ब्रह्मोस मिसाइल का सफल परीक्षण, अब नौसेना लंबी दूरी तक आसानी से दुश्मन के उड़ा सकेगी परखच्चे
By रामदीप मिश्रा | Published: October 18, 2020 02:25 PM2020-10-18T14:25:55+5:302020-10-18T14:25:55+5:30
डीआरडीओ ने कहा कि ब्रह्मोस प्राइम स्ट्राइक हथियार के रूप में नौसेना की सतह के लक्ष्यों को लंबी दूरी परकी निशाना बनाकर युद्धपोत की अजेयता सुनिश्चित करेगा।
नई दिल्लीः रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक बयान में कहा कि भारत ने रविवार को नौसेना के स्वदेश निर्मित स्टील्थ विध्वंसक से सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का सफलतापूर्वक परीक्षण किया। अरब सागर में INS चेन्नई से मिसाइल को दागा गया, जिसनें उच्चस्तरीय और बेहद जटिल युद्धाभ्यास करने के बाद लक्ष्य को सटीकता से लक्ष्य को भेदा।
डीआरडीओ ने कहा कि ब्रह्मोस प्राइम स्ट्राइक हथियार के रूप में नौसेना की सतह के लक्ष्यों को लंबी दूरी परकी निशाना बनाकर युद्धपोत की अजेयता सुनिश्चित करेगा। इस तरह की विध्वंसक मिसाइल भारतीय नौसेना को और अधिक ताकत देगा। ब्रह्मोस को भारत और रूस द्वारा संयुक्त रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित किया गया है। इस बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सफल प्रक्षेपण के लिए डीआरडीओ, ब्रह्मोस और भारतीय नौसेना को बधाई दी।
इससे पहले भारत ने गुरुवार को ओडिशा के बालासोर के तट से 250 किलोमीटर से अधिक की मारक क्षमता वाली पृथ्वी-2 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। डीआरडीओ द्वारा विकसित मिसाइल पहले से ही स्ट्रैटेजिक फोर्सेज कमांड का हिस्सा है। यह भारत की पहली स्वदेशी सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है।
उससे पहले भारत ने सेना के अभ्यास परीक्षण के तहत पृथ्वी-2 मिसाइल का ओडिशा के एक केंद्र से सफल रात्रिकालीन प्रायोगिक परीक्षण किया था। सतह से सतह पर मार करने वाली यह मिसाइल परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम है। चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण केंद्र (आईटीआर) से इस अत्याधुनिक मिसाइल को अंधेरे में दागा गया था और परीक्षण सफल रहा था, जिसने सभी मानकों को प्राप्त कर लिया था। मिसाइल के प्रक्षेपण पथ पर रडारों, इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल ट्रैकिंग प्रणाली और टेलीमेट्री केंद्रों से नजर रखी गई थी, जिसने सभी मानकों को प्राप्त कर लिया था।