लाइव न्यूज़ :

चंद्रयान-एक को भी प्रक्षेपण के पहले गड़बड़ी का सामना करना पड़ा था: पूर्व इसरो प्रमुख

By भाषा | Updated: July 16, 2019 06:45 IST

चंद्रयान-दो का प्रक्षेपण टाले जाने के कुछ घंटे बाद पूर्व इसरो प्रमुख के माधवन नायर ने सोमवार को याद दिलाया कि चांद के लिए भारत के पहले मिशन में भी रॉकेट के प्रक्षेपण के कुछ पहले इसी तरह की गड़बड़ी का सामना करना पड़ा था।

Open in App
ठळक मुद्देचांद के लिए भारत के पहले मिशन में भी रॉकेट के प्रक्षेपण के कुछ पहले इसी तरह की गड़बड़ी का सामना करना पड़ा थावैज्ञानिकों ने गड़बड़ी का पता लगाकर इसे ठीक कर लिया और मिशन को योजना के मुताबिक अंजाम दिया गया।

नयी दिल्ली, 15 जुलाईचंद्रयान-दो का प्रक्षेपण टाले जाने के कुछ घंटे बाद पूर्व इसरो प्रमुख के माधवन नायर ने सोमवार को याद दिलाया कि चांद के लिए भारत के पहले मिशन में भी रॉकेट के प्रक्षेपण के कुछ पहले इसी तरह की गड़बड़ी का सामना करना पड़ा था । वर्ष 2008 में चंद्रयान-एक के प्रक्षेपण के दौरान अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष रहे नायर ने कहा कि अंतरिक्षण अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने गड़बड़ी का पता लगाकर इसे ठीक कर लिया और मिशन को योजना के मुताबिक अंजाम दिया गया।

चंद्रयान-एक ने सक्रिय रहने के दौरान 312 दिनों में चंद्रमा के चारों ओर 3,400 से अधिक परिक्रमा की और चंद्रमा की सतह पर पानी के कणों की मौजूदगी का पता लगाया। इसरो ने कहा है कि प्रक्षेपण यान प्रणाली में तकनीकी खामी दिखी। एहतियात के तौर पर चंद्रयान-2 का प्रक्षेपण टाल दिया गया है। नई तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी। वर्ष 2008 की घटना को याद करते हुए नायर ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘चंद्रयान एक के प्रक्षेपण के दो घंटे पहले प्रणोदक में लीकेज का पता चला। इसे सुधार लिया गया और उसी दिन मिशन को अंजाम दिया गया।’’

चंद्रयान-दो का जिक्र करते हुए इसरो के पूर्व प्रमुख ने कहा कि वैज्ञानिकों को गैस बोतलों में एक को दबावीकृत करते समय शायद लीकेज का पता चला था। नायर ने कहा, ‘‘यह पता लगाया जाएगा कि असल में यह कहां हुआ और सुधार के कदम उठाए जाएंगे। अब यह प्रक्रिया चल रही है।’’ उन्होंने कहा कि प्रक्षेपण के पहले इस तरह की गड़बड़ी ‘असमान्य’ नहीं है । उन्होंने कहा कि समय रहते खामी का पता लगने से बर्बादी से बच गए। नायर ने कहा, ‘‘चंद्रमा मिशन की सफलता दर करीब 60 प्रतिशत है। उपग्रह प्रक्षेपण की तुलना में चंद्रमा मिशन बहुत जटिल होता है। हालांकि पिछले छह दशकों से ज्यादा के अनुभवों के कारण सफलता दर में सुधार हो रहा है।’’

 

टॅग्स :चंद्रयानभारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन
Open in App

संबंधित खबरें

भारत"आज देश स्पेस सेक्टर में जो देख रहा वैसा पहले नहीं देखा...", स्काईरूट के इन्फिनिटी कैंपस के उद्घाटन में बोले पीएम मोदी

भारतVIDEO: इसरो ने श्रीहरिकोटा से सबसे भारी कम्युनिकेशन सैटेलाइट CMS-03 लॉन्च किया

भारतISRO: आज फिर रचेगा इसरो इतिहास, संचार उपग्रह 'LVM3-M5' का होगा प्रक्षेपण

भारतकौन थे एकनाथ वसंत चिटनिस, विक्रम साराभाई के साथ भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम की नींव?

भारतGaganyaan Mission: अंतरिक्ष क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि की ओर बढ़ता भारत

भारत अधिक खबरें

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल

भारतजमीनी कार्यकर्ताओं को सम्मानित, सीएम नीतीश कुमार ने सदस्यता अभियान की शुरुआत की

भारतसिरसा जिलाः गांवों और शहरों में पर्याप्त एवं सुरक्षित पेयजल, जानिए खासियत