Bhopal Gas Tragedy: यूनियन कार्बाइड की फैक्ट्री में चार दशक से अधिक समय से जमा जहरीले कचरे के निपटान की प्रक्रिया आखिरकार शुरू हो गई है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद, मध्य प्रदेश के धार जिले के पीथमपुर स्थित रामकी एनवायरो प्लांट में इस कचरे को वैज्ञानिक तरीके से जलाया जा रहा है। संभागायुक्त दीपक सिंह की उपस्थिति में इस अभियान की शुरुआत की गई। पहले चरण में 10 टन कचरे को 72 घंटों में जलाया जाएगा।
सुरक्षा मानकों का हो रहा सख्ती से पालन
कचरे को जलाने की यह प्रक्रिया अत्यधिक नियंत्रित परिस्थितियों में की जा रही है। इसे 9-9 किलोग्राम के बैग्स में पैक किया गया है, जिसमें 4.5 किलोग्राम कचरा और 4.5 किलोग्राम चूना मिलाया गया है। इंसीनरेटर का तापमान 850 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचाया जा रहा है, जिसे बनाए रखने के लिए प्रति घंटे 400 लीटर डीजल का उपयोग किया जा रहा है।
इस पूरे अभियान की निगरानी केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) और मध्य प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (MPPCB) कर रहे हैं। प्लांट में जलाने के दौरान उत्पन्न होने वाली गैस, राख और अन्य ठोस कणों का वैज्ञानिक तरीके से निष्पादन किया जाएगा, ताकि पर्यावरण को कोई नुकसान न पहुंचे। बची हुई राख को सुरक्षित रूप से लैंडफिल साइट में दबाया जाएगा।
भोपाल गैस त्रासदी और जहरीले कचरे का मुद्दा
गौरतलब है कि 2-3 दिसंबर 1984 की रात को भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस के रिसाव से हजारों लोगों की मौत हो गई थी, जबकि लाखों लोग इससे प्रभावित हुए थे। हादसे के बाद, फैक्ट्री परिसर में भारी मात्रा में जहरीला कचरा जमा हो गया था, जिसका निपटान लंबे समय से विवादों और कानूनी प्रक्रिया में उलझा हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद कचरे का निपटान शुरू
हाल ही में, सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप से इनकार करते हुए मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के आदेश को बरकरार रखा और कचरे के निपटान को मंजूरी दी। इसके बाद, 1 जनवरी 2025 को 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को 12 सीलबंद कंटेनरों में भोपाल से पीथमपुर के रामकी एनवायरो प्लांट लाया गया।
अब, पहले चरण में 10 टन कचरे के सफल निपटान के बाद, शेष कचरे को चरणबद्ध तरीके से जलाने की प्रक्रिया जारी रहेगी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों को न्याय दिलाने और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।