कश्मीर में नीली क्रांति: लैवेंडर की खेती ने बदला 5 हजार किसानों का भविष्य

By सुरेश एस डुग्गर | Published: June 25, 2022 05:03 PM2022-06-25T17:03:33+5:302022-06-25T17:04:55+5:30

जानकारी के लिए लैवेंडर एक यूरोपियन फूल की खुशबूदार-औषधीय किस्म है, जिसका इस्तेमाल दवाईयों से लेकर तेल, कास्मेटिक्स, अगरबत्ती, साबुन और रूम फ्रेशनर बनाने में किया जाता है।

Blue revolution in Kashmir: Lavender cultivation changed the future of 5000 farmers | कश्मीर में नीली क्रांति: लैवेंडर की खेती ने बदला 5 हजार किसानों का भविष्य

कश्मीर में नीली क्रांति: लैवेंडर की खेती ने बदला 5 हजार किसानों का भविष्य

Highlightsलैवेंडर को कम सिंचाई वाले बंजर खेत में भी उगाया जा सकता हैलैवेंडर एक यूरोपियन फूल की खुशबूदार-औषधीय किस्म है

जम्मू: कश्मीर में नीली क्रांति ने अर्थात लैवेंडर की खेती ने पांच हजार के लगभग किसानों का भविष्य ही बदल दिया है। यह सच है कि कश्मीर में लैवेंडर की खेती को बढ़ावा देने वाले अरोमा मिशन की कामयाबी का आलम यह है कि इससे जुड़कर कश्मीर के 5000 किसान अच्छी आमदनी के साथ बेहतर जीवन जी रहे हैं।

जानकारी के लिए लैवेंडर एक यूरोपियन फूल की खुशबूदार-औषधीय किस्म है, जिसका इस्तेमाल दवाईयों से लेकर तेल, कास्मेटिक्स, अगरबत्ती, साबुन और रूम फ्रेशनर बनाने में किया जाता है। लैवेंडर को कम सिंचाई वाले बंजर खेत में भी उगाया जा सकता है। 

कश्मीर में नवंबर के महीने में इसका पौधारोपण किया जाता है, जिसके बाद जून-जुलाई के दौरान 30-40 दिनों के लिये फूल की उपज मिल जाती है। किसान चाहें तो लैवेंडर की सह-फसली खेती भी कर सकते हैं। कम पानी में भी इसकी खेती करने पर अगले 10-12 साल तक मोटी आमदनी हो जाती है। इसकी प्रोसेसिंग करके किसान कई गुना ज्यादा पैसा कमा सकते हैं।

दरअसल केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर में खुशबूदार फूलों की खेती के लिए साल 2016 में अरोमा मिशन की शुरुआत की, जिससे कश्मीर के ज्यादा से ज्यादा किसानों को प्रशिक्षण देकर पर्पल रिवोल्यूशन योजना से भी जोड़ा गया। इस योजना के तहत कश्मीर के कृषि विभाग द्वारा लैवेंडर की खेती के लिये सही ट्रेनिंग से लेकर, पौधों की खरीद में सब्सिडी, खाद-उर्वरक और उपज की बिक्री में मदद दी गई। 

इस योजना के तहत इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटेगरेटिरेटिव मेडिसिन द्वारा 2500 किसानें को ट्रेनिंग भी दी गई है, जिसके बाद कश्मीर की 200 एकड़ जमीन पर लैवेंडर की खेती की जा रही है। रिपोर्ट्स के मुताबिक लैवेंडर की मार्केटिंग के लिये कश्मीर के कृषि विभाग ने एक्सटेंशन विंग भी बनाया है, जिससे किसान बिना चिंता के अपनी फसल को बेच सकेंगे।

अरोमा मिशन में पर्पल रिवोल्यूशन योजना के तहत लैवेंडर की खेती के लिये कश्मीर के कृषि विभाग की ओर से किसानों को ट्रेनिंग के बाद सब्सिड़ी पर पौधे मुहैया करवाये जा रहे हैं। करीब एक हैक्टेयर जमीन पर लैवेंडर की खेती के जरिये 4-5 लाख रुपये की आमदनी हो जाती है, जिसमें आगे चलकर सिर्फ रख-रखाव और कटाई पर ही खर्च करना पड़ता है। 

विशेषज्ञों की मानें तो एक हैक्टेयर से निकली फूलों की उपज से करीब 40-50 किग्रा तेल निकाला जाता है। बाजार में लैवेंडर के तेल को 20000-30000 रुपये प्रति किग्रा की कीमत पर बेचा जाता है। इस प्रकार एक हैक्टेयर जमीन पर इसकी खेती और प्रसंस्करण के जरिये किसान आर्थिक रूप से मजबूत हो सकते हैं।

Web Title: Blue revolution in Kashmir: Lavender cultivation changed the future of 5000 farmers

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