Chamliyal Mela 2022: बाबा चमलियाल की मजार पर 23 जून को लगेगा मेला, इस बार पाकिस्तानी नागरिकों को नहीं नसीब होगा बाबा का प्रसाद

By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 20, 2022 03:58 PM2022-06-20T15:58:30+5:302022-06-20T16:01:32+5:30

इस बार पाक रेंजरों के अड़ियलपन के कारण पाकिस्तानी नागरिकों को बाबा का प्रसाद नसीब नहीं होगा। यह मेला 23 जून को लगेगा।

Chamliyal Mela 2022 Indo-Pak Chamliyal Mela 23 June | Chamliyal Mela 2022: बाबा चमलियाल की मजार पर 23 जून को लगेगा मेला, इस बार पाकिस्तानी नागरिकों को नहीं नसीब होगा बाबा का प्रसाद

Chamliyal Mela 2022: बाबा चमलियाल की मजार पर 23 जून को लगेगा मेला, इस बार पाकिस्तानी नागरिकों को नहीं नसीब होगा बाबा का प्रसाद

Highlightsपाकिस्तानी और भारतीय सेनाओं के जवान इस सीमा चौकी पर बांटते हैं ‘शक्कर’ और ‘शर्बत’ बंटवारे के बाद से चली आ रही है दोनों मुल्कों के बीच ये परंपरा

चमलियाल सीमा चौकी (जम्मू फ्रंटियर): बंटवारे के बाद 70 सालों से चली आ रही परंपरा का निर्वाह करते हुए पाकिस्तानीभारतीय सेनाओं के जवान इस सीमा चौकी पर ‘शक्कर’ और ‘शर्बत’ बांट कर उन हजारों लोगों को सुकून पहुंचाते थे, जो चौकी पर स्थित बाबा दीलिप सिंह मन्हास अर्थात बाबा चमलियाल की दरगाह पर माथा टेकने आते थे लेकिन बावजूद इस आदान-प्रदान के इच्छाएं हमेशा ही बंटी हुई रही हैं। यह इच्छाएं उन पाकिस्तानियों की हैं जो 1947 के बंटवारे के बाद उस ओर चले तो गए लेकिन बचपन की यादें आज भी ताजा हैं। इस बार पाकिस्तानी नागरिकों को बाबा का प्रसाद भी नसीब नहीं होगा पाक रेंजरों के अड़ियलपन के कारण।

वर्ष 2017 की बात है बाबा चमलियाल की दरगाह पर चढ़ाने के लिए पवित्र चाद्दर लाने वाले बाबा की आंखों से उस समय आंसू आ गए थे जब उससे बाबा चमलियाल की दरगाह के बारे में पूछा गया था। ‘मैं कैसे भूल सकता हूं सामने वाले गांव में ही तो मेरा घर है। पांच साल का था जब मैं बंटवारे के कारण पाकिस्तान में चला आया था,’वह कहता था। 20 सालों से लगातार बाबा चमलियाल की दरगाह के लिए पवित्र चाद्दर ला रहा था। तब उसके साथ उसका बेटा भी था जफ्फर अब्बास। खुशी उसे भी थी। खुशी अगर भारतीय क्षेत्रों को इतने पास से देखने की थी तो बाबा चमलियाल के दर्शनों की आस भी थी। वह यह भी आस लगाए बैठा था कि चंद कदमों की दूरी पर स्थित वह अपने दादाजान के उस घर को देख सके, जिसकी कहानियां आज भी उसके गांव में सुनाई जाती हैं।

चमलियाल बाबा की दरगाह पर जाकर माथा टेकने और दुआएं मांगने की इच्छाएं सिर्फ इन्हीं लोगों की नहीं थीं बल्कि पाकिस्तानी रेंजर्स के चिनाब रेंजर्स के कमांडिंग आफिसरों की भी थी जो पिछले कई सालों से दरगाह पर चढ़ाने के लिए पवित्र चाद्दरें तो लाते थे पर दरगाह तक नहीं पहुंच पाते थे। उनकी इच्छा भी पूरी नहीं हो पा रही। दूसरे शब्दों में कहें तो इच्छाएं बंटी हुई है। इच्छाओं के बंटवारे के लिए भी वही सीमा रेखा जिम्मेदार थी जिस पर दोनों मुल्कों के जो मुट्ठी भर लोग खड़े होकर एक-दूसरे की जमीन को देखने और जीरो लाइन की मिट्टी की खुशबू को पहचानने की कोशिश करते थे वे भी यह तय नहीं कर पाते थे कि आखिर दोनों अलग-अलग मुल्कों के नागरिक क्यों कहलाते हैं।

कुछ अलग किसी को नजर नहीं आता था। न ही कुछ महसूस होता था। सिवाय इसके कि दोनों मुल्कों के सैनिकों द्वारा अपनी कलाईंयों पर बांधी गईं घड़ियों के सिर्फ समय ही उन्हें बार-बार याद दिलाते थे कि वे अलग-अलग मुल्कों के वाशिंदें हैं। हालांकि पाक रेंजर्स के कमांडिग आफिसर अपने परिवार समेत बाबा चमलियाल की दरगाह पर आकर माथा टेकने की इच्छा को पूरा करने की खातिर कई बार ‘निवेदन’ तो कर चुके थे लेकिन वह स्वीकार नहीं हो पाया था।

दोनों मुल्कों की जनता के बीच यूं तो शक्कर और शर्बत को बांट कर बंटवारे के दुख को कम करने का प्रयास जरूर होता रहा था मेले में, पर जमीनी हकीकत यही थी कि गले मिलने के बावजूद दिल नहीं मिल पाते थे। हर कोई एक दूसरे को शक की निगाह से देखता था। अगर इस ओर के सुरक्षाधिकारी पाक रेंजरों से बातचीत पर ध्यान देने की कोशिश करते तो पाकिस्तानी रेंजर अपने नागरिकों को कुछ भी ‘सच’ नहीं बताने की हिदायत भी देते थे।

लेकिन यह सब कब और कहां तक चलता। उस ओर बाबा की दरगाह में रहने वाला साईं रहमत (पाकिस्तानी नागरिकों के लिए वह पीर-फकीर है) ने सच बोलते हुए यह बताने की कोशिश की थी कि वह पिछले साल भीतर तक आया था तो पाक रेंजरों ने उसे झाड़ दिया। तब तो वह खामोश रहा लेकिन वापस लौटने पर उसने अपना गुस्सा ‘अली-अली’ की आवाज में जरूर दिखाया था।

Web Title: Chamliyal Mela 2022 Indo-Pak Chamliyal Mela 23 June

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