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तो क्या कश्मीर में बन सकती कांग्रेस सरकार? महबूबा का मूड बदला तो बीजेपी को पड़ जाएगी लेनी की देनी

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: June 19, 2018 16:45 IST

 जम्मू-कश्मीर में कुल 89 विधान सभा सीटें हैं। राज्य में कुल 87 सीटों के लिए चुनाव होते हैं। दो सीटें मनोनीत सदस्यों के लिए आरक्षित है। राज्य में बहुमत के लिए कुल 45 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है।

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जम्मू-कश्मीर में बीजेपी और पीडीपी गठबंधन की सरकार मंगलवार (19 जून) को गिर गई। इधर बीजेपी महासचिव ने पीडपी से समर्थन वापस लेने की घोषणा की उधर महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया। महबूबा के इस्तीफे की खबर अभी ठण्डी भी नहीं हुई थी कि कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद ने घोषणा कर दी कि उनकी पार्टी पीडीपी को समर्थन नहीं देगी। इस तरह ऐसा सीन बन रहा है जैसे कश्मीर में अब किसी भी दल की सरकार बननी मुश्किल होगी। लेकिन पुरानी कहावत है कि राजनीति संभावनाओं की कला है। राजनीतिक दलों के नेता चाहे जो भी कहें जम्मू-विधान सभा के समीकरण देखें तो अभी राज्य में सरकार बनने की सारी संभावनाएं खत्म नहीं हुई है। खास तौर पर जिस तरह हाल ही में कर्नाटक में जनता दल (सेकुलर) की सरकार बनी उसके बाद तो इस तरह की संभावनाओं को पूरी तरह खारिज करना अक्लमंदी नहीं होगी।

आइए पहले देखते हैं कि जम्मू-कश्मीर विधान सभा की मौजूदा स्थिति क्या है-

जम्मू-कश्मीर में कुल 89 विधान सभा सीटें हैं। राज्य में कुल 87 सीटों के लिए चुनाव होते हैं। दो सीटें मनोनीत सदस्यों के लिए आरक्षित है। अभी विधान सभा में महबूबा मुफ्ती की पीडीपी के पास 28 विधायक हैं। बीजेपी के पास 25, नेशनल कॉन्फ्रेंस के पास 15, कांग्रेस के पास 12 और जेके पीपल्स कांफ्रेंस के पास दो, सीपीआई (एम) और जेके पीपल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के पास एक-एक सीटें हैं। तीन सीटें निर्दलियों के पास हैं। राज्य में बहुमत के लिए कुल 45 विधायकों के समर्थन की जरूरत होती है। आइए देखते हैं कि जम्मू-कश्मीर में सरकार बनने की क्या-क्या संभावनाएं हैं-

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1- कांग्रेस को पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस समर्थन दे दें

अगर बीजेपी विरोधी दल हाथ मिला लें तो जम्मू-कश्मीर में भी कर्नाटक का इतिहास दोहराया जा सकता है। कर्नाटक में बीजेपी 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। कांग्रेस को 78 सीटें और जेडीएस को 37 सीटें मिली थीं। राज्यपाल वजुभाई वाला ने सबसे बड़े दल के नाते सरकार बनाने का न्योता दिया था लेकिन बीएस येदियुरप्पा सरकार 55 घण्टे में गिर गयी थी। उसके बाद कांग्रेस की मदद से तीसरे बड़े दल जेडीएस की कांग्रेस की मदद से सरकार बनी। कश्मीर में भी कांग्रेस को अगर पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस समर्थन दे दें तो उसकी सरकार बन जाएगी।  

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2- कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस सरकार बना लें और पीडीपी उन्हें समर्थन दे दे

नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा है कि उनकी पार्टी किसी भी दल से सरकार बनाने के लिए सम्पर्क नहीं किया है और न ही किसी अन्य दल ने उनसे बात की है। उमर अब्दुल्ला ने राज्य में राज्यपाल शासन लगाने की माँग की है। उमर अब्दुल्ला भले ही अभी किसी भी गठबंधन की संभावना को खारिज कर दिया है लेकिन उनके बयान को सावधानी से पढ़ा जाए तो उन्होंने भावी संभावनाओं के द्वार बंद नहीं किए हैं। उनके बयान से जाहिर है कि अगर कोई दल उनसे सम्पर्क करता है तो वो उस पर विचार कर भी सकते हैं। ऐसे में अगर कांग्रेस बीजेपी को सबक सिखाने के लिए नेशनल कांफ्रेंस की तरफ हाथ बढ़ा दे तो सियासी पासा पलट सकता है। कर्नाटक में कांग्रेस ने आगे बढ़कर जेडीएस को समर्थन दिया था और एचडी कुमारस्वामी को मुख्यमंत्री के रूप में स्वीकार किया था।

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3- नेशनल कांफ्रेस सरकार बना ले और पीडीपी और कांग्रेस उसे समर्थन दे दें

महबूबा मुफ्ती सरकार गिरने के बाद जिस तरह उमर अब्दुल्ला ने किसी राजनीतिक दल के पास न जाने और राज्यपाल शासन लगाने की माँग की है उससे एक संकेत ये भी मिलता है कि वो राज्य में सरकार केवल अपनी शर्त पर ही बनाने को तैयार होंगे जब उनकी शर्तें मानी जाएंगी। भले ही अभी ये बात नामुमकिन लगे लेकिन इस संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता कि अगर पीडीपी और कांग्रेस समर्थन दे दें तो नेशनल कांफ्रेंस राज्य में सरकार बना ले।

4- पीडीपी दोबारा सरकार बना ले और कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस उसे समर्थन दे दें

मौजूदा समीकरण के अनुसार अगर नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस पीडीपी को पीडीपी को समर्थन देते हैं तो महबूबा मुफ्ती सरकार दोबारा बन सकती है। इन तीनों दलों ने गठबंधन कर लिया तो इनके कुल विधायकों की संख्या 52 हो जाएगी और महबूबा मुफ्ती आराम से विधान सभा में अपना बहुमत साबित कर लेंगी। अगर निर्दलीय और सीपीएम, जेकेपीसी और जेकेपीडीएफ के विधायकों का भी समर्थन पीडीपी को मिल जाता है तो 59 हो जाएगी जो बहुमत से काफी अधिक होगा। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेस के पास सरकार में शामिल हुए बिना पीडीपी सरकार को बाहर से समर्थन देने का भी विकल्प है। 

5 - कांग्रेस, पीडीपी और नेशनल कांफ्रेंस किसी छोटे दल या निर्दलीय को मुख्यमंत्री बनाकर उसे समर्थन दे दें

ये सबसे दूर की कौड़ी है लेकिन ऐसा हुआ तो ये भारतीय राजनीति में पहली बार नहीं होगा। सितंबर 2006 में झारखण्ड के निर्दलीय विधायक मधु कोड़ा कांग्रेस, झारखण्ड मुक्ति मोर्चा, राष्ट्रीय जनता दल और अन्य दलों की मदद से राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। कोड़ा की सरकार  अगस्त 2008 तक चली थी। अगर कश्मीर में भी कांग्रेस यही कर दे तो सब दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो जाएंगे। ये विकल्प मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं।

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