Budget 2019: मंदी की ओर बढ़ती अर्थव्यवस्था में भ्रमित करने वाला और दिशाहीन आम बजट
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: July 6, 2019 08:13 AM2019-07-06T08:13:33+5:302019-07-06T08:15:07+5:30
इस बजट में सरकार का कुल खर्च 33.23 लाख करोड़ रुपए दर्शाया गया है. जबकि कुल आय 27.86 लाख करोड़ रुपए हैं. इसमें वित्तीय घाटा 5.37 लाख करोड़ रुपए है जो सकल राष्ट्रीय आय (जीडीपी) के 3.30 फीसदी है.
(सोपान पांढरीपांडे)
बजट पेश करते समय केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन ने कहा कि 'नया भारत' निर्माण करने के लिए जनता ने उनकी सरकार को चुनकर भेजा है. लेकिन उन्होंने जो बजट प्रस्तुत किया है वह संभ्रमित करनेवाला और दिशाहीन बजट है. वैश्विक मंदी तथा अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध के चलते भारतीय अर्थव्यवस्था भी मंदी की ओर जा रही है. ऐसे में विकासोन्मुख बजट प्रस्तुत करना सीतारामन के लिए बड़ी चुनौती थी लेकिन वे इसका सामना नहीं कर सकीं.
इस बजट में सरकार का कुल खर्च 33.23 लाख करोड़ रुपए दर्शाया गया है. जबकि कुल आय 27.86 लाख करोड़ रुपए हैं. इसमें वित्तीय घाटा 5.37 लाख करोड़ रुपए है जो सकल राष्ट्रीय आय (जीडीपी) के 3.30 फीसदी है. फिस्कल रिस्पॉन्सिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट एक्ट के अनुसार यह घाटा सकल राष्ट्रीय आय के तीन फीसदी होना चाहिए. लेकिन सीतारामन इसमें सफल नहीं हुईं.
अपने भाषण में वित्तमंत्री ने करदाताओं के प्रति इमानदारी से टैक्स चुकाने के चलते पांच वर्ष में प्रत्यक्ष कर राजस्व 78 फीसदी बढ़ाने के लिए धन्यवाद तो दिया है लेकिन करदाताओं को राहत के रूप में क्या दिया है इसका खुलासा नहीं किया. दो करोड़ से अधिक आय वाले करदाताओं पर 3 फीसदी तथा 5 करोड़ से अधिक आयवाले करदाताओं पर 7 फीसदी सेस लगाया है जो स्वागतयोग्य है.
कई कल्याणकारी योजनाओं के बारे में बजट में स्पष्ट उल्लेख क्यों नहीं है यह समझ से परे है. उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में अगले तीन वर्ष में 1.95 करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य है. इसी प्रकार उज्ज्वला योजना में सात करोड़ नि:शुल्क गैस कनेक्शन दिए गए और सौभाग्य योजना में 35 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए जिससे 18341 करोड़ रुपए की बचत हुई.
मंदी की ओर जा रही अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए आधारभूत क्षेत्र में निवेश कर रोजगार निर्माण करना आवश्यक होता है. लेकिन नैशनल हाईवे, बंदरेगाह, निर्माण क्षेत्र के लिए कितनी राशि दी गई है इसका स्पष्ट उल्लेख नहीं है. इस बार लोकसभा में 78 महिला सांसद चुने जाने का उल्लेख तो उन्होंने किया लेकिन महिलाओं के बचत गुटों के जनधन खातों को केवल 5000 रुपए की ओवरड्राफ्ट सुविधा मंजूर की और एक लाख रुपए मुद्रा कर्ज देने की घोषणा की.
महिला बचत गुटों की जरूरत को देखते हुए यह राशि काफी कम है. वित्तीय बाजार को गति गति देने के लिए 18 सरकारी बैंकों को 70 हजार करोड़ रुपए की मदद दी जा रही है. लेकिन पिछले वर्ष 2.06 लाख करोड़ की मदद देने से बैंकों को उम्मीद थी कि 30 से 40 हजार करोड़ रुपए मिलेंगे. इसके साथ ही नॉनबैंकिग फाइनांस संस्थाओं को बैंक कर्ज देते है तो एक लाख करोड़ की सरकारी गारंटी मिलेगी जो नॉनबैंकिग फाइनांस संस्थाओं के लिए राहत की खबर है.
लेकिन होमलोन हाउसिंग कंपनियों का नियंत्रण नैशनल हाऊसिंग बैंक से लेकर रिजर्व बैंक को देना समझ से परे है. कल के आर्थिक सर्वेक्षण में भारत को 5000 अरब डॉलर्स (350 लाख करोड़ रुपए) की अर्थव्यवस्था बनाने के लिए सकल राष्ट्रीय उत्पादन (जीडीपी) हर वर्ष 8 फीसदी से बढ़ाने का संकल्प किया गया था लेकिन वित्तमंत्री निर्मला सीतारामन के बजट में इस तरह के प्रावधान नजर नहीं आते. इसके चलते यह बजट संभ्रमित करनेवाला दिशाहीन बजट साबित होने की संभावना अधिक है.