कश्मीर में कहर बरपा रहे हैं मुठभेड़ स्थलों से मिलने वाले बम, 12 साल में चली गई 250 जानें

By सुरेश डुग्गर | Published: March 9, 2019 02:08 PM2019-03-09T14:08:52+5:302019-03-09T14:08:52+5:30

मुठभेड़ के बाद पीछे छूटे गोला-बारूद को एकत्र करने की होड़ में मासूम कश्मीरी मारे जा रहे हैं। पिछले 12 सालों के भीतर ऐसे विस्फोट 250 जानें ले चुके हैं जबकि कई जख्मी हो चुके हैं और कई जिन्दगी और मौत से जूझ रहे हैं।

Bombs coming from encounter sites in Kashmir are wreaking havoc, 250 killed in 12 years | कश्मीर में कहर बरपा रहे हैं मुठभेड़ स्थलों से मिलने वाले बम, 12 साल में चली गई 250 जानें

प्रतीकात्मक चित्र

Highlights12 सालों के अरसे के भीतर ऐसे विस्फोटों में मरने वाले अधिकतर बच्चे ही थे, कुछ युवक और महिलाएं भी शामिल।इन मुठभेड़ स्थलों के मलबे को कई महीने नहीं हटाया जाता और मासूम बच्चे उनमें से कबाड़ बीनने के चक्कर में अक्सर मौत बीन लेते हैं।

जम्मू, 9 मार्च: कुछ दिन पहले पुलवामा में एक मुठभेड़ स्थल से मिले विस्फोट में हुए धमाके में 6 लोग जख्मी हो गए थे। उससे पहले त्राल में इस प्रकार के एक विस्फोट ने दो मासूमों की जान ले ली थी। यह कोई पहला अवसर नहीं था कि आतंकियों के साथ होने वाली मुठभेड़ों के बाद पीछे छूटे गोला-बारूद को एकत्र करने की होड़ में मासूम कश्मीरी मारे जा रहे हों बल्कि पिछले 12 सालों के भीतर ऐसे विस्फोट 250 जानें ले चुके हैं जबकि कई जख्मी हो चुके हैं और कई जिन्दगी और मौत से जूझ रहे हैं।

12 सालों के अरसे के भीतर ऐसे विस्फोटों में मरने वाले अधिकतर बच्चे ही थे। कुछ युवक और महिलाएं भी इसलिए मारी गईं क्योंकि बच्चे मुठभेड़ स्थलों से उठा कर लाए गए बमों को तोड़ने का असफल प्रयास घरों के भीतर कर रहे थे। ऐसे विस्फोटों ने न सिर्फ मासूमों को लील लिया बल्कि कई आज भी उस दिन को याद कर सिंहर उठते हैं जब उनके द्वारा उठा कर लाए गए बमों ने उन्हें अपंग बना दिया था।

हालांकि सुरक्षाबलों की ओर से यह स्पष्ट हिदायत दी जाती रही है कि कोई भी नागरिक मुठभेड़ स्थलों की ओर तब तक न जाएं जब तक विशेषज्ञों द्वारा उन स्थानों को सुरक्षित करार न दे दिया जाए जहां मुठभेड़ें होती हैं। पर इन हिदायतों पर कोई अमल नहीं करता।

12 सालों के भीतर 250 लोगों की जानें बम और गोला-बारूद ले चुके हैं जो मुठभेड़ स्थलों के मलबे में आतंकियों द्वारा छोड़ दिया गया होता है या फिर सुरक्षाबलों की ओर से दागे जाने वाले मोर्टार के गोले मिस फायर होते हैं। कभी-कभी सुरक्षाबलों का गोला-बारूद भी मुठभेड़ स्थलों पर छूट जाता है।

हालत यह है कि कश्मीर के हर कस्बे में दर्जनों ऐसे मुठभेड़ स्थल हैं जिनके मलबे से निकलने वाले विस्फोटक कई-कई महीनों के बाद भी नागरिकों के लिए खतरा बन कर सामने आ रहे हैं। दरअसल इन मुठभेड़ स्थलों के मलबे को कई महीने नहीं हटाया जाता और मासूम बच्चे उनमें से कबाड़ बीनने के चक्कर में अक्सर मौत बीन लेते हैं।

Web Title: Bombs coming from encounter sites in Kashmir are wreaking havoc, 250 killed in 12 years

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