बॉम्बे हाई कोर्ट ने 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत देने से किया इनकार, कहा, 'यह सहमति से बनाये संबंध का नतीजा है'

By भाषा | Published: July 31, 2023 02:06 PM2023-07-31T14:06:20+5:302023-07-31T14:10:14+5:30

बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक 17 साल की लड़की के 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत देने से इनकार करते हुए कहा कि गर्भ में पल रहा भ्रूण सहमति से बनाए गए संबंध का नतीजा है और इसे जीवित पैदा होना चाहिए।

Bombay High Court Refuses To Allow Termination Of 24-Week Pregnancy, Says 'It Is Result Of Consensual Relationship' | बॉम्बे हाई कोर्ट ने 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत देने से किया इनकार, कहा, 'यह सहमति से बनाये संबंध का नतीजा है'

फाइल फोटो

Highlightsबॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने गर्भपात के विषय में दिया बड़ा फैसला औरंगाबाद बेंच ने 17 साल की लड़की के 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत देने से किया इनकारगर्भ में पल रहा भ्रूण सहमति से बनाए गए संबंध का नतीजा है और इसे जीवित पैदा होना चाहिए

मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने एक 17 साल की लड़की के 24 सप्ताह के गर्भ को गिराने की इजाजत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि गर्भ में पल रहा भ्रूण सहमति से बनाए गए संबंध का नतीजा है और इसे जीवित पैदा होना चाहिए।

हाईकोर्ट की औरगंबाद बेंच में मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस रवींद्र घुगे और न्यायमूर्ति वाईजी खोबरागड़े ने 26 जुलाई को अपने आदेश में कहा है कि लड़की इस महीने 18 साल की हो जाएगी और वह दिसंबर 2022 से लड़के के साथ सहमति से शारीरिक रिश्ते में थी। पीड़ित लड़की और आरोपी लड़के के बीच एक बार नहीं बल्कि कई बार शारीरिक संबंध बने थे और लड़की ने बीते फरवरी में अपने गर्भधारण की जांच के लिए खुद किट खरीदा था और गर्भावस्था की पुष्टि की थी।

कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा, "इसलिए, ऐसा प्रतीत होता है कि याचिकाकर्ता, जो स्वयं को पीड़िता बता रही है। शारीरिक संबंध और उससे होने वाले नतीजों को लेकर उसकी समझ पूरी तरह परिपक्व थी। यदि याचिकाकर्ता को गर्भधारण करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी तो वह गर्भावस्था की पुष्टि के तुरंत बाद भी गर्भपात की अनुमति मांग सकती थी।"

इसके बाद दोनों जजों की पीठ ने कहा कि वह पीड़िता को गर्भ गिराने की अनुमति देने के इच्छुक नहीं है और इसलिए बच्चा जीवित पैदा होगा क्योंकि वो प्राकृतिक प्रसव केवल 15 सप्ताह दूर है।

वहीं गर्भवती लड़की ने अपनी मां के जरिये हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उसने खुद को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम के तहत खुद को एक "नाबालग बच्ची" होने का दावा करते हुए गर्भ को गिराने की मांग की थी।

पीड़िता की याचिका में दावा किया गया कि गर्भावस्था से उसके मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान होगा और भविष्य की पढ़ाई प्रभावित होगी। दरअसल पीड़िता को गर्भपात के लिए हाईकोर्ट में इस कारण गुहार लगानी पड़ी क्योंकि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत यदि गर्भावस्था 20 सप्ताह से अधिक का होता है तो उस दशा में गर्भपात करने से मां-बच्चे के जीवन को खतरा होता है और इस कारण गर्भ की समाप्ती के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता होती है।

Web Title: Bombay High Court Refuses To Allow Termination Of 24-Week Pregnancy, Says 'It Is Result Of Consensual Relationship'

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