्थित मंदिरों में पहुंचने से श्रद्धालु अचानक कम तापमान के क्षेत्र में आ जाते हैं और कई बार वे इसे झेल नहीं पाते। डॉ. भारद्वाज ने कहा कि इस प्रकार के प्रतिकूल मौसम परिस्थितियों में आने से पहले श्रद्धालुओं का जलवायु अनुकूलन जरूरी है ।

श्रद्धालुओं की मौत के लिए ऑक्सीजन की कमी और ह्रदयाघात जैसी वजहें सामने आयी हैं । केदारनाथ, बदरीनाथ और यमुनोत्री आदि चारधाम उच्च हिमालयी क्षेत्र में स्थित हैं जहां आक्सीजन का स्तर कम होता है । इससे स्वास्थ्य समस्या शुरू हो जाती है और अगर इसका निवारण न हो तो अनेक बार यह जानलेवा हो जाता है ।

भारद्वाज ने कहा कि श्रद्धालु मौसम संबंधी चुनौती का किस प्रकार से सामना करते हैं, यह उनके स्वास्थ्य पर निर्भर करता है । उन्होंने कहा कि इसके अलावा यात्रियों की बढ़ती संख्या और सीमित आधारभूत संरचनाएं भी श्रद्धालुओं की मौत की संख्या में बढोत्तरी का एक और कारण हैं ।

उन्होंने कहा कि हर साल चारधाम आने वाले तीर्थयात्रियों की संख्या बढ़ती जा रही है जबकि बीमारी या घायल होने की दशा में भीड़ के कारण मेडिकल सुविधाओं तक समय रहते पहुंच सीमित हो जाती है । डॉ भारद्वाज ने कहा कि अनेक श्रद्धालु बुजुर्ग होते हैं जो पहले से उच्च रक्तचाप, मधुमेह और सांस संबंधी समस्याओं से जूझ रहे होते हैं ।

उन्होंने कहा कि ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इन बीमारियों के कारण मौसमी दशाएं और प्रतिकूल साबित होती हैं । उन्होंने कहा कि चारधाम मार्ग पर अभी भी मेडिकल सुविधाएं पर्याप्त नहीं है । विषम परिस्थितियों के कारण भी आपातकालीन प्रतिक्रिया भी धीमी होती है ।

Web Title: Char Dham 2024 Yatra 246 pilgrims died 115 pilgrims in Kedarnath, 65 in Badrinath, 40 in Yamunotri, 16 in Gangotri and 10 in Hemkund Sahib

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