बजट 2020: अशोक गहलोत बोले- शब्दों की बाजीगरी, तो वसुंधरा ने कहा- पांच ट्रिलियन अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा कदम
By प्रदीप द्विवेदी | Published: February 2, 2020 01:45 AM2020-02-02T01:45:03+5:302020-02-02T01:45:03+5:30
संसद में बजट पेश किए जाने के बाद गहलोत ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और कहा- इतने लंबे भाषण के बावजूद, इसमें आर्थिक मंदी के कारण उत्पन्न चुनौतियों, मुद्दों पर ध्यान देने तथा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोई पुख्ता योजना नहीं है.
वित्त वर्ष 2020-21 के लिए पेश किए गए आम बजट को जहां राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने शब्दों की बाजीगरी करार देते हुए प्रभावहीन और निराशाजनक बताया है, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने इसे समृद्ध भारत की परिकल्पना से परिपूर्ण ऐतिहासिक बजट बताते हुए कहा कि यह बजट निश्चित रूप से भारत को 5 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनाने की ओर बड़ा कदम साबित होगा.
सीएम गहलोत तो केन्द्र सरकार की आर्थिक नीतियों पर लगातार निशाना साधते रहे हैं, इस बजट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उनका कहना है कि यह अपेक्षा थी कि इस बहुप्रतीक्षित बजट में वित्तमंत्री अर्थव्यवस्था को बल देने के लिए कुछ वास्तविक कदमों की घोषणा करेंगी, लेकिन यह बहुत ही निराशाजक और प्रभावहीन है, इसमें अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोई योजना नहीं है.
संसद में बजट पेश किए जाने के बाद गहलोत ने एक के बाद एक कई ट्वीट किए और कहा- इतने लंबे भाषण के बावजूद, इसमें आर्थिक मंदी के कारण उत्पन्न चुनौतियों, मुद्दों पर ध्यान देने तथा अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कोई पुख्ता योजना नहीं है.
बजट भाषण में मौजूदा आर्थिक संकट को हल करने के लिए किसी भी प्रभावी उपाय का अभाव था. यह केवल आम लोगों या उद्योगों को राहत देने पर ध्यान केंद्रित किए बिना शब्दों की बाजीगरी मात्र थी. इसमें बैंकिंग क्षेत्र की समस्याओं से सही तरीके से नहीं निपटा जा सका है. बजट में निश्चित रूप से विकास पर कोई ध्यान नहीं है.
उन्होंने एलआईसी में सरकार द्वारा अपनी हिस्सेदारी का हिस्सा बेचने की घोषणा को निराशाजनक बताते हुए कहा कि आम लोगों ने अपनी गाढ़ी कमाई एलआईसी में लगाई है, वे सभी लोग अब ठगा हुआ महसूस करते हैं. एलआईसी का निजीकरण करने के लिए सरकार को लोगों की जमा राशि को खतरे में नहीं डालना चाहिए.
देश के युवा रोजगार सृजन, रोजगार के अवसरों में वृद्धि के लिए किसी भी योजना को देखने के लिए इंतजार कर रहे थे, लेकिन इस बजट ने उनकी उम्मीदों को पूरी तरह से धराशायी कर दिया.
उनका सवाल था कि विकास की दृष्टि के बिना और नौकरियों के सृजन की योजना के बिना, अर्थव्यवस्था को कैसे पुनर्जीवित किया जाएगा?
यही नहीं, उन्होंने बजट 2020 में घोषित रेलवे के निजीकरण की प्रक्रिया को बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि सभी सरकारी कर्मचारियों ने भारतीय रेलवे को मजबूत किया है, क्योंकि यह सामान्य जनता के लिए परिवहन का सबसे सस्ता साधन है.