सीएए: जमीयत प्रमुख मदनी ने कहा- सुप्रीम कोर्ट का स्थगन का अंतिरम आदेश नहीं देना निराशाजनक
By भाषा | Updated: January 23, 2020 00:30 IST2020-01-23T00:30:11+5:302020-01-23T00:30:11+5:30
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘स्थगन का अंतरिम आदेश नहीं दिया जाना मायूसी भरा है।’’ मदनी ने कहा, ‘‘कुछ लोग इस असंवैधानिक कानून को हिंदू-मुस्लिम का रंग देने की कोशिश कर रहे है जबकि यह कानून देश की संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत है।’’

जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी। (Image Courtesy: Facebook/Molana Arshad Madni)
देश के प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने बुधवार को कहा कि संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर उच्चतम न्यायालय की ओर से स्थगन का कोई अंतरिम आदेश नहीं दिया जाना निराशाजनक है।
जमीयत प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने एक बयान में कहा, ‘‘स्थगन का अंतरिम आदेश नहीं दिया जाना मायूसी भरा है।’’ मदनी ने कहा, ‘‘कुछ लोग इस असंवैधानिक कानून को हिंदू-मुस्लिम का रंग देने की कोशिश कर रहे है जबकि यह कानून देश की संवैधानिक व्यवस्था के विपरीत है।’’
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार न्यायालय में इस मामले पर सुनवाई में विलंब का प्रयास कर रही है। दरअसल, उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को स्पष्ट किया कि वह केंद्र की दलीलों को सुने बगैर सीएए पर कोई रोक नहीं लगाएगा। साथ ही उसने कहा कि इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं को वह वृहद संविधान पीठ के पास भेज सकता है।
प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ सीएए की वैधता को चुनौती देने वाली 143 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इनमें इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) और कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिकाएं भी शामिल हैं। केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के. के. वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि 143 याचिकाओं में से करीब 60 की प्रतियां सरकार को दी गई हैं।