सेना के कपड़ा स्टोर में अनियमितताओं के मामले में गवाह हवलदार की हिरासत का मामला: अदालत ने दिया रिहाई का आदेश
By भाषा | Published: April 15, 2021 01:48 PM2021-04-15T13:48:58+5:302021-04-15T13:48:58+5:30
जबलपुर (मप्र), 15 अप्रैल मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने यहां सेना के अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि सेना के कपड़ा स्टोर में अनियमितताओं के मामले में हिरासत में लिये गये सेना के गवाह हवलदार सुमेश बी को रिहा किया जाये। इस हवलदार को सेना के कमांडिंग आफिसर के आदेश पर इस साल 23 फरवरी को हिरासत में लिया गया था।
न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति वीरेन्द्र सिंह की खंडपीठ ने इस हवलदार की पत्नी सारान्या जी.एस. द्वारा इस मामले में दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुये छह अप्रैल को यह आदेश दिया।
यह जानकारी याचिकाकर्ता के वकील अजय पाल सिंह ने गुरूवार को दी है।
उन्होंने कहा कि अदालत ने यह आदेश देते हुए कहा कि सेना के कमांडिंग आफिसर के आदेश पर हवलदार सुमेश बी को हिरासत में लिए करीब डेढ़ माह गुजर चुका है। कमांडिंग आफिसर के उस वक्त उसकी हिरासत में लेने की समयसीमा नहीं बताई थी।
सिंह ने बताया कि अदालत के आदेश में कहा गया है कि इस हवलदार को बिना किसी उचित कारण के उसकी निजी स्वतंत्रता का हनन कर अनिश्चितकाल के लिए मिलिटरी की हिरासत में नहीं रखा जा सकता है।
उन्होंने कहा कि यह बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका वन सिगनल ट्रेनिंग केन्द्र (वनएसटीसी) जबलपुर में पदस्थ हवलदार सुमेश बी की पत्नी सारान्या जीएस की ओर से दायर की गई थी। याचिका में कहा गया है कि वनएसटीसी में हुए कपड़ा घोटाले में सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी चल रही है। इस मामले में उसके पति सुमेश बी गवाह हैं। 23 फरवरी 2021 को आर्मी ने उसके पति को अवैध हिरासत में ले लिया है। लगभग डेढ़ माह होने के बाद भी उसके पति को किसी से भी मिलने नहीं दिया जा रहा है।
सिंह ने याचिका की पैरवी करते हुए अदालत में तर्क दिया कि हवलदार सुमेश बी को हिरासत में लेने के 48 घंटे बाद किसी सक्षम अदालत में पेश नहीं किया गया। इसके अलावा, वह गवाह है और उसके खिलाफ किसी भी प्रकार का आरोप नहीं है। ऐसे में कर्नल अखिलेश सिंह और मेजर अजीत सिंह द्वारा हवलदार को अवैध रूप से हिरासत में रखा गया है।
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