कावेरी जल विवाद:किसानों ने मानव कंकाल रखकर जताया विरोध, कर्नाटक सरकार से तमिलनाडु को पानी देने की मांग

By आकाश चौरसिया | Published: September 25, 2023 03:20 PM2023-09-25T15:20:55+5:302023-09-25T16:11:02+5:30

कावेरी नदी विवाद पर अय्याकन्नू के नेतृत्व में किसानों ने विरोध प्रदर्शन तमिलनाडु के त्रिची में किया है। प्रोटेस्ट में सभी किसानों ने एक बार फिर मानव कंकाल को आगे रखकर कावेरी नदी के पानी के बंटवारे की मांग रखी है।

Cauvery water dispute Farmers protest by keeping human skeletons demand Karnataka government to prov | कावेरी जल विवाद:किसानों ने मानव कंकाल रखकर जताया विरोध, कर्नाटक सरकार से तमिलनाडु को पानी देने की मांग

फोटो क्रेडिट- (एएनआई)

Highlightsकिसानों ने विरोध प्रदर्शन तमिलनाडु के त्रिची में किया है। प्रोटेस्ट में किसानों ने मानव कंकाल को आगे रखकर कावेरी नदी के पानी के बंटवारे की मांग कीकुरुवई फसल की खेती को बचाने के लिए कावेरी नदी का पानी तमिलनाडु पहुंचना आवश्यक है

चेन्नई: कावेरी विवाद पर अय्याकन्नू के नेतृत्व में नेशनल साउथ इंडिया रिवर इंटरलिंकिंग एसोसिएशन के बैनर तले किसानों ने विरोध प्रदर्शन तमिलनाडु के त्रिची में किया। प्रोटेस्ट में सभी किसानों ने एक बार फिर मानव कंकाल को आगे रखकर कावेरी नदी के पानी के बंटवारे की मांग रखी है।

किसानों के अनुसार, कुरुवई फसल की खेती को बचाने के लिए कावेरी नदी का पानी तमिलनाडु पहुंचना आवश्यक है। त्रिची से जो बात सामने आई हैं उसमें कहा गया हैं कि विवाद में किसानों के जीवन को बचाने के लिए कर्नाटक से तमिलनाडु पानी जल्द छोड़े। इसी तरह के स्लोगन के साथ मांग किसानों न अपनी आवाज बुलंद की। 

कर्नाटक ने मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने प्रदर्शन पर सफाई देते हुए कहा, "किसानों को विरोध प्रदर्शन करने का अधिकार है हम उन्हें रोक नहीं सकते लेकिन जेडीएस-भाजपा उन्हें भड़का रहे हैं। उन्होंने कहा कि कावेरी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई होनी है और हमारे वकील कोर्ट में बहस करने के लिए उपस्थित रहेंगे।"

कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण ने आदेश दिया है कि कर्नाटक सरकार 5000 क्यूसेक पानी पड़ोसी राज्य तमिलनाडु को पहुंचाए। दूसरी तरफ सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार द्वार दाखिल की गई याचिका को सुनने से इनकार कर दिया है। तमिनाडु सरकार ने कोर्ट से कहा है कि कर्नाटक 5000 से 7000 क्यूसेक पानी छोड़े।

वहीं, रविवार को त्रिची में ही किसानों के एक समूह ने कावेरी नदी जल विवाद पर नदी के पाने में ही प्रदर्शन किया। दोनों ही राज्यों में हो रहे प्रदर्शन के बाद कर्नाटक ने भारी सूखे का हवाला देते हुए कड़ा रुख अख्तियार कर पानी छोड़ने से मना कर दिया है। 

सिद्दरमैया ने कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने हमारी याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें हमने कहा था कि हम तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी देने में अस्मर्थ हैं। सीएम ने आगे कहा कि हमने एक और याचिका कोर्ट में दाखिल की है जिसमें कावेरी नदी प्राधिकारिण के दिए आदेश पर सवाल उठाया। फिर भी सुप्रीम कोर्ट ने हमारी याचिका को खारिज कर दी है।"

तमिलनाडु की तरफ से कर्नाटक सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि जो कोर्ट का आदेश है उसमें कर्नाटक से कावेरी नदी के पानी को उचित मात्रा में छोड़ने के लिए कहा गया है। तमिलनाडु ने दावा किया है कि कर्नाटक सरकार ने अपना रुख बदल लिया है और अब कम मात्रा में पानी छोड़ने की बात कर्नाटक की ओर से की जा रही है।

एपेक्स कोर्ट में सिद्दरमैया द्वारा दिए बयान पर कर्नाटक में बीजेपी-जेडीएस गठबंधन ने कहा है कि सिद्दरमैया सरकार कावेरी नदी को सुरक्षित रखने में नाकमायाब रही है। असल में सीएम सिद्दरमैया ने कहा था कि वह सीमा में बंधे हुए हैं और ज्यादा कुछ नहीं कर सकते।  

डीएमके सांसद त्रुचि शिवा ने इस पूरे विवाद पर मुखर होकर कहा कि कर्नाटक की ओर से कहा जा रहा कि कावेरी नदी में पानी कम है लेकिन दूसरी तरफ हमारा प्रदेश पानी के लिए तड़प रहा है। उन्होंने कहा कि डेल्टा किसान अपनी खेती पर ही निर्भर हैं और उन्हें खेत जोतने के लिए पानी की आवश्यकता रहती है। 

डीएमके सांसद ने बताया कि सरकार कानूनी प्रक्रिया के भीतर रहते हुए कोशिश और संभव प्रयास कर रही है। अब इसके लिए केंद्र सरकार और जल शक्ति मंत्री से भी मामले को सुलझाने के लिए मदद मांग रहे हैं। द्रमुक सांसद शिवा ने कहा कि तमिलनाडु सरकार मामले को कूटनीतिक तरीके से संभाल रही है और उम्मीद की है कि जल्द ही कावेरी नदी का पानी उन्हें मिल जाए।  

बेंगलुरु में कन्नड़ संगठन समर्थित ने 26 सितंबर को बेंगलुरु बांध पर एक बैठक बुलाई है।  यह बैठक तब होने जा रही है जब शनिवार को कन्नड़ समर्थित संगठन ने कर्नाटक के मांड्या में पूरी तरह से बंद करने का ऐलान किया था।

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