यूं ही नहीं तोड़ा बीजेपी ने पीडीपी से गठबंधन, 2019 के प्रचार की हुई है शुरुआत
By ऐश्वर्य अवस्थी | Published: June 20, 2018 11:53 AM2018-06-20T11:53:45+5:302018-06-20T11:53:45+5:30
भारतीय जनता पार्टी ने पीडीपी के साथ जम्मू कश्मीर के अपने गठबंधन को तोड़ दिया। इस गठबंधन को तोड़ते ही बीजेपी ने 2019 के चुनावों का बिगुल बजा दिया है।
नई दिल्ली, 20 जून: मंगलवार (19 जून) को भारतीय जनता पार्टी ने पीडीपी के साथ जम्मू कश्मीर के अपने गठबंधन को तोड़ दिया। इस गठबंधन को तोड़ते ही बीजेपी ने 2019 के चुनावों का बिगुल बजा दिया है। खबरों की मानें तो बीजेपी को ये अच्छे से पता है कि अल्पसंख्यकों खासकर मुसलमानों का वोट उसने हिस्से में आने वाले नहीं हैं। ऐसे में कश्मीर में सरकार के बल पर वह अपने बाकी के वोटों को नहीं खाना चाहती है।
मुस्लिम बाहुल्य कश्मीर में सरकार में शामिल रहते हुए बीजेपी को अक्सर भीतर और बाहर से हमले झेलने पड़ते थे। ऐसे में अब बीजेपी ने पीडीपी के साथ के रिश्ते को मजबूरी से बाहर निकाल लिया है। अब बीजेपी के लिए 2019 के पास किसी भी तरह की मजबूरी नहीं है।
2019 के लिए एक्शन प्लान
बीजेपी को पता है कि केवल विकास के नाम पर 2019 में जनता वोट नहीं देगी। साथ ही क्षेत्रीय दलों के वोट बैंकों को तोड़ने के लिए जातियों को हिंदू पहचान तक लाना पड़ेगा। जिसके लिए ध्रुवीकरण के ज़रिए ही अपेक्षित वोटों को सुनिश्चित किया जा सकता है।
लेकिन कश्मीर में सरकार में रहते हुए हिंदू हित पर बात करना इतना आसान नहीं होता। बीजेपी ने अब गेम खेलते हुए छोटे से नुकसान को उठाकर 2019 नें बड़े लाभ को उठाने की तैयारी कर ली है। इसकी पुष्टि इस बात से भी हो जाती है कि इस फैसले के लिए बीजेपी ने न तो राज्य में पिछले दिनों अपने तेवर बदले, न विरोध जताया बस समर्थन वापस का ऐलान कर दिया।
जनता को लुभाने का फैसला
2019 के चुनावों ने दस्तक दे दी है ऐसे में इसकी आहट मिलते ही सबसे पहले बीजेपी ने अपना दांव खेला। उसने इस फैसले के जरिए कश्मीरियों और अल्पसंख्यकों के प्रति अपनी नरमी की मजबूरी से मुक्ति पा ली। इसके साथ ही अब कश्मीर पर बीजेपी की भाषा आने वाले दिनों में बदली हुई सुनाई दे सकती है। ये फैसला पूरी तरह से जनता को लुभाने वाला कहा जा सकता है। साथ ही जिस तरह से बीते कई दिनों से सीमा पार से गोलीबारी और कश्मीर में बिगड़ते हालात के लिए घेरी जा रही सरकार अब राज्यपाल शासन के बहाने सेना, अर्धसैनिक बलों और विशेषाधिकार कानूनों का मनमाने ढंग से इस्तेमाल कर सकेगी। जिसका वह 2019 के चुनावों के प्रचार के दौरान बीजेपी प्रयोग करेगी।
कश्मीर की स्थिति
अब कश्मीर की बिगड़ती स्थिति को संभालने के लिए संभावित अतिरिक्त बल प्रयोग सरकार के सख्त और कड़े कदम के तौर पर देशभर में देखा और प्रचारित किया जाएगा। कश्मीर के इस फैसले का लाभ बीजेपी को आगामी विधानसभा चुनाव में मिलेगा। साथ ही सेना और सुरक्षाबलों के जरिए अब सरकार की रणनीति को देश के अन्य राज्यों में बहादुरी और कठोर निर्णय के रूप में देखा जाएगा। वहीं, के लिए यह फायदा राज्य तक सीमित नहीं है, इसे वो पूरे देश में लेकर जाएगी और 2019 का चुनाव सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का खेल देखेगा, कम से कम ताज़ा सूरतेहाल ऐसे ही नजर आ रही है।
4 साल बाद आया याद
ऐसा नहीं है कि अचानक से एक जवान को आतंकियों ने मार दिया या फिर किसी पत्रकार को सरेआम गोली मार दी गई। इससे पहले कोई ऐसी घटनाएं हुईं जिनके बाद बीजेपी की जमकर किरकिरी भी हुई लेकिन कभी बीजेपी ने अपने गठबंधन को नहीं तोड़ा। फिर अचानक से चुनाव के पहले लिए गए इस फैसले का रूप कुछ और ही मिल रहा है। तीन साल तक भाजपा इस गठबंधन के साथ सत्ता में बनी रही. विरोध के स्वर कुछ भीतर भी थे और कई बाहर भी, लेकिन भाजपा ने सत्ता में बने रहना मुनासिब समझा और धीरे-धीरे जम्मू क्षेत्र में अपने वर्चस्व और सांगठनिक प्रभाव को और व्यापक करने का काम जारी रखा। वहीं, कहा ये भी जा रहा है कि 2 माह पहले ही महबूबा मुफ्ती को गठबंधन तोड़नी की बात पता चल गई थी। ऐसे में अब बीजेपी के इस फैसले को लेकर 2019 के कयास तेज हो गए हैं।