सुप्रीम कोर्ट के निर्दश पर पीएम मोदी के सामने पेश किए जाएंगे लाल बहादुर शास्त्री की मौत से जुड़े दस्तावेज, ताकि ले सकें ये फैसला
By भाषा | Published: September 24, 2018 06:55 PM2018-09-24T18:55:24+5:302018-09-24T18:56:04+5:30
एक आरटीआई आवेदन पर प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारियों को यह निर्देश जारी किया है।
नई दिल्ली, 24 सितंबर: केंद्रीय सूचना आयोग ने सोमवार को व्यवस्था दी कि पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु से जुड़े सारे गोपनीय रिकार्ड प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामने रखे जाएं ताकि वे इसे सार्वजनिक करने के संबंध में कोई निर्णय लें।
एक आरटीआई आवेदन पर प्रधानमंत्री कार्यालय, विदेश मंत्रालय और गृह मंत्रालय के केंद्रीय सार्वजनिक सूचना अधिकारियों को यह निर्देश जारी किया है। आरटीआई आवेदन में यह जानकारी मांगी गयी है कि क्या शास्त्री का अंत्यपरीक्षण किया गया था जिनका सोवियत संघ के ताशकंद में 11 जनवरी, 1966 में निधन हो गया था।
सूचना आयुक्त श्रीधर आचार्युलू ने कहा कि आयोग सभी तथाकथित गोपनीय कागजातों को प्रधानमंत्री और गृहमंत्री के सामने रखने का निर्देश देता है जिनसे लोगों के जानने के मौलिक अधिकार और (रिकार्ड) को सार्वजनिक करने की उनकी मांग पर विचार करने की सिफारिश है। ऐसा करने के लिए वे विशेषज्ञ समिति या अन्य प्रक्रिया की मदद ले सकते हैं ताकि रहस्य दूर हो।
उन्होंने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया कि 1970 के दशक के उत्तरार्ध में जनता पार्टी सरकार द्वारा शास्त्री की मौत की जांच के लिए बनायी गयी राजनारायण समिति से जुड़ा कोई रिकार्ड राज्यसभा के पास नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘संसद बहुत सावधानी से दस्तावेजों को सहेजने के लिए जानी जाती है। संसद में कहा गया हर शब्द रिकार्ड और सार्वजनिक दायरे में रखा जाता है, एक ऐसा भारी-भरकम काम है जिसे कार्यालय बिल्कुल सही तरह से कर रहा है। तब ऐसा महत्वपूर्ण रिकार्ड कैसे गायब हो गया।’’
आचायुलू ने सिफारिश की कि संसद के संवैधानिक प्राधिकारी इसकी जांच करें या समिति के रिकार्ड हासिल करने का प्रयास करें।
शास्त्री की1965 की भारत पाकिस्तान लड़ाई के बाद पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खान के साथ एक घोषणापत्र पर दस्तखत करने के कुछ ही घंटे बाद ताशकंद में मृत्यु हो गयी थी। वैसे तो उनकी मृत्यु कथित रुप से दिल का दौरा पड़ने से हुई थी लेकिन विदेशी धरती पर उनकी मौत से जुड़ी परिस्थितियों पर प्रश्न खड़े हुए।