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CAA Protest: दिल्ली पुलिस के कर्मी चाहते हैं कि जल्दी ही अमन बहाल हो, चैन से घर जा सकें

By भाषा | Updated: December 21, 2019 15:59 IST

संसद मार्ग थाने के एक कांस्टेबल ने बताया, ‘‘सीएए विरोधी प्रदर्शनों के कारण हम लगातार काम कर रहे हैं। पूरे थाने का स्टाफ सारा काम छोड़कर सिर्फ प्रदर्शन ड्यूटी में लगा हुआ है। मैं छह दिन से प्रदर्शन स्थल पर हूं। सुबह सात बजे घर से खाकर निकलता हूं।’’

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ठळक मुद्देकनॉट प्लेस थाने के एक कांस्टेबल ने बताया कि उन्हें सुबह आठ बजे प्रदर्शन शुरू होने से पहले ड्यूटी पर पहुंचने को कहा गया है।संसद मार्ग थाने के एक हेड कांस्टेबल ने बताया कि उनके अवकाश रद्द कर दिए गए हैं।

संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर राजधानी दिल्ली में जारी प्रदर्शनों के दौर के बीच दिन में 20-20 घंटे काम करने का दावा करने वाले दिल्ली पुलिस के कर्मी चाहते हैं कि उनके शहर में जल्दी ही अमन बहाल हो और वे चैन से अपने घर जा सकें।

इन प्रदर्शनों के बीच ड्यूटी पर लगे पुलिसकर्मियों की हालत ऐसी है कि उन्हें समय से शौच तक जाने का अवसर नहीं मिल पा रहा है। संसद मार्ग थाने के एक कांस्टेबल ने बताया, ‘‘सीएए विरोधी प्रदर्शनों के कारण हम लगातार काम कर रहे हैं। पूरे थाने का स्टाफ सारा काम छोड़कर सिर्फ प्रदर्शन ड्यूटी में लगा हुआ है। मैं छह दिन से प्रदर्शन स्थल पर हूं। सुबह सात बजे घर से खाकर निकलता हूं।’’

अन्य पुलिसकर्मियों की हालत भी कुछ ऐसी ही है। कनॉट प्लेस थाने के एक कांस्टेबल ने बताया कि उन्हें सुबह आठ बजे प्रदर्शन शुरू होने से पहले ड्यूटी पर पहुंचने को कहा गया है। हम पूरे दिन वहीं रहते हैं, कोई अल्पावकाश नहीं, आधे घंटे का भी नहीं। प्रशासन हमारे लिए डिब्बाबंद भोजन ला रहा है, लेकिन कई बार जब खाना नहीं आ पाता है तो हमें अपना इंतजाम खुद करना पड़ता है।

पीने का पानी भी उपलब्ध नहीं है। संसद मार्ग थाने के एक हेड कांस्टेबल ने बताया कि उनके अवकाश रद्द कर दिए गए हैं। पुलिसकर्मियों का दावा है कि पिछले छह दिन से वे दिन में 20 घंटे से ज्यादा काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें जगह से नहीं हिलने का स्पष्ट आदेश है।

वरिष्ठ हमें घर का काम या किसी जरुरी काम के लिए एक घंटे का भी अवकाश नहीं दे रहे हैं। कल मैं 19 घंटे की ड्यूटी के बाद किसी आपात स्थिति में घर पहुंचा ही था कि वापस बुला लिया गया।’’ महिला पुलिसकर्मियों का कहना है कि वे भी हालात सामान्य होने का इंतजार कर रही हैं।

उनका कहना है, ‘‘हम लंबे कामकाजी घंटों को लेकर शिकायत नहीं कर रहे हैं, लेकिन हालात हमारे लिए भी मुश्किल हैं। मुझे तीन दिसंबर को जंतर मंतर भेजा गया, वहां दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख धरने पर बैठी थीं। मैं देर रात तीन बजे वहां से घर के लिए निकली और फिर सुबह आठ बजे ड्यूटी चली आयी। हम बिना किसी रिलिवर के शौचालय भी नहीं जा सकते हैं।’’

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