किसानों के लिए मोदी सरकार का तोहफा, आय बढ़ाने के लिए 5 साल में बनेंगे 10,000 नए किसान उपज संगठन

By भाषा | Published: February 20, 2020 06:26 AM2020-02-20T06:26:31+5:302020-02-20T06:26:31+5:30

कृषक उत्पाद संगठनों को सहारा और बढ़ावा देने के काम को अमल में लाने के लिये तीन एजेंसियां होंगी। इनमें- लघु कृषक कृषि- व्यवसाय समूह (एसएफएसी), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड), शामिल हैं।

CCEA okays formation of 10,000 FPOs by 2024 with Rs 4,496 crore outlay | किसानों के लिए मोदी सरकार का तोहफा, आय बढ़ाने के लिए 5 साल में बनेंगे 10,000 नए किसान उपज संगठन

किसानों के लिए मोदी सरकार का तोहफा, आय बढ़ाने के लिए 5 साल में बनेंगे 10,000 नए किसान उपज संगठन

Highlightsयोजना के तहत करीब डेढ़ लाख रोजगार सृजित होने की संभावना है। केन्‍द्रीय कृषि मंत्री की स्‍वीकृति के साथ आवश्‍यकता और अनुभव के आधार पर न्‍यूनतम सदस्‍यों की संख्‍या संशोधित की जा सकती है।

सरकार ने किसानों की उत्पादन लागत कम करने और उनकी आय बढ़ाने के लिये बुधवार को एक अहम फैसला किया। वर्ष 2024 तक 10 हजार नये कृषक उत्पाद संगठनों (एफपीओ) की स्थापना के लिये 4,500 करोड़ रुपये के बजट समर्थन को मंजूरी दी गई है। इसके अलावा, वर्ष 2024-25 से वर्ष 2027-28 के दौरान इन एफपीओ की सहायता के लिए 2,369 करोड़ रुपये की राशि खर्च होने का अनुमान लगाया गया है, जिसको मिलाकर कुल समर्थन राशि 6,865 करोड़ रुपये हो जायेगी।

कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में किसानों की आय वृद्धि सुनिश्चित करने के उद्देश्य से वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24 तक के पांच साल की अवधि में 10,000 एफपीओ के गठन को अपनी मंजूरी दे दी है।

एफपीओ की स्थापना के बाद अगले पांच वर्षो के लिए प्रत्येक एफपीओ को समर्थन जारी रहेगा।’’ एक सरकारी बयान में कहा गया है कि सीसीईए ने एक नई केंद्रीय क्षेत्र योजना 'कृषक उत्पाद संगठन की स्थापना और प्रोत्साहन’ को मंजूरी दी है। इसके तहत 10,000 नये एफपीओ की स्थापना और उन्हें बढ़ावा दिये जाने के वास्ते पांच साल के लिए 4,496 करोड़ रुपये (वर्ष 2019-20 से वर्ष 2023-24) के बजट प्रावधान की मंजूरी दी गई है। योजना के तहत वर्ष 2024-25 से वर्ष 2027-28 की अवधि में 2,369 करोड़ रुपये की एक और प्रतिबद्ध देनदारी की परिकल्पना की गई है, जिसमें प्रत्येक एफपीओ को अपने गठन से पांच साल तक समर्थन प्रदान किया जायेगा। इस राशि को मिलाकर कुल समर्थन 6,865 करोड़ रुपये हो जाता है।

मंत्री ने कहा कि कृषक उत्पाद संगठनों को सहारा और बढ़ावा देने के काम को अमल में लाने के लिये तीन एजेंसियां होंगी। इनमें- लघु कृषक कृषि- व्यवसाय समूह (एसएफएसी), राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) और नेशनल बैंक फॉर एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट (नाबार्ड), शामिल हैं। राज्य भी चाहें तो केंद्रीय कृषि मंत्रालय के परामर्श से अपनी कार्यान्वयन एजेंसी को इसमें नामित कर सकते हैं। योजना के तहत करीब डेढ़ लाख रोजगार सृजित होने की संभावना है।

बयान में कहा गया है, छोटे और सीमांत किसानों के पास मूल्य संवर्द्धन सहित उत्पादन तकनीक, सेवाओं और विपणन को अपनाने के लिए आर्थिक क्षमता नहीं होती है। एफपीओ के माध्यम से, किसान सामूहिक रूप से अधिक सुदृढ़ होने के साथ-साथ अधिक आय अर्जित करने हेतु बेहतर विपणन एवं गुणवत्तायुक्त उत्पाद और प्रौद्योगिकी तक पहुँच बनाने में सक्षम होंगे। प्रारंभ में मैदानी क्षेत्र में एफपीओ में सदस्‍यों की न्‍यूनतम संख्‍या 300 और पूर्वोत्‍तर एवं पहाड़ी क्षेत्रों में 100 होगी।

हालांकि, केन्‍द्रीय कृषि मंत्री की स्‍वीकृति के साथ आवश्‍यकता और अनुभव के आधार पर न्‍यूनतम सदस्‍यों की संख्‍या संशोधित की जा सकती है। देश के आकांक्षी जिलों के प्रत्‍येक ब्‍लॉक में कम से कम एक एफपीओ के गठन के साथ आकांक्षी जिलों में एफपीओ के गठन को प्राथमिकता दी जाएगी। एफपीओ को 'एक जिला एक उत्पाद’ क्लस्टर के तहत बढ़ावा दिया जाएगा ताकि एफपीओ द्वारा विशेषज्ञता और बेहतर प्रसंस्करण, विपणन, ब्रांडिंग और निर्यात को बढ़ावा दिया जा सके। 

Web Title: CCEA okays formation of 10,000 FPOs by 2024 with Rs 4,496 crore outlay

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