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इसरो 21-22 जुलाई को कर सकता है चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण, सुधारी गईं तकनीकी खामियां

By स्वाति सिंह | Updated: July 18, 2019 09:01 IST

भारत ने सोमवार तड़के श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से होने वाले दूसरे चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते तय समय से लगभग एक घंटे पहले रद्द कर दिया। 

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ठळक मुद्देचंद्रयान-2  का प्रक्षेपण 21 या 22 जुलाई को किया जा सकता है। चंद्रयान-2 10 या 11 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 21-22 जुलाई को कर सकता है। इससे पहले इसरो के दूसरे मून मिशन चंद्रयान-2 को 15 जुलाई को लॉन्च किया जाना था लेकिन तकनीकी खराबियों के चलते इसे रोक लिया गया।

टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि चंद्रयान-2  का प्रक्षेपण 21 या 22 जुलाई को किया जा सकता है। हालांकि, अभी इसरो की तरफ से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

अगर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण 21 या 22 जुलाई को हुआ तो ऐसे में उसकी यात्रा 4 दिन आगे बढ़ जाएगी। यानि वह 10 या 11 सितंबर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचेगा।

यह भी बताया जा रहा है कि अगर किसी करणवश चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण जुलाई में नहीं हुआ तो फिर सितंबर या अक्टूबर से पहले यह संभव नहीं हो पाएगा।

बता दें कि भारत ने सोमवार तड़के श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष प्रक्षेपण केंद्र से होने वाले दूसरे चंद्रमा मिशन, चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण तकनीकी खामी के चलते तय समय से लगभग एक घंटे पहले रद्द कर दिया। 

इसरो ने उस खामी के पीछे के कारण के बारे में अब तक कुछ नहीं बताया है जो उस वक्त आई जब रॉकेट के स्वदेशी क्रायोजनिक ऊपरी चरण के इंजन में द्रव प्रणोदक डाला जा रहा था। लेकिन विभिन्न अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने कहा है कि जल्दबाजी में किसी बड़ी आपदा मोल लेने की बजाए इसके प्रक्षेपण को टालने के लिए एजेंसी की सराहना की जानी चाहिए। 

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ‘बाहुबली’ कहे जा रहे भूस्थिर उपग्रह प्रक्षेपण वाहन जीएसएलवी मार्क-।।। के जरिए होने वाले चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण देखने के लिए यहां मौजूद थे । यह प्रक्षेपण तड़के 2:51 बजे होना था । मिशन के प्रक्षेपण से 56 मिनट 24 सेकंड पहले मिशन नियंत्रण कक्ष से घोषणा के बाद रात 1.55 बजे रोक दिया गया। 

अंतरिक्ष एजेंसी ने इससे पहले प्रक्षेपण की तारीख जनवरी के पहले सप्ताह में रखी थी, लेकिन बाद में इसे बदलकर 15 जुलाई कर दिया था। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इस 3,850 किलोग्राम वजन के अंतरिक्ष यान को अपने साथ एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर लेकर जाना था। 

इस उपग्रह को चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में उतरना था जहां वह इसके अनछुए पहलुओं को जानने का प्रयास करता। इससे 11 साल पहले इसरो ने पहले सफल चंद्रमा मिशन - चंद्रयान-1 का प्रक्षेपण किया था जिसने चंद्रमा के 3,400 चक्कर लगाए और 29 अगस्त, 2009 तक 312 दिनों तक वह काम करता रहा। 

ध्यानपूर्वक बनाई गई कक्षीय चरणों की योजना के अनुरूप इसे चंद्रमा पर उतरने में 54 दिन का वक्त लगता। पिछले हफ्ते प्रक्षेपण संबंधी पूर्ण अभ्यास के बाद रविवार सुबह 6.51 बजे इसके प्रक्षेपण की उल्टी गिनती शुरू हुई थी। 

इसरो का सबसे जटिल और अब तक का सबसे प्रतिष्ठित मिशन माने जाने वाले ‘चंद्रयान-2’ के साथ भारत, रूस, अमेरिका और चीन के बाद चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने वाला चौथा देश बन जाता। 

आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले छह दशकों में से 109 चंद्रमा मिशनों में 61 सफल हुए हैं और 48 विफल रहे। चंद्रमा मिशनों पर अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के डेटाबेस ने यह आंकड़े सामने रखे हैं।

1958 से लेकर 2019 तक भारत के साथ ही अमेरिका, यूएसएसआर (अब रूस), जापान, यूरोपीय संघ और चीन ने विभिन्न चंद्रमा मिशनों को लॉन्च किया है।

चंद्रमा तक पहले मिशन की योजना 17अगस्त 1958 में अमेरिका ने बनाई थी लेकिन ‘पायनियर 0’ का प्रक्षेपण असफल रहा। सफलता छह मिशन के बाद मिली। पहला सफल चंद्रमा मिशन लूना 1 था जिसका प्रक्षेपण सोवियत संघ ने चार जनवरी,1959 को किया था। 

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