Chandrayaan-2: चंद्रयान-2 की चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग सबसे चुनौती, 7 सितंबर को बड़ी परीक्षा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: August 21, 2019 08:19 AM2019-08-21T08:19:37+5:302019-08-21T08:19:37+5:30
आंध्र प्रदेश में स्थित श्रीहरिकोटा से चंद्रयान-2 ने लॉन्चिंग के 29 दिन बाद मंगलवार (20 अगस्त) को सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर चांद की कक्षा में प्रवेश किया है।
चंद्रयान-2 को आज चांद की कक्षा में प्रवेश कराना भारत के चंद्र मिशन के लिए 'बड़ी' परीक्षा थी, लेकिन 'सबसे बड़ी' परीक्षा 7 सितंबर को तब होगी जब भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) चांद की सतह पर चंद्रयान-2 की सॉफ्ट लैंडिंग कराएगा.
अंतरिक्ष एजेंसी ने अब से पहले इस तरह के काम को कभी अंजाम नहीं दिया है. इसरो के वैज्ञानिक चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में 7 सितंबर को होने वाली सॉफ्ट लैंडिंग को मिशन की सर्वाधिक जटिल चुनौती मानते हैं, लेकिन उनका जोश 'हाई' है. लैंडर 'विक्रम' ऑर्बिटर से अलग होकर उस दिन चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश करेगा.
लैंडर के चांद पर उतरने से पहले यह देखने के लिए तस्वीरें ली जाएंगी कि जहां सॉफ्ट लैंडिंग कराई जानी है, उस स्थान पर कोई खतरा तो नहीं है. इसके चांद पर उतरने के बाद इसके भीतर से रोवर 'प्रज्ञान' बाहर निकलेगा और अपने छह पहियों पर चलकर विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोग शुरू करेगा. वह एक चंद्र दिन (पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर) तक अपना कार्य करेगा.
वहीं, ऑर्बिटर चांद की कक्षा में चक्कर लगाकर अध्ययन करेगा. ऑर्बिटर और रोवर अपने अध्ययन और प्रयोग कार्य की जानकारी धरती पर बैठे इसरो वैज्ञानिकों को भेजेंगे. ऑर्बिटर एक साल तक अपने मिशन को अंजाम देता रहेगा. पहले
देश का दर्जा हासिल कर लेगा :
सॉफ्ट लैंडिंग के सफल होने पर रूस, अमेरिका और चीन के बाद भारत ऐसी उपलब्धि हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा. साथ ही भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में पहुंचने वाले प्रथम देश का दर्जा हासिल कर लेगा. इसरो के अध्यक्ष के. सिवन ने कहा कि सॉफ्ट लैंडिंग का क्षण बेहद 'डराने वाला' होगा क्योंकि भारत ऐसा कार्य पहली बार करने जा रहा है. सॉफ्ट लैंडिंग की तैयारी के बारे में सिवन ने कहा, ''मानव होने के नाते जो संभव था, वह हमने किया है.''